कल यानि 22 अगस्त बुधवार को मनाई जाने वाली बकरीद की नमाज सुबह साढ़े आठ बजे ईदगाह में पढ़ी जाएगी, वहीं जौहरी बाजार स्थित जामा मस्जिद में बकरीद की नमाज सुबह सात बजे अदा की जाएगी। नमाज के बाद मुस्लिम भाई एक-दूसरे के गले लगकर ईद की मुबारकबाद देंगे औऱ बकरों की कुर्बानी देंगे। बता दें कि बकरों की कुर्बानी में इन्हें तीन हिस्सों में बांट दिया जाता है। एक हिस्सा गरीबों में बांट दिया जाता है और बाकी बचे दो हिस्से रिश्तेदारों में और परिवार में बांट दिया जाता है। आइए आपको बताते है कि मुसलमान बकरीद क्यों मनाते है?
क्यों दी जाती है कुर्बानी Bakra Eid 2018 or Eid al-Adha 2018 हजरत इब्राहिम को लगा कि कुर्बानी देते समय उनकी भावनाएं आड़े आ सकती हैं, इसलिए उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली थी। जब अपना काम पूरा करने के बाद पट्टी हटाई तो उन्होंने अपने पुत्र को अपने सामने जिन्दा खड़ा हुआ देखा। बेदी पर कटा हुआ दुम्बा (सउदी में पाया जाने वाला भेंड़ जैसा जानवर) पड़ा हुआ था, तभी से इस मौके पर कुर्बानी देने की प्रथा है।
जानिए, कब मनाई जाती है बकरीद इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक 12वें महीने धू-अल-हिज्जा की 10 तारीख को बकरीद मनाई जाती है। यह तारीख रमजान के पवित्र महीने के खत्म होने के लगभग 70 दिनों के बाद आती है। इसी महीने में मुसलमान हज को भी जाते हैं. और जानवरों की कुर्बानी हज का एक अहम हिस्सा भी है।