scriptवन्यजीव गणना 26 और 27 मई को,वैक्सीनेटेड और कोविड नेगेटिव स्टाफ ही कर सकेगा वन्यजीव गणना | Wildlife census on 26 and 27 May, only the vaccinated and covid negati | Patrika News

वन्यजीव गणना 26 और 27 मई को,वैक्सीनेटेड और कोविड नेगेटिव स्टाफ ही कर सकेगा वन्यजीव गणना

locationजयपुरPublished: May 18, 2021 04:05:23 pm

Submitted by:

Rakhi Hajela

ज्येष्ठ पूर्णिमा पर होती है वन्यजीव गणनाइस बार 26 मई का है वैशाख पूर्णिमा वॉटर ***** पद्धति से होती है गणनावन विभाग कर रहा है तैयारियां


जयपुर, 18 मई
एक बार फिर राज्य का वन विभाग (Forest Department) वन्यजीवों की गणना (Wild lige Cencus) के लिए तैयार है। हालांकि कोविड (Covid) का असर इस बार वन्यजीव गणना (Wild Life Cencus ) पर देखने को मिलेगा लेकिन विभाग इसकी तैयारियों में जुट गया है। आगामी 26 मई को ज्येष्ठ पूर्णिमा
को शुरू होने वाली इस गणना में कोविड वैक्सीन (Covid Vaccine) लगवा चुके कार्मिकों को शामिल किया जाएगा। ऐसे एनजीओ या वन्यजीव संरक्षण में रुचि रखने वाले व्यक्ति यदि वन्यजीव गणना में शामिल किया जाता है तो केवल उन्हीं व्यक्तियों को इसमें शामिल किया जाएगा जिनकी पिछले 72 घंटे की अवधि की आरटीपीसीआर रिपोर्ट नेगेटिव (RTPCR report Negative) होगी। 26 मई को शुरू होने वाली गणना अगले 24 घंटे तक चलेगी। वन्यजीव गणना करने वाले कार्मिकों को सेनेटाइजर, मास्क और मेडिकल किट प्रदान की जाएगी।
वन्यजीव बहुल क्षेत्रों में पानी की उपलब्धतानुसार 26 मई को मुख्य जलबिन्दु केन्द्रों पर वन्यजीव गणना होगी। विभाग ने वन्यजीव गणना के लिए जलबिन्दु केन्द्रों का आंकलन शुरू कर दिया है। ऐसे वॉटर हॉल्स जहां पर अधिक संख्या में विभिन्न प्रजाति के वन्यजीव आने की संभावना हैं वहां पर कैमरा ट्रेप लगाने की तैयारी की जा रही है।
दिया जाएगी ऑनलाइन ट्रेनिंग
वन्यजीव गणना में शामिल होने वाले कार्मिकों को ऑनलाइन ट्रेनिंग दी जाएगी। स्क्रूटनिंग में ही साथ आए लोगों को अलग.अलग दल में शामिल किया जाएगा, ताकि संक्रमण का खतरा न हो। कार्मिकों को ट्रेनिंग भी ऑनलाइन ही दी जाएगी। गणक के रूप में शामिल करने के लिए 24 मई तक आवेदन करना होगा।
ऐसे की जाती है गणना
वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को वन्यजीव गणना इसलिए करवाई जाती है क्योंकि रात को रोशनी अधिक रहती है। अभयारण्यों और जंगलों में मचान इस तरह से बनाए जाते हैं कि उनसे वन्यजीव डिस्टर्ब नहीं हो।
पैंथर की गणना मुख्यरूप से दो तरीके से की जाती है। एक वाटर गणना व दूसरी प्रत्यक्ष गणना। प्लास्ट ऑफ पेरिस से पैंथर का पगमार्ग लिया जाता है क्योंकि वह बदलता नहीं है। एक्सपर्ट के अनुसार पैंथर के पीछे वाले बाएं पैर का निशान फ्रेम में लिया जाता है। उसके पैर और अंगुली का नाप लिया जाता है। वहीं सांभर की गणना प्रत्यक्ष होती है। यह वॉटर बॉडीज पर आते हैं। पानी पीने हैं, पानी में बैठते हैं। पानी के अलावा कीचड़ वाले स्थान पर भी जाते हैं, ऐसे में वाटर गणना के अलावा वहां भी नजर रखी जाती है। इसी प्रकार चीतल, रोजड़ा आदि की गणना हेडकाउंटिंग से की जाती है।
इसमें यह माना जाता है कि वन्यजीव 24 घंटे के अंदर पानी के पास आएगा। ऐसे में मचान से गणना करने वाली टीम को वह जरूर दिखेगा और उसकी गणना हो जाएगी।
प्रदेश में इन वन्यजीवों की होगी गणना
1. कार्नीवोर्स यानी मांसाहारी
बाघ, बघेरा, जरख, सियार, जंगली बिल्ली, मरू चिल्ली, मछुआरा बिल्ली, बिल्ली, लोमड़ी, मरू लोमड़ी, भेडिय़ा, भालू, बिज्जू छोटा, बिज्जू बड़ा, कबर बज्जू, सियार गोश और पैंगोलिन।
2. हर्बीबोर यानी शाकाहारी
चीतल, सांभर, काला हिरण, रोजड़ा, नीलगाय, चिंकारा, चौसिंगा, जंगली सुअर, सैही, उडऩ गिलहरी और लंगूर।
3. बड्र्स यानी पक्षी
गोडावण, सारस, राजगिद्ध, गिद्ध, व्हाइट ब्लैक वल्चर, रेड हैडेड वल्चर, इजिप्शियन वल्चर, शिकारी पक्षी और मोर।
4. रेप्टाइल्स
घडिय़ाल, मगरमच्छ और सांडा।
इनका कहना है,
विभाग ने वन्यजीव गणना की तैयारी शुरू कर दी है। हालांकि कोविड को देखते हुए आवश्यक व्यवस्था के निर्देश दिए हैं। हमारा प्रयास है कि इस बार गणना का काम वन विभाग के कार्मिक ही करें। एनजीओ या अन्य वन्यजीव प्रेमियों को शामिल नहीं किया जाए लेकिन यदि कोई शामिल होना चाहता है तो उसे 72घंटे की अवधि की आरटीपीसीआर रिपोर्ट दिखानी होगी।
एमएल मीणा, प्रधान मुख्य वन सरंक्षक और मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक
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