scriptइतनी कम ऊँचाई पर क्यों उड़ रहा था सीडीएस रावत का हेलिकॉप्टर | Why CDS Rawat Helicopter was flying at such a low height before crash | Patrika News

इतनी कम ऊँचाई पर क्यों उड़ रहा था सीडीएस रावत का हेलिकॉप्टर

locationजयपुरPublished: Dec 09, 2021 09:55:47 am

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Swatantra Jain

जयपुर। सारा देश आज तमिलनाडु के कुन्नूर में हुए हेलिकॉप्टर हादसे से सन्न है। देश के पहले चीफ डिफेंस स्टाफ जनरल विपिन रावत के MI-17 V5 हेलिकॉप्टर के क्रैश होने के बाद से हर शख्स ये जानने की कोशिश कर रहा है कि आखिर ये हादसा हुआ कैसे। सबसे अधिक चर्चा उस चश्मदीद के बयान की हो रही है जिसके सामने ही सीडीएस बिपिन रावत का हेलिकॉप्टर क्रैश होकर जमीन पर आ गिरा। सवाल उसकी उड़ान की ऊँचाई पर भी हैं और मौसम पर भी और जवाब जाँच के गर्भ में।

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जयपुर। सारा देश आज तमिलनाडु के कुन्नूर में हुए उस हेलिकॉप्टर हादसे से सन्न है, जिसने देश का सबसे बड़ा सैन्य अफसर छीन लिया। हर शख्स ये जानने की कोशिश कर रहा है कि आखिर ये हादसा हुआ कैसे। सबसे अधिक चर्चा उस चश्मदीद के बयान की हो रही है जिसके सामने ही सीडीएस बिपिन रावत का हेलिकॉप्टर क्रैश होकर जमीन पर आ गिरा। बयान से साफ है कि हेलिकॉप्टर काफी नीचे उड़ान भर रहा था और कहीं न कहीं किसी चीज से टकराया है। लेकिन सवाल यही है कि आखिर ये क्या चीज थी। हेलिकॉप्टर टकराया या कोई चीज आकर हेलिकॉप्टर में टकराई। यही सबसे बड़ा मुद्दा जांच का बना हुआ है।
बता दें कि जनरल रावत के लिए तमिलनाडु पुलिस ने ज़ेड प्लस सिक्यॉरिटी की व्यवस्था कर रखी थी। कोयम्बटूर सिटी पुलिस को जनरल रावत की सुरक्षा में ज़ेड प्लस सिक्यॉरिटी का अलर्ट था। जनरल रावत तमिलनाडु के वेलिंगटन में डिफेंस सर्विस स्टाफ़ कॉलेज कॉलेज के कैडेट को संबोधित करने वाले थे। एक सीनियर पुलिस अधिकारी ने बताया है, हमें जनरल रावत के काफ़िले के सड़क मार्ग की सुरक्षा का इंतज़ाम करने के लिए भी कहा गया था। बता दें कि इसके पहले जनरल रावत बुधवार को सुलुर एयर बेस पहुंचे थे और वहां से अपनी पत्नी समेत सेना के 14 लोगों के साथ भारतीय वायु सेना के Mi-17V5 हेलिकॉप्टर से तमिलनाडु के वेलिंगटन में डिफेंस सर्विस स्टाफ़ कॉलेज के लिए रवाना हुए थे।
सुलूर एयरफोर्स बेस पहुंचने के लिए उन्होंने इंडियन एयरफोर्स के एम्ब्रेयर एयरक्राफ्ट से ये सफर पूरा किया था। इसके बाद वो सुलूर से कुन्नूर के वेलिंगटन के लिए रवाना हुए, जिसके लिए उन्होंने MI-17V5 हेलीकॉप्टर को बोर्ड किया। सुलूर से वेलिंगटन का फ्लाइट डिस्टेंस 56 किलोमीटर है और अनुमान के अनुसार इसे पूरा करने के लिए करीब 34 मिनट का वक्त लगता है।
90 सेकेंड और मिल जाते तो हमारे बीच होते रावत
जनरल रावत के हेलिकॉप्टर ने 32 मिनट की उड़ान पूरी भी कर ली थी। सबकुछ तय वक्त पर था। लैंडिंग के लिए सिर्फ 90 सेकेंड का वक्त बचा था, वो अपनी डेस्टिनेशन से सिर्फ दस किलोमीटर की दूरी पर थे। उसी वक्त अनहोनी हो गई। कुन्नूर के जंगलों में जनरल रावत का MI 17 V5 हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया। यानी अगर 90 सेकेंड और निकल जाते, तो सीडीएस रावत बच जाते। वो आज हमारे बीच होते, लेकिन होनी को कुछ और मंजूर था। इस हेलीकॉप्टर में जनरल रावत के साथ उनकी पत्नी मधूलिका रावत भी मौजूद थीं। ब्रिगेडियर एल एस लिद्दर, लेफ्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह भी साथ में ही उड़ान भर रहे थे। कुछ पर्सनल सिक्योरिटी अफसर भी शामिल थे। कुल मिलाकर 14 लोग थे, लेकिन हेलीकॉप्टर क्रैश होने के बाद उसमें आग लग गई।
मौसम साफ़ था और बादल नहीं थे
जहाँ पर जनरल रावत का हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ वहाँ से 10 किलोमीटर की दूरी पर बने वेलिंगटन में हेलिपैड था। यहीं हेलिकॉप्टर को लैंड करना था। हेलिपैड पर तमिलनाडु पुलिस का महकमा तैनात था। गौर करने की बात ये है कि हेलिकॉप्टर को गिरते हुए देखने वाला एक चश्मदीद और दुर्घटनास्थल पर पहुँचने वाले एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि मौसम साफ़ था और बादल नहीं थे।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चश्मदीद ने देखा कि हेलिकॉप्टर बहुत कम ऊंचाई पर उड़ रहा था। अचानक से यह मुड़ा और शायद कटहल के पेड़ से टकरा गया। इसके बाद तेज़ धमाका हुआ। जब हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ तब मौसम साफ़ था। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि हेलिकॉप्टर इतनी कम ऊंचाई पर क्यों उड़ रहा था? क्या पायलट को एयर ट्रैफिक कंट्रोल या आर्मी कंट्रोल से मौसम को लेकर कोई अलर्ट था? पूरे मामले की जाँच हो रही है। पर जाँच से क्या कुछ सामने आएगा?
नीलगिरी ज़िले में माओवादी विरोधी अभियान टास्क फोर्स भी जांच में जुटी

क्रैश की ख़बर मिलते ही तमिलनाडु वेस्ट ज़ोन के आईजी आर सुधाकर कोयम्बटूर से दुर्घटनास्थल पर पहुँचे। नीलगिरी ज़िले में माओवादी विरोधी अभियान में लगे स्पेशल टास्क फ़ोर्स प्रमुख को भी घटनास्थल पर जाने के लिए कहा गया था।
जो हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हुआ, उसे भारतीय वायुसेना में काफ़ी भरोसेमंद और सुरक्षित माना जाता है। रूस में बना Mi-17V5 का इस्तेमाल भारतीय वायुसेना में ऊंची उड़ान वाले अभियान और राहत बचाव कार्य में आम बात है। Mi-17V बहुत ही विश्वसनीय चॉपर है। उत्तराखंड जैसे राज्यों में ऊंचाई पर राहत बचाव कार्य के लिए इसका इस्तेमाल अक्सर होता है। वेलिंगटन जाने के लिए जनरल रावत ने जिस हेलिकॉप्टर का चुनाव किया था, वो बिल्कुल सही था।
20 साल पहले हुए इसी तरह के हादसे की हो रही चर्चा

इसी तरह के एक और 20 साल पहले हुए हादसे की चर्चा इन दिनों मीडिया में हो रही है। बात है दो सितंबर, 2001 की। आंध्र प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी का हेलिकॉप्टटर क्रैश कुरनूल के पर्वतीय इलाक़े हुए में हुआ था। तब मौसम ख़राब था फिर भी पालयट को उड़ान भरने के लिए दबाव डाला गया था। इस मामले में कोई भी जाँच रिपोर्ट सामने नहीं आई। कमोबेश सभी दुर्घटनाओं में जाँच को लेकर यही चलन है। हैरानी की बात है कि पूर्व की दुर्घटनाओं से कोई सबक़ नहीं लिया गया है।
रोटर्स क्षतिग्रस्त कैस हुआ?

दरअसल , MI-17 का इंजन बहुत मज़बूत है। इसका डाउनवॉश भी बहुत प्रभावी है। अगर पायलट कम ऊंचाई पर उड़ान भर रहा हो तो डाउनवॉश के पेड़ों पर मंडराने की पूरी संभावना होती है। इस स्थिति में पायलट को देखने में समस्या होती है। यहाँ तक कि इस स्थिति में अनुभवी पयलट भी धोखा खा जाता है। लेकिन सवाल यही है कि हेलिकॉप्टर कम ऊँचाई पर क्यों था?
MI-17हेलिकॉप्टर आधुनिक एवियोनिक्स से लैस है। जब कम विजिबिलिटी हो तो बादलों के नीचे होने की स्थिति में लैंडिंग मुश्किल होती है। जिस तरह से पेड़ टूटे हैं, उनकी तस्वीर देख लगता है कि रोटर्स क्षतिग्रस्त हुआ था। कम ऊंचाई वाली उड़ान में जब गति धीमी हो जाती है तो उसे फिर से तेज़ करना बहुत मुश्किल होता है। यह हेलिकॉप्टर फुल अथॉरिटी डिज़िटल इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल से लैस था। अगर पायलट इंजन पर ज़्यादा ज़ोर भी डालता तो एफएडीईसी इसे रोक देता। इस मामले में आंतरिक सैन्य जाँच होगी और हमें इसकी पूरी कहानी शायद कभी पता नहीं चलेगी।
अगर आंतरिक कारण नहीं तो बाहरी कारण क्या है?

जिस MI-17 V5 हेलिकॉप्टर पर जनरल रावत सवार थे, उसके बारे में जो जानकारी सामने आ रही है, उसके अनुसार यह हेलिकॉप्टर दुनिया भर में प्रचलित है। इसमें डिज़िटल फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर और एक कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर भी होता है। भारत में यह हेलिकॉप्टर 2008 की MI-17 V5 की खेप का हिस्सा था, जब 80 हेलिकॉप्टर रूस से भारत ने खरीदे थे। बाद में 80 हेलिकॉप्टर के ऑर्डर को बढ़ाकर 150 कर दिया गया था।
अब सबके मन में सवाल यही है कि इतना भरोसेमंद समझा जाने वाला हेलिकॉप्टर जिसमें भारत की सीडीएस जनरल रावत उड़ान भर रहे थे और जिसे ग्रुप कैप्टन पीएस चौहान और स्क्वाड्रन लीडर कुलदीप जैसे बेहद अनुभवी पायलट उड़ा रहे थे वो क्रैश कैसे हो गया? क्या इसका जवाब देश को कभी मिल पाएगा?
कारण जो भी हो, लेकिन ये तो साफ है कि हेलिकॉप्टर की गुणवत्ता या पायलट की क्षमता पर कोई सवाल नहीं है। सूलूर और वेलिंगटन दोनों ही सैन्य संस्थान ही हैं, इसलिए बाहरी छेड़छाड़ा संभव नहीं दिखता। ओवरलोड का भी सवाल नहीं है क्योंकि इस हेलिकॉप्टर की पेलोड क्षमता 4000 किलो है और इसमें 24 लोग बैठ सकते हैं। इस तरह कोई आंतरिक कारण नजर नहीं आता, तो फिर क्या रहा बाहरी कारण? इंतजार पूरे देश को है।
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