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क्यों हम चेहरा छुए बिना नहीं रह पाते?

locationजयपुरPublished: Apr 03, 2020 06:13:44 pm

Submitted by:

Suresh Yadav

कोरोना से बचाव के लिए जरूरी है कि हम चेहरे, मुंह, नाक और आंख को न छुएं

क्यों हम चेहरा छुए ​बिना नहीं रह पाते?

क्यों हम चेहरा छुए ​बिना नहीं रह पाते?

जयपुर। कोरोनावायरस के कारण विश्व के अधिकांश देशों में लॉकडाउन की स्थिति है। सरकारें कोविड-19 की चेन को तोडऩे के लिए लॉकडाउन का सहारा ले रही है ताकि तीव्र गति से फैल रहे संक्रमण पर लगाम लगाई जा सके। इसके साथ ही विश्वभर के स्वास्थ्य संगठनों, चिकित्सकों और सरकार की एडवायजरी भी जारी की गई है जिसमें लगातार बताया जा रहा है कि हमें अपने हाथों को बार-बार साबुन से धोना है या फिर सेनेटाइज करना है और अपने मुंह, नाक और आंख को छूने से बचना है।
लोगों को हिदायत दी जा रही है कि वे एक-दूसरे से कम-से-कम 6 फीट दूर रहें, अपने हाथों को धोते रहें और अपने चेहरे को छूने से बचें। और लोग इन हिदायतों का पालन करने की कोशिश भी कर रहे हैं। लेकिन नाक-आंख वगैरह में होने वाली खुजली नजरअंदाज करने की हिदायत देना आसान है, नजरअंदाज करना नहीं। यहां तक हिदायत देने वाले भी इसके आवेग में अपने को रोक नहीं पाते।
2015 में, अमेरिकन जर्नल ऑफ इंफेक्शन कंट्रोल में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक संक्रामक रोग की रोकथाम के लिए प्रशिक्षित मेडिकल स्कूल के छात्रों ने एक व्याख्यान के दौरान एक घंटे में 23 बार अपने चेहरे को छुआ। तो सवाल यह उठता है कि खुद को अपना चेहरा छूने से रोकना इतना मुश्किल क्यों है?
लोग अक्सर दांतों की सफाई, बालों को संवारने, मेक-अप करने जैसे कामों के चलते अपना चेहरा छूते रहते हैं। दिनचर्या में शामिल चेहरा छूने की ये आदतें फिर आपको निरुद्देश्य ढंग से चेहरा छूने को प्रेरित करती हैं, जैसे आंखों को मसलना। केनटकी सेंटर फॉर एन्गजाइटी एंड रिलेटेड डिसऑर्डर्स के मनौवैज्ञानिक केविन चैपमैन के अनुसार हम अधिकांश समय यह सोचते रहते हैं कि हम कैसे दिख रहे हैं। अपने चेहरे को छूकर लोग खुद को संवार सकते हैं और यह भी दर्शा सकते हैं कि वे स्वयं के प्रति जागरूक हैं।

हालांकि चेहरे को छूना कई लोगों में एक बुरी आदत बन जाती है जो चिंताग्रस्त लोगों में और भी बुरी साबित हो सकती है। चैपमैन कहते हैं कि उच्च स्तर के न्यूरोटिज़्म वाले लोग तनाव को कम करने के लिए दोहराव वाले व्यवहार करते हैं। जैसे नाखून चबाना या बालों में हाथ फेरना वगैरह। ब्रेन रिसर्च में प्रकाशित एक छोटे नमूने पर किए गए अध्ययन के मुताबिक, कम गंभीर स्तर पर, लोग तनाव के समय में खुद को शांत रखने के लिए अपने चेहरे को छूते हैं।

रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के अनुसार, नए कोरोनावायरस से संक्रमित होने का मुख्य कारण चेहरा छूना नहीं है। फिर भी, सीडीसी नाक, मुंह या आंखों को ना छूने की सलाह देता है क्योंकि यह वायरस इस तरह से फैलता है। यदि आपने किसी संक्रमित या दूषित सतह को छुआ है तो हाथों को साबुन और पानी से धोना या हैंड सैनिटाइजऱ का उपयोग आवश्यक रूप से करना चाहिए।
चैपमैन बताते हैं कि जब लोग अपना चेहरा ना छूने के लिए सतर्क होते हैं तो संभावना होती है कि वे सामान्य से अधिक बार अपना चेहरा छू लें। जैसे किसी व्यक्ति को गुलाबी हाथी के बारे में ना सोचने को कहा जाए और वह तुरंत ही गुलाबी हाथी के बारे में सोचने लगता है। इस आदत को छोडऩे के लिए यह सोचें कि आप कब-कब अपना चेहरा छूते हैं।
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