एक्टिव केस देख मिले आॅक्सीजन, इंजेक्शन
गहलोत ने कहा कि राजस्थान को 21 अप्रेल को तात्कालिक आवंटन में मात्र 26 हजार 500 रेमडेसिविर इंजेक्शन आवंटित किए गए, जबकि गुजरात एवं मध्यप्रदेश को राजस्थान से कम एक्टिव केसेज होने के बावजूद क्रमशः 1 लाख 63 हजार तथा 92 हजार 200 रेमडेसिविर इंजेक्शन आवंटित किए गए। इसी प्रकार ऑक्सीजन के आवंटन में भी एक्टिव केसेज के अनुपात का ध्यान नहीं रखा गया। उन्होंने कहा कि भविष्य में इनकी आपूर्ति तर्कसंगत तरीके से हो ताकि किसी भी राज्य को कोविड रोगियों के उपचार को लेकर परेशानी का सामना नहीं करना पड़े।
किट की हो पर्याप्त उपलब्धता
गहलोत ने कहा कि कोविड रोगियों के उपचार के दौरान की जाने वाली सहायक जांचें यथा आईएल-6, डी-डाइमर, फेरिटिन टेस्ट आदि की किट की भी धीरे-धीरे कमी होने लगी है। केंद्र सरकार इन किट्स की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने की दिशा में भी योजना बनाए, ताकि समय रहते राज्यों को इनकी सुचारू आपूर्ति हो सके।
सभी का फ्री वैक्सीनेशन किया जाए
गहलोत ने कहा कि 18 वर्ष से अधिक के लोगों का भी कंेद्र सरकार निःशुल्क टीकाकरण करवाया जाए। केंद्र सरकार को 60 वर्ष, 45 वर्ष एवं अब 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लिए एक ही नीति अपनानी चाहिए। राज्यों में सभी आयु वर्ग के लोगों को एक ही मेडिकल स्टाफ वैक्सीन लगाएगा। यह उचित नहीं होगा कि युवाओं से पैसे लिए जाएं और बाकी को निःशुल्क वैक्सीन लगाई जाए।भारत सरकार ने मुफ्त वैक्सीन के लिए बजट में 35 हजार करोड़ रूपए का प्रावधान भी किया है, इसे देखते हुए राज्यों ने बजट में ऐसा कोई प्रावधान नहीं रखा है।
फ्री वैक्सीन मिले, नहीं करनी पड़ेगी कटौती
गहलोत ने कहा कि केन्द्र की ओर से फ्री वैक्सीन उपलब्ध नहीं करवाने पर अब अगर राज्यों को वैक्सीन का वित्तीय भार वहन करना पड़ता है तो उन्हें सामाजिक सुरक्षा और विकास कार्यों के लिए निर्धारित बजट में कटौती करनी पडे़गी। एक ही देश में वैक्सीन की अलग-अलग दरें भी उचित नहीं हैं। केंद्र को निशुल्क वैक्सीन उपलब्ध करवानी चाहिए। वीसी में गहलोत ने राज्य में कोविड की रोकथाम के लिए जारी प्रयासों की जानकारी भी दी।