टाइप-1 और टाइप-2, डायबिटीज
टाइप-1 मुख्य रूप से जेनेटिक कारणों से होती है। जबकि सबसे ज्यादा होने वाली डायबिटीज टाइप-2 के पीछे अनियमित जीवनशैली व गलत खानपान मुख्य वजह है। डायबिटीज टाइप -2 को जीवनशैली व खानपान में बदलाव कर नियंत्रित किया जा सकता है।
वर्तमान में डायबिटीज़ से पीड़ित 35% लोग इन्सुलिन पर निर्भर हैं। टाइप 1 डायबिटीज़ से पीड़ित लोगों के उपचार में इन्सुलिन से काफी मदद मिलती है वहीं टाइप 2 डायबिटीज़ से पीड़ित लोग जिनका दवाईयों, आहार और व्यायाम के बावजूद शुगर नियंत्रण नहीं हो रहा उन्हें अपना ब्लड शुगर नियंत्रित करने और कार्डियोवैस्कुलर बीमारी, स्ट्रोक, पैरिफेरल वैस्कुलर रोग, किडनी रोग जैसी बीमारियों से बचने के लिए लइन्सुलिन इंजेक्शन्स लेने की ज़रुरत होती है। डॉ. शर्मा का कहना इन्सुलिन लेने से पहले उसे लेने और लेते वक्त रखनी वाली सावधानियों के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श ले है।
युवाओं में तेजी से बढ़ रही डायबिटीज एक अध्यनन में सामने आया डायबिटीज युवाओं में तेजी से बढ़ रही है खासतौर से टाइप-2 डायबीटीज । भारत में डायबिटीज से पीड़ित 25 वर्ष से कम आयु के हर चार लोगों में से एक व्यक्ति को टाइप 2 डायबीटीज है । दुनिया के बाकी देशों की तुलना में भारत में डायबिटीज सबसे तेजी से लोगों को चपेट में ले रहा है । अधिकांश देशों में डायबिटीज पीड़ित 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र के हैं लेकिन भारत में 30 से 50 वर्ष के लोग इस बीमारी की चपेट में सबसे अधिक आते हैं । 25 साल से कम उम्र के हर 4 में से एक युवा डायबिटीज से पीड़ित है।