ये है पायलट मोड और आॅटोमैटिक मोड में फर्क
अब आपको बताते हैं कि आखिर पायलट मोड और आॅटोमैटिक मोड में फर्क क्या है। मौजूदा समय में मेट्रो का संचालन पायलट करते हैं, जब इसे आॅटोमैटिक मोड पर लेकर आएंगे, तब इसमें दो की बजाय सिर्फ एक ही पायलट होगा। वो भी ट्रेन का संचालन नहीं करेगा। बल्कि मेट्रो के गेट बंद करने का काम करेगा। आॅटोमैटिक सिस्टम में ट्रेन की स्पीड और कहां पर उसे रूकना है समेत तमाम गतिविधियां आॅटोमैटिक होगी, इसमें पायलट की कोई दखलअंदाजी नहीं होगी। मौजूदा पायलट सिस्टम में खामी ये है कि इसमें जब भी ड्राइवर तय स्पीड से ज्यादा ट्रेन को दौड़ाने की कोशिश करता है, तो उसमें आॅटोमैटिक ब्रेक लग जाते हैं। इससे ट्रेन में बैठे यात्रियों को झटके लगते हैं। साथ ही ट्रेन को दोबारा चलाने में भी देर लगती है। आॅटोमैटिक ट्रेन संचालन में ये दिक्कतें नहीं आएंगी। लेकिन इसके लिए जयपुर मेट्रो को अभी बहुत से तकनीकी सुधार करने होंगे।
अब आपको बताते हैं कि आखिर पायलट मोड और आॅटोमैटिक मोड में फर्क क्या है। मौजूदा समय में मेट्रो का संचालन पायलट करते हैं, जब इसे आॅटोमैटिक मोड पर लेकर आएंगे, तब इसमें दो की बजाय सिर्फ एक ही पायलट होगा। वो भी ट्रेन का संचालन नहीं करेगा। बल्कि मेट्रो के गेट बंद करने का काम करेगा। आॅटोमैटिक सिस्टम में ट्रेन की स्पीड और कहां पर उसे रूकना है समेत तमाम गतिविधियां आॅटोमैटिक होगी, इसमें पायलट की कोई दखलअंदाजी नहीं होगी। मौजूदा पायलट सिस्टम में खामी ये है कि इसमें जब भी ड्राइवर तय स्पीड से ज्यादा ट्रेन को दौड़ाने की कोशिश करता है, तो उसमें आॅटोमैटिक ब्रेक लग जाते हैं। इससे ट्रेन में बैठे यात्रियों को झटके लगते हैं। साथ ही ट्रेन को दोबारा चलाने में भी देर लगती है। आॅटोमैटिक ट्रेन संचालन में ये दिक्कतें नहीं आएंगी। लेकिन इसके लिए जयपुर मेट्रो को अभी बहुत से तकनीकी सुधार करने होंगे।