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जयपुर

वेटरनरी संस्थाओं में काम ठप्प

वेटरनरी संस्थाओं में काम ठप्प कार्मिकों और डॉक्टर्स ने किया काम बंदगृह विभाग की गाइडलाइन की होगी पालनाअब नहीं करेंगे कामसंस्थान खुले रखने के मौखिक आदेश दे रहे मुख्यालय स्थित अधिकारीलेकिन , आवश्यक सेवाओं में शामिल नहीं विभागकोविड पॉजिटिव हो रहे कार्मिक

जयपुरApr 22, 2021 / 08:15 pm

Rakhi Hajela

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जयपुर, 22 अप्रेल
राज्य की आठ हजार से अधिक वेटरनरी संस्थाओं में काम बंद हो गया है, तकरीबन 10 हजार से अधिक कार्मिकों ने काम करने से इंकार कर दिया जिसके चलते विभाग की महत्वाकांक्षी इनाफ योजना सहित विभिन्न योजनाएं ठप्प हो गई हैं। वजह है पशुपालन विभाग का आवश्यक सेवाओं में शामिल नहीं होना। पिछले चार दिन से यह कार्मिक मुख्यालय स्थित अपने आला अधिकारियों से वेटरनरी संस्थाओं को खोले या बंद रखे जाने के संबंध में निर्देश मांग रहे थे साथ ही पशु चिकित्सा सेवाओं को आवश्यक सेवा में शामिल किए जाने और की मांग कर रहे थे, अधिकारियों ने संस्थाओं को खोले जाने के मौखिक आदेश तो दे दिए लेकिन अब तक विभाग को आवश्यक सेवा में शामिल नहीं करवा पाए, नतीजा कार्मिकों और वेटरनरी डॉक्टर्स ने गृह विभाग के आदेशों की पालना करने का निर्णय लिया।
कार्मिक हुए कोविड पॉजिटिव
वैक्सीनेशन नहीं होने और अन्य सुरक्षा संसाधनों के अभाव में वेटरनरी संस्थाओं में काम करने वाले कार्मिक भी कोविड पॉजिटिव हो रहे हैं। हाल ही में हनुमानगढ़ में पशु चिकित्सा उपकेंद्र भादरा में एक कार्मिक प्रदीप कुमार कोरोना पॉजिटिव पाए गए। पाूच बत्ती स्थित पॉलीक्लीनिक के चिकित्सक और कार्मिक पॉजिटिव हो चुके हैं। इससे पूर्व एक कार्मिक की ड्यूटी के दौरान मृत्यु भी हो चुकी है।
यह योजनाएं प्रभावित
पशुचिकित्सा संस्थान बंद होने से पशुपालन विभाग की कई योजनाएं प्रभावित हो रही हैं। पशु पालकों को पशु चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पा रही, साथ ही पशुधन निशुल्क आरोग्य योजना, राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम, पशुधन आरोग्य चल इकाई योजना, पशु नस्ल सुधार कार्यक्रम योजना और पशु चिकित्सा से जुड़े सभी काम ठप्प हो गए हैं।
डॉक्टर्स ने भी किया काम करने से इंकार
वेटरनरी संस्थाओं में कार्यरत कार्मिकों के साथ वेटरनरी डॉक्टर्स ने भी काम करने से इंकार कर दिया है। डॉक्टर्स का कहना है कि वर्तमान परिस्थिति में यदि संस्थाएं चालू रखने का निर्णय लिया जाता है तो विभागीय अधिकारियों और कार्मिकों को कोरोना वॉरियर्स के रूप में शामिल किया जाए, उन्हें जान जोखिम भत्ते की सुविधा के साथ अन्य आवश्यक संसाधन उपलब्ध करवाए जाएं। यदि ऐसा नहीं होता तो कोविड के दौरान वेटरनरी संस्थानों को चालू रखना संभव नहीं होगा।
कार्यवाही हुई तो कौन होगा जिम्मेदार
राजस्थान पशु चिकित्सा तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष बनवारी लाल बुनकर ने कहा कि बिना आवश्यक सेवाओं में शामिल किए यदि संस्थानों को खोला जाता है तो कार्मिकों को संस्थान जाना होगा और इसके लिए सरकार की गाइडलाइन का उल्लंघन कर संस्थाओं तक पहुंचना होगा। ऐसे में यदि कार्मिकों पर आइपीसी की धारा 188 के कानूनी प्रावधानों के तहत और राजस्थान महामारी अधिनियम 2020 के कार्यवाही होती है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा। बुनकर ने यह भी कहां यदि विभाग द्वारा बिना आवश्यक सेवाओं में सम्मिलित किए हुए संस्थाओं को खुलवाया जाता है तो ऐसे में यदि किसी कार्मिक की फील्ड वर्क के दौरान कोरोना संक्रमित होने पर कोई अनहोनी हो जाती है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा। संयुक्त निदेशक कार्यालय जहां पशुचिकित्सा का कार्य नहीं होता वहां अधिकारी अपनी मनमर्जी से आदेश निकालकर कार्यालय बंद कर रहे हैं और कर्मचारियों से संस्थाओं को खुलाने के मौखिक निर्देश दे रहे हैं यह गलत है। जब तक पशुचिकित्सा कर्मियों को आवश्यक सेवाओं में सम्मिलित कर कोरोना वॉरियर्स को देय सभी परिलाभ नहीं मिल पाते तब तक समस्त संस्थाओं को बंद रखा जाएगा।
कार्मिकों को बाध्य कर रहा विभाग
राजस्थान पशु चिकित्सा कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष अजय सैनी ने कहा कि कार्मिकों को अभी तक मुख्यालय से संस्थान खोले जाने के अधिकारिक आदेश प्राप्त नहीं हुए हैं। फिर भी अधिकारी संस्थान खोले जाने का दबाब डाल रहे हैं लेकिन संघ के तहत आने वाले वेटरनरी संस्थान बंद रहेंगे । जब तक पशुचिकित्सा कर्मियों को आवश्यक सेवाओं में सम्मिलित कर कोरोना वॉरियर्स को देय सभी परिलाभ नहीं मिल पाते तब तक समस्त संस्थाओं को बंद रखा जाएगा।
यह है कार्मिकों की डिमांड
अनिवार्य सेवा में किया जाए शामिल
कार्मिकों को मिले परिचय पत्र व सुरक्षा साधन
सभी कार्मिकों का हो वेक्सीनेशन
इनका कहना है,
हमने गृह विभाग को प्रस्ताव भेजा है कि पशु चिकित्सा सेवाओं को आवश्यक सेवाओं में शामिल किया जाए। एक दो दिन में ही इस संबंध में निर्णय हो जाएगा।
डॉ. वीरेंद्र सिंह, निदेशक
पशुपालन विभाग।

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