कौन बनाएंगे भाजपा के संगठन चुनाव की रणनीति
जयपुरPublished: Dec 10, 2019 10:50:29 pm
राजस्थान भाजपा में के संगठन चुनाव में सहमति नहीं बनने से प्रदेश संगठन की नींद उड़ी हुई है। हालात ऐसे हैं कि प्रदेश के करीब करीब सभी जिलों में काफी समझाइश के बावजूद जिलाध्यक्ष के नामों को लेकर खींचतान चल रही है। ज्यादातर जिलों में में सहमति बनने के प्रयास बेअसर साबित हुए हैं जिसके बाद चुनाव अधिकारियों को नामांकन दाखिल करवाने पड़ रहे हैं। इस समस्या से पार पाने के लिए बुधवार को भाजपा मुख्यालय में जिला चुनाव संरचना अधिकारियों की अहम बैठक बुलाई गई है।
कौन बनाएंगे भाजपा के संगठन चुनाव की रणनीति
जयपुर
राजस्थान भाजपा में के संगठन चुनाव में सहमति नहीं बनने से प्रदेश संगठन की नींद उड़ी हुई है। हालात ऐसे हैं कि प्रदेश के करीब करीब सभी जिलों में काफी समझाइश के बावजूद जिलाध्यक्ष के नामों को लेकर खींचतान चल रही है। ज्यादातर जिलों में में सहमति बनने के प्रयास बेअसर साबित हुए हैं जिसके बाद चुनाव अधिकारियों को नामांकन दाखिल करवाने पड़ रहे हैं। इस समस्या से पार पाने के लिए बुधवार को भाजपा मुख्यालय में जिला चुनाव संरचना अधिकारियों की अहम बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया, प्रदेश प्रभारी अविनाशराय खन्ना और नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया जिला चुनाव संरचना अधिकारियों को यह बताएंगे कि इस समस्या से कैसे निबटा जाए और चुनाव कैसे संपन्न कराया जाए। सभी चुनाव अधिकारियों को दोपहर 12 बजे पार्टी के प्रदेश मुख्यालय पर बुलाया गया है।
बता दें कि ज्यादातर जिलों में सहमति नहीं बनने और वोटिंग की नौबत आने की सूचना प्रदेश नेतृत्व के पास पहुंच चुकी है। इसके बाद से प्रदेश नेतृत्व की ओर से लगातार यह प्रयास किए जा रहे है कि समझाइश के जरिए चुनाव निविर्रोध संपन्न हो जाए। इसके लिए प्रदेश पदाधिकारियों और वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेदारियां सौंपी गई है। ऐसे सभी पदाधिकारी और नेता क्षेत्रीय सांसद, विधायकों के साथ ही मौजूदा पदाधिकारियों और वहां के वरिष्ठ नेताओं से बातचीत कर रहे हैं।
प्रदेश का एक भी जिला ऐसा नहीं है जहां जिलाध्यक्ष को लेकर एक नाम पर सहमति बन पाई है। ज्यादातर जिलों में जिलाध्यक्ष पद से लिए 7-8 से लेकर 12-13 तक कार्यकर्ताओं ने नामांकन दाखिल किए हैं।
निविर्रोध चुनाव कराने के लिए सभी जिलों में वहां के विधायक और सांसदों को निर्देश दिए थे कि वे समझाइश से इस चुनाव प्रक्रिया पूरी कराएं, लेकिन अधिकतर जिलों में विधायकों, सांसदों, पदाधिकारियों और वरिष्ठ नेताओं में अनबन के चलते मामला बिगड़ गया है।
हर कोई विधायक व सांसद यह चाहता है कि जिलाध्यक्ष उसके खेमे का होना चाहिए जिससे टिकट के वक्त होने वाली रायशुमारी में वे उनके पक्ष में अपनी राय दे सकें। इतना ही नहीं प्रदेश के एक खेमे विशेष के नेता अभी तक इस मामले में चुप्पी साधे बैठे हैं। हालांकि चुनाव प्रक्रिया को लेकर उनका अंदरूनी विरोध जारी है। बताया जा रहा है कि खेमे विशेष के नेताओं की शह पर उनके समर्थक कार्यकर्ता और नेताओं ने जिलाध्यक्षों के लिए नामांकन दाखिल किए हैं और उन पर समझाइश का भी कोई असर नहीं दिख रहा है।
प्रदेश नेतृत्व इसलिए भी परेशान है कि पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण् चतुर्वेदी के कार्यकाल में हुए संगठन चुनाव में धांधली के आरोपों को मामला इस कदर गहरा गया कि शिकायत राष्ट्र?ीय नेतृत्व तक पहुंच गई थी। ऐसे किसी भी अनहोनी से बचने के लिए बुधवार को होनेवाली बैठक में प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया, प्रदेश प्रभारी अविनाश राय खन्ना, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और संगठन महामंत्री चंद्रशेखकर जिला चुनाव अधिकारियों को गुरु सिखाएंगे।