तिल मांसपेशियों और हड्डियों के लिए फायदेमंद होता है। तिल में डाइट्री प्रोटीन व एमिनो एसिड होता है, जो बच्चों की हड्डियों के विकास में सहायक होता है। यह दर्दनाशक भी है। तिल के तेल की मालिश से दर्द में राहत मिलती है।
तिल ब्लड प्रेशर को नियंत्रित बनाए रखता है। तिल में पाए जाने वाले खनिज तथा विटामिन रक्त वाहिकाओं पर दबाव कम करने में सहायक होते है। इससे ब्लड प्रेशर संतुलित रहता है। इसमें मौजूद मैग्नेशियम ब्लड प्रेशर कम करने वाले तत्व के रूप में जाना जाता है।
तिल में पर्याप्त मात्रा में फाइबर होता है। फाइबर की अधिकता के कारण यह पेट और आंतें साफ करने में सहायक होता है। फाइबर आंतों की क्रियाशीलता बढ़ाते हंै। इससे कब्ज से ही राहत नहीं मिलती बल्कि पेट संबंधी कई परेशानी दूर होती हैं।
तिल से त्वचा को जरूरी पोषण मिलता है और इसमें नमी बरकरार रहती है। तिल का तेल त्वचा के लिए काफी फायदेमंद होता है। तिल को दूध में भिगोकर उसका पेस्ट चेहरे पर लगाने से चेहरे पर प्राकृतिक चमक आती है और इससे रंग भी निखरता है। इससे मिलने वाली कॉपर और जिंक की भरपूर मात्रा शरीर में कॉलेजन के निर्माण के लिए आवश्यक होती है। कॉलेजन हमारे शरीर का वह महत्वपूर्ण प्रोटीन है जो पूरे शरीर को जोड़े रखता है। हड्डी को मांसपेशी से जुड़ाव या लिगामेंट्स आदि सभी के कार्य करने में इन तत्वों की खास भूमिका होती है।
हमें भूख लगने के लिए घ्रेलिन नामक हार्मोन जिम्मेदार होता है। तिल इस हार्मोन में कमी लाता है। इस तरह तिल हमें भूख कम लगने और वजन कम करने में मददगार होता है। इसके अलावा तिल के कुछ विशेष फिटो केमिकल तत्व के कारण शरीर में फैट कम होता है। ये तत्व मेटाबोलिज्म को सुधारते हंै और लिवर की फैट को जलाने की शक्ति को बढ़ा देते हंै। इस प्रकार तिल का उपयोग वजन कम करने में बहुत सहायक होता है।
सूखी खांसी में तिल फायदेमंद होते हैं। सूखी खांसी होने पर तिल को मिश्री और पानी के साथ लेने से खांसी में राहत मिलती है। इसके अलावा तिल के तेल को लहसुन के साथ गर्म करके गुनगुने रूप में कान में डालने पर कान के दर्द में आराम मिलता है।
तिल में कई तरह के लवण जैसे कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, जिंक और सेलेनियम होते हैं जो हृदय की मांसपेशियों को सक्रिय रूप से काम करने में मदद करते हैं।