बिजली सबसे ज्यादा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन करने वाला क्षेत्र है। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (आइईए) के अनुसार, पेरिस समझौते के तहत धरती के बढ़ते तापमान को 1.5 डिग्री तक सीमित रखने के लिए 2040 तक इस क्षेत्र के कार्बन उत्सर्जन शून्य करना आवश्यक है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए बिजली खपत में 2030 तक प्रतिवर्ष 20 फीसदी हिस्सेदारी नवीकृत ऊर्जा की बढ़ानी होगी। नवीकृत ऊर्जा में रेकॉर्ड बढ़ोतरी के बावजूद सौर-पवन ऊर्जा का अपेक्षित उत्पादन नहीं किया जा पा रहा है। रेकॉर्ड मांग के बावजूद सिर्फ 29 फीसदी ऊर्जा ही सौर-पवन से हासिल की जा रही है।
- 2015 के पेरिस जलवायु समझौते के बाद यह हिस्सेदारी से तुलनात्मक रूप से दोगुनी हो गई है।
- 50 देश (26त्न) अपनी ऊर्जा जरूरतों का दसवां हिस्सा सौर-पवन ऊर्जा से हासिल कर रहे हैं।
- 02 फीसदी पीछे है भारत उन 26 फीसदी देशों के मुकाबले ग्रीन एनर्जी में
कर्ज देने में भारतीय बैंक पीछे
मार्च 2020 तक वैकल्पिक ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए 8% कर्ज ही दिए।
सबसे ज्यादा कर्ज पंजाब में 17% तो सबसे कम ओडिशा में 0.1% दिए गए।
सरकारी बैंकों (5.2%) की अपेक्षा निजी बैंकों ने ज्यादा (14.8%) कर्ज बांटे।
2030 तक कुल खपत का 50% नवीकृत ऊर्जा से हासिल करना। कार्बन उत्सर्जन एक अरब टन तक नीचे लाना
वित्तीय वर्ष 2021-22 में राजस्थान का आरपीओ टारगेट 18% है। इसमें 8.50% सोलर और 8.90 % विंड एनर्जी और बाकी बायोमॉस है। लक्ष्य के अनुपात में 14.06 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा ही ले पाए। 2020-21 में 15.85% लक्ष्य दिया, लेकिन 12.31% नवीकरणीय ऊर्जा ले पाए।