ब्लड ग्रुप से बीमारियों का जोखिम
एक रिसर्च के मुताबिक कुछ ब्लड ग्रुप के लोगों में विशेष प्रकार की बीमारियों का जाखिम होता है। एक स्टडी कहती है कि ‘ओ’ ब्लड ग्रुप वाले लोगों में हृदय रोग का खतरा कम होता है। लेकिन इन लोगों में पेट के अल्सर का जोखिम होता है। ‘ए’ टाइप ब्लड ग्रुप वाले लोगों में सूक्ष्म संक्रमण का बहुत ज्यादा जोखिम होता है, लेकिन इस ब्लड ग्रुप वाली महिलाओं की रिप्रोडक्टिव क्षमता अच्छी होती है। एक दूसरी रिसर्च के अनुसार टाइप ‘एबी’ और ‘ए’ वाले लोगों में अग्नाशय का कैंसर होने का खतरा रहता है।
याद्दाश्त की समस्याएं
एक शोध कहता है कि ‘एबी’ ब्लड ग्रुप वाले लोगों में ज्यादा सोचने और याददाश्त कमजोर होने की समस्या हो सकती है। इससे आगे के जीवन में उन्हें दूसरे रक्त समूहों वाले लोगों की तुलना में मनोभ्रंश होने का खतरा बढ़ जाता है। बर्लिगटन में यूनिवर्सिटी ऑफ वरमॉन्ट के कॉलेज ऑफ मेडिसिन में शोधकर्ता मेरी कशमैन के मुताबिक, शोध के दौरान ब्लड ग्रुप और संज्ञानामत्मक हानि पर स्टडी की गई। जिन लोगों का ब्लड ग्रुप ‘एबी’ होता है, उनमें स्मृति संबंधी समस्याएं होने का खतरा दूसरे ब्लड ग्रुप वाले लोगों की अपेक्षा 82 फीसदी अधिक होता है। शोधकर्ताओं का अंदेशा है कि ऐसा प्रोटीन थक्कों की वजह से होता है। ये थक्के मस्तिष्क में रक्त प्रवाह की क्वालिटी कम करता है।
अग्नाशय कैंसर
बैक्टीरिया इंफेक्शन पर काम करने वाले येल युनिवर्सिटी के रिसर्चर्स का कहना है कि ब्लड ‘ओ’ के लोगों में अग्नाश्य कैंसर का खतरा कम होता है। लेकिन पिछले साल विश्वविद्यालय के कैंसर केंद्र वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में पाया कि हेलिकोबेक्टर या एच पाइलोरी नामक जीवाणु की आम प्रजाति लोगों के पेट में रहती है। उन्होंने पाया कि एच पाइलोरी से ग्रस्त लोगों में अग्नाशय कैंसर के विकास की संभावना बहुत ज्यादा होती है। इसका कारण ‘ए’ और ‘बी’ एंटीजन बैक्टीरिया को पनपने में सहायता करते हैं। ‘ए’ ब्लड ग्रुप के लोगों में लाल रक्त कोशिकाओं की सतह पर कोई एंटीजन नहीं होता है। यही वजह है कि वे किसी को भी ब्लड डोनेट कर सकते हैं।
हृदय रोग
2012 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में एक अध्ययन हुआ। इसमें सामने आया कि ‘ओ’ नेगेटिव ब्लड ग्रुप वाले लोगों को हार्ट डिसीज का सर्वोच्च जोखिम है। वहीं ‘एबी’ रक्त समूह में ओ प्रकार के लोगों की तुलना में 23 प्रतिशत ज्यादा मिला। एसिस्टेंट प्रोफेसर डिपार्टमेंट ऑफ न्यूट्रिशन के सहायक प्रोफेसर, लेखक डॉक्टर लू क्यूई के अनुसार, एंटीजन कोलेस्ट्रॉल और रक्तचाप की तरह काम करता है। लोग अपने ब्लड ग्रुप को तो नहीं बदल सकते, लेकिन चिकित्सक ब्लड ग्रुप देखकर इस बात को अच्छे से समझ सकते हैं कि किसमें हृदय रोग का खतरा है।
2012 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में एक अध्ययन हुआ। इसमें सामने आया कि ‘ओ’ नेगेटिव ब्लड ग्रुप वाले लोगों को हार्ट डिसीज का सर्वोच्च जोखिम है। वहीं ‘एबी’ रक्त समूह में ओ प्रकार के लोगों की तुलना में 23 प्रतिशत ज्यादा मिला। एसिस्टेंट प्रोफेसर डिपार्टमेंट ऑफ न्यूट्रिशन के सहायक प्रोफेसर, लेखक डॉक्टर लू क्यूई के अनुसार, एंटीजन कोलेस्ट्रॉल और रक्तचाप की तरह काम करता है। लोग अपने ब्लड ग्रुप को तो नहीं बदल सकते, लेकिन चिकित्सक ब्लड ग्रुप देखकर इस बात को अच्छे से समझ सकते हैं कि किसमें हृदय रोग का खतरा है।
तनाव तनावपूर्ण स्थितियों की प्रतिक्रिया में ‘ए’ ब्लड ग्रुप वाले लोगों के शरीर में कोर्टिसोल तनाव हार्मोन के उच्च स्तर का और अधिक उत्पादन करते हैं। तनाव को कम करने के लिए ताई ची और योग बहुत फायदेमंद हो सकती है। अधिवृक्क ग्रंथि के रक्त में अधिक कोर्टिसोल उदासीनता के कारण लोगों में तनाव प्रतिक्रिया और ज्यादा बढ़ जाती है। ब्लड ग्रुप ‘ए’ वाले बहुत जल्दी चिन्तित हो जाते हैं।
एक्सरसाइज
आमतौर पर, किसी भी व्यक्ति की रेड ब्लड सेल्स में उपस्थित एंटीजन का निर्धारण कुछ हार्मोन पर निर्धारित होता है। ब्लड ग्रुप ‘ए’ और ‘बी’ वाले लोग कम तीव्रता वाली एक्सरसाइज जैसे योगा से आसानी से तनाव को शांत कर पाते हैं, वहीं ‘एबी’ ब्लड ग्रुप से संबंधित लोग वर्कआउट के माध्यम से अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली का ध्यान रखते हैं। जबकि ‘ओ’ ब्लड ग्रुप वाले लोग असमर्थता से होने वाली समस्याओं को जल्द ही अपने सिस्टम से तनाव हार्मोन को स्पष्ट कर लेते हैं। ‘ओ’ ग्रुप वाले लोग तनाव लेते हैं, लेकिन तनाव को दूर भी बहुत अच्छी तरह से कर सकते हैं। ये जानकारी राजस्थान के चिकित्सकों के लिए भी बीमारी और उसका इतिहास जानने के लिए बेहद अहम है।
आमतौर पर, किसी भी व्यक्ति की रेड ब्लड सेल्स में उपस्थित एंटीजन का निर्धारण कुछ हार्मोन पर निर्धारित होता है। ब्लड ग्रुप ‘ए’ और ‘बी’ वाले लोग कम तीव्रता वाली एक्सरसाइज जैसे योगा से आसानी से तनाव को शांत कर पाते हैं, वहीं ‘एबी’ ब्लड ग्रुप से संबंधित लोग वर्कआउट के माध्यम से अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली का ध्यान रखते हैं। जबकि ‘ओ’ ब्लड ग्रुप वाले लोग असमर्थता से होने वाली समस्याओं को जल्द ही अपने सिस्टम से तनाव हार्मोन को स्पष्ट कर लेते हैं। ‘ओ’ ग्रुप वाले लोग तनाव लेते हैं, लेकिन तनाव को दूर भी बहुत अच्छी तरह से कर सकते हैं। ये जानकारी राजस्थान के चिकित्सकों के लिए भी बीमारी और उसका इतिहास जानने के लिए बेहद अहम है।