वल्र्ड ब्रेन ट्यूमर-डे
वल्र्ड ब्रेन ट्यूमर-डे आज...

जयपुर .
आज भागदौड़ की जिंदगी में अब हर उम्र के लोगों में तनाव आम समस्या बनकर उभर रहा है। इसके कारण कई बार हमारी लाइफ स्टाइल में बदलाव होते हैं, लेकिन हम इसे नजर अंदाज कर देते हैं। उसी तरह आज हर शहर में बच्चों से लेकर बड़ों में भी सिरदर्द आम समस्या है। यह ब्रेन ट्यूमर का एक प्रमुख लक्षण भी हो सकता है। लोगों में जागरुकता लाने के लिए हर साल आठ जून को वल्र्ड ब्रेन ट्यूमर-डे मनाया जाता है।
न्यूरोसर्जन डॉ. शंकर बंसन्दानी ने बताया कि शरीर में बनने वाले सेल्स कुछ समय बाद नष्ट हो जाते हैं। उनकी जगह नए सेल्स बनते हैं। यह एक साधारण प्रक्रिया है। जब यह प्रक्रिया बाधित होती है, तो ट्यूमर सेल्स बनने लगते हैं। ब्रेन ट्यूमर (मेलेगनेनट) को सर्जरी करके निकाला जा सकता है। न्यूरो सर्जन डॉ.के.के.बंसल ने बताया कि ट्यूमर कई कारणों से बन सकते हैं, जैसे विशेष प्रकार के विषाणु के संक्रमण से, प्रदूषित पदार्थों के साथ शरीर में प्रवेश कर जाने आदि से ये सेल जमा होकर टिशु बनाते हैं।
दो प्रकार का होता है ट्यूमर -:
न्यूरोलोजिस्ट डॉ.एस.पी.पाटीदार ने बताया कि बच्चों में यह बीमारी जीन में खराबी के कारण हो रही है। जब बच्चा मां के गर्भ में होता है तो गर्भावस्था में पहले तीन माह एवं अंत के तीन माह का समय मां के द्वारा ली गई कोई दवाई, रेडियेशन का प्रभाव या पर्यावरण विकार के कारण जीन को नुकसान हो जाता है। इस कारण होने वाले बच्चे में कुछ सालों बाद ही ट्यूमर असर दिखाने लगता है। इसी वजह से और जेनेटिक कारणों से आज बच्चों में यह बीमारी ज्यादा हो रही है।
इन जांचों से लगाया जाता है पता -:
न्यूरो सर्जन डॉ. कृष्ण हरि शर्मा ने बताया कि नवीनतम जांच तकनीकों व मरीजों की बढ़ती जागरुकता के कारण ब्रेन ट्यूमर का पता काफी पहले लग जाता है। आमतौर पर शुरुआती लक्षण आम होने से मरीज लापरवाही बरतता है, लेकिन इसके लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। ब्रेन ट्यूमर की पुष्टि के लिए एमआरआई, सीटी स्कैन, एंजियोग्राफी, स्पाइनल टेप, बायोप्सी आदि प्रमुख हैं।
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