याचिकाकर्ता मोहनसिंह की ओर से अधिवक्ता समीर जैन ने कहा कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण लगातार फैल रहा है। अब प्रदेश में प्रतिदिन दो हजार से ज्यादा मरीज आ रहे हैं। वहीं संक्रमित मरीजों का अस्पतालों से बैड नहीं होने का हवाला देकर लौटाया जा रहा है। यदि कोई गरीब मरीज होम क्वारंटिन में रहकर इलाज करवाता है तो उसको प्राइवेट सेंटर्स पर जांच और दवाईयां लेनी पड़ रही है जो उनके लिए मुश्किल है। राज्य के सबसे बड़े अस्पताल एसएमएस सहित कई जिलों के सरकारी अस्पतालों को सरकार ने कोरोना फ्री अस्पताल के लिए आरक्षित कर दिया है। इन अस्पतालों में कोरोना मरीजो का ईलाज नही किया जा रहा है। वर्तमान में बिगड़ते हालात के चलते सरकार को एसएमएस सहित राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में कोरोना मरीजों का ईलाज शुरू करना चाहिए। सरकार को सभी निजी अस्पतालों को अपने अधीन नियत्रंण में लेकर युद्ध स्तर पर कार्य करना चाहिए। और आईसोलेशन के लिए भी सरकार को होटलों को अपने नियत्रंण में लेना चाहिए। याचिका मे राज्यभर में कोरोना मरीजों की सहायता के लिए हेल्प सेंटर बनाने चाहिए जहां पर दवा, सलाह और दूसरी सुविधाएं मिल सके। जिस पर मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत माहान्ति और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खण्डपीठ ने राज्य के मुख्य सचिव, एसीएस चिकित्सा और एसएमएस अधीक्षक को नोटिस जारी किये है। इसी के साथ राज्य सरकार को कोविड संक्रमित मरीजों के लिए अंतरिम तौर पर आवश्यक कदम उठाने को कहा है। मामले पर अब कोर्ट दो सप्ताह बाद सुनवाई करेगा।
पत्रिका उठा रहा है लगातार मुद्दा कोविड मरीजों के इलाज में हो रही परेशानी और बैड नहीं मिलने, आवश्यक संसाधन नहीं होने का मुद्दा लगातार पत्रिका उठा रहा है। पत्रिका ने एसएमएस सहित अन्य सरकारी अस्पतालों के एक हिस्से को कोविड केयर सेंटर में बदलने की बात उठाई है इसी के साथ निजी अस्पतालों की मनमानी, मनमाने शुल्क की बात भी उठाई है। इसी तरह के मामले अब जनहित याचिका में उठाए गए हैं। जिन पर कोर्ट ने सरकार से जवाब अंतरिम कदम उठाने के साथ जवाब मांगा है।