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महिलाएं ईश्वर का वरदान, खुद को कभी न समझें कमजोर

locationजयपुरPublished: Nov 27, 2022 02:41:31 pm

Submitted by:

Jaya Sharma

आधी आबादी यानी महिलाओं की सोच को अखबार में उतारने के लिए राजस्थान पत्रिका की संडे वुमन गेस्ट एडिटर की पहल के तहत आज की गेस्ट एडिटर आइपीएस अधिकारी डॉ. अमृता दुहन हैं। वर्तमान में वे जोधपुर ईस्ट में डीसीपी पद पर कार्यरत हैं। आपने हरियाणा से एमबीबीएस और पैथोलॉजी में एमडी भी की है। आपके पास मेडिकल कॉलेज में सहायक प्रोफेसर के रूप में काम करने का चार साल का अनुभव भी है। आप एसपी प्रतापगढ़, डीसीपी (यातायात) जयपुर, डीसीपी (मुख्यालय,अपराध) जयपुर और एसडीआरएफ की कमांडेंट भी रही हैं।

जयपुर कमिश्ररेट में पोस्टिंग के समय हमारा एक इनोवेशन पुलिस कर्मियों की स्वास्थ्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा

महिलाएं ईश्वर का वरदान, खुद को कभी न समझें कमजोर

जयपुर. मेरा जन्म हरियाणा के एक साधारण परिवार में हुआ है। रोहतक में पली-बढ़ी हूं, घर में शुरू से ही पढ़ाई का माहौल रहा है। पापा हमेशा से मुझे डॉक्टर और मेरे छोटे भाई को इंजीनियर बनाना चाहते थे। उनका यह सपना हम दोनों ने ही पूरा किया। एमबीबीएस करने के बाद मैंने एमडी किया और फिर मेडिकल कॉलेज में सर्विस करने लगी। लेकिन लगने लगा अब आगे क्या। आगे का रास्ता मैंने भाई से प्रेरित होकर चुना। उसने इंजीनियरिंग करने के बाद सिविल सेवा परीक्षा पास कर ली। सिविल सेवा में उसका सलेक्शन होने के बाद मुझे भी मोटिवेशन मिला। उस समय मेरी शादी हो चुकी थी और एक बच्चा भी। मेहनत के बूते पहले ही प्रयास में सिविल सेवा परीक्षा पास की। एक चिकित्सक के रूप में जहां मेरी प्राथमिकता लोगों को स्वस्थ बनाने की रहती थी, वहीं अब समाज से तकलीफ हटाने की रहती है। काम एक ही है, लेकिन बस उसके तरीके बदल गए हैं।

पुलिस कर्मियों के हेल्थ कार्ड बनवाए
जयपुर कमिश्ररेट में पोस्टिंग के समय हमारा एक इनोवेशन पुलिस कर्मियों की स्वास्थ्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा। यहां हमने थानों में जाकर पुलिस कर्मियों के हेल्थ कार्ड बनवाए। इसके तहत कर्मियों की जांचें की गई और दस साल तक उस कार्ड की मॉनिटरिंग की व्यवस्था की। जयपुर के बाद हैल्थ कार्ड की शुरुआत पूरे राज्य में हो गई। अक्सर पुलिस कर्मी खुद के स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रखते हैं।

कामकाजी महिलाओं की भूमिका अहम
मुझे लगता है कि कामकाजी महिलाओं की भूमिका अहम होती हैं, क्योंकि उनको अपने काम के साथ-साथ बच्चों को भी संभालना होता है। मेरा बेटा मेरे काम को देखकर समय से पहले मैच्योर हो गया है, वह समझने लगा कि यदि मम्मी उसके पास नहीं हैं तो जरूर किसी आवश्यक कार्य पर होंगी। पावर का दुरुपयोग नहीं करें: आज थाने पर माहिलाएं आसानी से अपनी बात रख सकती हैं। इतना कहना चाहूंगी कि किसी को यदि कोई कानून से मदद मिल रही हैं, तो वे उसका दुरुपयोग न करें।
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