पोस्टकार्ड से देते थे सूचना इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एन्ड कल्चरल हैरिटेज के अजमेर चेप्टर संयोजक महेंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि भारत में टिड्डी का प्रकोप बरसों से कायम है। ब्रिटिशकाल में संचार के आधुनिक संसाधन नहीं थे। लेकिन तत्कालीन सरकार ने हल्का पटवारियों को दो अलग-अलग पते वाले पोस्टकार्ड दे रखे थे। इनमें दिल्ली और कराची का पता होता था। संबंधित पटवारी और स्टाफ पोस्टकार्ड से टिड्डियों की सूचना देते थे। मौजूदा वक्त टिड्डी चेतावी संगठन में 250 से ज्यादा कार्मिक कार्यरत हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच टिड्डी नियंत्रण और चेतावनी को लेकर बैठक भी होती है।
कब-कब पहुंचाया नुकसान
टिड्डियों ने कई बार नुकसान पहुंचाया है। टिड्डी चेतावनी संगठन के अनुसार साल 1812, 1821, 1876, 1889, 1907, 1912, 1926, 1931, 1941, 1946, 1955, 1959, 1962, 1978, 1993, 1997, 2002,2005, 2010-11 में टिड्डियों ने आक्रमण कर भारी नुकसान पहुंचाया।
टिड्डियों ने कई बार नुकसान पहुंचाया है। टिड्डी चेतावनी संगठन के अनुसार साल 1812, 1821, 1876, 1889, 1907, 1912, 1926, 1931, 1941, 1946, 1955, 1959, 1962, 1978, 1993, 1997, 2002,2005, 2010-11 में टिड्डियों ने आक्रमण कर भारी नुकसान पहुंचाया।