भरतपुर निवासी गोवर्धन को शनिवार को एसएमएस अस्पताल के ट्रोमा सेंटर में भर्ती कराया गया। गोवर्धन को भर्ती करने के बाद प्रथम तल पर स्थित वार्ड नंबर 113 में भेज दिया गया। यहां 8.30 बजे गोवर्धन के पिता कुमर सिंह को नर्सिंग स्टॉफ ने दवाओं की पर्ची थमाई और ट्रोमा सेंटर के पास ही एक खास दुकान पर जाने के लिए कहा गया। कुमर सिंह साथ बकायदा एक व्यक्ति दुकान तक साथ भेजा गया जिससे वह किसी अन्य दुकान पर नहीं जा सके। गोवर्धन को पर्ची में लिखी सभी दवाएं 1300 रुपए में दी गई। जबकि यही दवाएं लाइफ लाइन स्टोर पर महज 250 रुपए में मिल जाती है।
थमा दिया कार्ड
थमा दिया कार्ड
कुमर सिंह ने दुकानदार से जब दवाओं के बिल की मांग की तो दवा दुकानदार ने अपना विजिटिंग कार्ड देकर कहा की मेरी वार्ड में बात हो गई है और इसी कार्ड को बिल ही समझो। कार्ड में मरीज का नाम और दवाओं की कीमत लिख कर दे दी गई। गोवर्धन जब वापस वार्ड में आया तो उसने बाहर से दवाएं लाने का विरोध जताया तो नर्सिंग कर्मियों ने उसे डरा धमका कर चुप करा दिया। शनिवार की रात हुई इस घटना की चर्चा पूरे ट्रोमा सेंटर में होती रही।
9 साल पहले पूर्व चिकित्सा मंत्री ने किया था खुलासा
9 साल पहले जयपुर बम ब्लास्ट कांड के दौरान कई दिनों तक पूर्व चिकित्सा मंत्री नरपत सिंह राजवी अस्प्ताल की इमरजेंसी में रहे। वहां कई रात उन्होंने आईसीयू में तैनात नर्सिंग कर्मियों और प्राइवेट मेडिकल स्टोर्स के बीच चल रही कमीशनबाजी का गठजोड देखा तो वे चौंक गए। उन्होंने पूरे अस्पताल के वार्डों में तैनात गठजोड वाले लगभग 45 नर्सिंग कर्मियों को जयपुर जिले से बाहर तबादला किया था। राजवी के फैसले को कांग्रेस सरकार में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी नहीं बदला और उन्होंने भी इस मामले को बेहद गंभीर माना।
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हां यह सही है कि ट्रोमा सेंटर के वार्ड नंबर 113 में मरीजों के साथ ऐसा हो रहा है ओर उनके बाहर से दवाएं मंगाई जा रही है। यह मामला मेरी नजर में है। कुछ दिन बाद नई व्यवस्थाएं हो जाएंगी ओर ऐसे मामले सामने नहीं आएंगे।
डॉ डीएस मीणा, अधीक्षक एसएमएस अस्पताल