इस घर में तीन महिलाएं चार से पांच घंटों के भीतर प्रतिदिन 250 से ज्यादा मास्क तैयार लोगों को वितरित करती हैं।
मास्क बनाना सीखा
महिलाओं ने बताया कि लोगों को बाजार से मास्क उपलब्ध नहीं हो रहे थे और कहीं-कहीं मिल भी रहे थे तो कीमत बहुत ज्यादा थी, जिसे आम आदमी खरीदने में असमर्थ थे। इसलिए उन्होंने निश्चय किया वे लोगोंको निःशुल्क मास्क बनाकर वितरित करेंगी। इसके लिए बाजार के मास्क को देखकर कपड़े के मास्क तैयार करने शुरू किए। शुरूआत में 100 के आसपास मास्क बन पाते थे, लेकिन अब प्रतिदिन 250 से ज्य़ादा मास्क आसानी से तैयार हो जाते हैं, इन मास्क को ट्रेफिक पुलिस, चौमूं कस्बे की विभिन्न कॉलोनियों और आसपास के ग्रामीण इलाकों में वितरित किया जाता है।
घर के पुरूष भी पीछे नहीं
मास्क तैयार करने के काम में जुटी महिलाओं का हाथ बंटाने में घर के पुरूष और बच्चे भी पीछे नहीं है। पुरूष और बच्चे मास्क के साइज के कपड़ा काटने से लेकर तैयार मास्क पर प्रेस करने का काम करते हैं। महिलाओं ने बताया कि वो इन मास्क को अच्छी तरह धोने के बाद ही लोगों को वितरित करते हैं, जिससे किसी प्रकार का संक्रमण न फैले।