क्यों गायब हो रहे हैं पर्यटकों के रखवाले
जयपुरPublished: Sep 05, 2018 02:32:03 am
पांच साल में सैलानी डेढ़ गुना बढ़े, सुरक्षाकर्मी आधे ही रह गए
जयपुर. पर्यटन सीजन शुरू होने के साथ विदेशी सैलानियों का राज्य में आना शुरू हो गया है। हर साल लाखों पर्यटक आ रहे हैं और संख्या लगातार बढ़ रही है। लेकिन पर्यटन विभाग सहित जिम्मेदार अधिकारियों में पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर फिक्र नजर नहीं आ रही। पुलिस सहायता बल (टैफ) की संख्या दिन-ब-दिन कम हो रही है। पर्यटन थाना पुलिस से भी आपेक्षित सहयोग नहीं मिल पाता है।
वर्ष 2013 में राज्यभर में 31 करोड़ से अधिक पर्यटक आए। मार्च 2017 तक यह संख्या बढ़कर 47 करोड़ के पार हो गई। यानी डेढ़ गुना से भी अधिक सैलानी पांच साल में बढ़े। जबकि इनकी सुरक्षा के लिए तैनात पुलिस सहायता बल के जवानों की संख्या लगातार कम होती गई। वर्ष 2011 में 250 स्वीकृत पद थे, जो घटकर 139 रह गए हैं। पर्यटन विभाग ने टैफ में पद कम करने के पीछे पर्यटन थाना खोलने की बात कही थी लेकिन अब तक इस ओर कोई कदम नहीं बढ़ाया गया है।
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किसके भरोसे पर्यटक
बीते 5 साल में सैलानियों की संख्या 5 से 17 फीसदी तक बढ़ी है। इसके साथ ही अपराध भी बढ़े हैं। जयपुर और उदयपुर के पर्यटन थानों में केसों का बढ़ता ग्राफ चिंता बढ़ा रहा है। दोनों थानों में एक हजार से अधिक केस दर्ज हुए हैं। वहीं 1200 से अधिक लपकों को पकड़ा गया है। बीते एक माह में ही टैफ ने 30 से अधिक लपकों को पकड़ा है।
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इसलिए नहीं भरे जा रहे पद
टैफ में एक्स सर्विसमैन को लिया जाता है। राजस्थान एक्स सर्विसमेन कॉपरेशन लिमिटेड से इन सभी की भर्ती होती है। इन्हें 9200 रुपए प्रतिमाह मानदेय मिलता है। होमगार्ड को प्रतिदिन 693 रुपए मिलते हैं। पुलिस सहयोगी के तौर पर काम करने वाले टैफ के जवान कम वेतन होने के कारण रुचि नहीं ले रहे। टैफ के डिप्टी डायरेक्ट ने मानदेय बढ़ाने के लिए पत्र भी भेजा है।
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जरूरत 100 की, पद 50 ही
जयपुर में सैलानियों की बढ़ती संख्या के लिहाज से 100 लोगों की जरूरत है। लेकिन महज 50 पद हैं। इसमें भी 7 पद खाली हैं। राज्य के 11 जिलों में टैफ कार्यरत है और सभी जगह ऐसा ही हाल है।
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यहां सामंजस्य की कमी
शहर में पर्यटन पुलिस थाना है लेकिन यहां की नफरी सैलानियों की देखरेख में कम और कमिश्नरेट से मिलने वाली ड्यूटी में ज्यादा रुचि दिखाती है। ऐसे में पुलिस का सहयोग कम ही मिल पाता है।
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सैलानियों को सुरक्षित माहौल देना प्राथमिकता में है। कम वेतन होने के कारण पुलिस सहायता बल की कमी है। कोशिश है कि रिक्त पद जल्दी भर जाएं।
– सुरेंद्र सिंह शेखावत, उप-निदेशक, पुलिस सहायता बल