जयपुर

रशियन वैक्सीन की सफलता में भारत इस तरह कर सकता है मदद

आज सारी दुनिया की नजर रूस की कोविड 19 वैक्सीन पर है। इस वैक्सीन को gam-COVID-Vac के नाम से पंजीकृत किया गया है। साथ ही इसको दुनिया के पहले सैटेलाइट के समान महत्वपूर्ण खोज बताते हुए इसको स्पूतनिक वी का नाम भी दिया गया है। लॉन्च होने के साथ ही इस वैक्सीन की दुनिया भर में मांग भी देखी जा रही है।

जयपुरAug 13, 2020 / 07:51 am

Swatantra Jain

Covid19 cases marginally falls short of 5K in TamilNadu


आज सारी दुनिया की नजर रूस की कोविड 19 वैक्सीन पर है। इस वैक्सीन को gam-COVID-Vac के नाम से पंजीकृत किया गया है। साथ ही इसको दुनिया के पहले सैटेलाइट के समान महत्वपूर्ण खोज बताते हुए इसको स्पूतनिक वी का नाम भी दिया गया है। लॉन्च होने के साथ ही इस वैक्सीन की दुनिया भर में मांग भी देखी जा रही है। रूस का कहना कि वह सितंबर माह से इस वैक्सीन का मास प्रोडक्शन शूरू कर देगा। रूस ने इस वैक्सीन की जानकारी देने लिए जो वेबसाइट लॉन्च की है उसमें ये कहा गया है कि इस वैक्सीन की दुनिया भर में डिमांड है। रूस ने कहा है कि कम से कम 20 देशों ने इस वैक्सीन में रूचि दिखाई है। जिन देशों ने रूचि दिखाई है उनमें युएई, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, फिलीपीन्स, ब्राजील, मैक्सिको और भारत शामिल हैं। इधर रुसी समाचार एजेंसी तास ने कहा है कि दुनिया के 20 देशों से रूस के पास इस वैक्सीन की एक अरब यानी 100 करोड़ डोज के ऑर्डर पहले ही मिल चुके हैं।
भारत मदद करे तो जल्दी आ सकती है वैक्सीन


भारत में एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि अगर ये वैक्सीन सेफ है यानी इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है और ये इफेक्टिव हौ तो भारत को इस वैक्सीन को तुरंत हासिल कर इसका मास प्राडक्शन करना चाहिए। इससे इस वैक्सीन के ट्रायल में तेजी आएगी और भारत की मास प्रोडक्शन कपैसिटी के साथ मिलकर ये वैक्सीन जल्दी बाजार में आ जाएगी।
फिलहाल रूस में टीके की लिमिटेड डोज तैयार हो चुकी हैं और रूस ने दावा किया है कि अपने हेल्थ वर्कर्स और शिक्षकों को वैक्सीन देने से इसकी शुरुआत करेगा। सितंबर में दूसरे देशों से भी रूस इसके अप्रूवल की बात करेगा।

ह्यूमन ट्रायल के चरणों पर उठाए सवाल

इधर पारदर्शिता की कमी के चलते बहुत से देश इस पर सवाल उठा रहे हैं कि रूस ने ह्यूमन ट्रायल के सारे चरण पार किये भी हैं या नहीं! यही वजह देते हुए कोरोना से बुरी तरह से परेशान होने के बाद भी अमेरिका ने रूस की वैक्सीन लेने से साफ मना कर दिया है। ब्रिटेन ने भी साफ कर दिया है कि वह अपने नागरिकों को रूसी वैक्‍सीन की डोज नहीं देगा। खुद वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन का यही कहना है कि बिना पक्के डाटा के वैक्सीन दिया जाना ठीक नहीं। इन हालातों में ये भी हो सकता है कि पहले कुछ वक्त रूस की जनता पर ही लोगों की नजरें टिकी रहेंगी कि वैक्सीन से उन पर क्या असर दिख रहा है। इसके बाद दूसरे देश भी रूसी वैक्सीन लेने की सोच सकते हैं।
रूसी एजेंसी TASS के मुताबिक रूस में यह वैक्‍सीन मुफ्त में मिलेगी। इस पर आने वाली लागत को देश के बजट में पूरा किया जाएगा। वहीं बाकी देशों के लिए वैक्सीन की कीमत का खुलासा अभी नहीं किया गया है।

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