भाजपा के प्रदेश में दो पद रिक्त चल रहे हैं। गुलाब चंद कटारिया को असम का राज्यपाल नियुक्त करने के बाद नेता प्रतिपक्ष का पद रिक्त चल रहा है। इसी तरह चुनाव अभियान समिति का संयोजक भी बनाया जाना है। इन दोनो पदों में से कोई पद पूनिया को नहीं दिया जाता है तो भाजपा उन्हें राष्ट्रीय टीम में भी पद दे सकती है।
पद छोड़ने के बाद सतीश पूनिया ने ये कहा कि मैं पार्टी का आभारी हूं कि मेरे जैसे साधारण किसान के घर में जन्में कार्यकर्ता को तीन वर्षों तक जिम्मेदारी देकर सम्मान दिया। इन तीन वर्षों में संगठनात्मक रचना और आंदोलन के द्वारा पार्टी को पूरी ताकत से धरातल पर सक्रिय करने में योगदान दे पाया। एक कार्यकर्ता के रूप में पार्टी के निर्देशानुसार जीवन पर्यन्त काम करता रहूंगा।
पद छोड़ने के बाद सतीश पूनिया ने ये कहा कि मैं पार्टी का आभारी हूं कि मेरे जैसे साधारण किसान के घर में जन्में कार्यकर्ता को तीन वर्षों तक जिम्मेदारी देकर सम्मान दिया। इन तीन वर्षों में संगठनात्मक रचना और आंदोलन के द्वारा पार्टी को पूरी ताकत से धरातल पर सक्रिय करने में योगदान दे पाया। एक कार्यकर्ता के रूप में पार्टी के निर्देशानुसार जीवन पर्यन्त काम करता रहूंगा।
2019 में बने थे अध्यक्ष सतीश पूनिया को लम्बे समय तक संगठन में काम करने का अनुभव रहा है। जनप्रतिनिधि के रूप में तोे वे पहली बार ही निर्वाचित हुए हैं, लेकिन संगठन के लम्बे अनभव को देखते हुए उन्हें सितम्बर 2019 में अध्यक्ष पद से नवाजा गया था। दिसम्बर, 2019 में वे निर्वाचित अध्यक्ष बने और दिसम्बर 2022 में निर्वाचित अध्यक्ष के रूप में तीन साल का कार्यकाल पूरा कर चुके थे।