सुनियोजित शहर के हेरिटेज पर ‘कालिख’

World Heritage City Jaipur: सुनियोजित विश्व विरासत शहर में अतिक्रमण के ‘दाग’ हेरिटेज संरक्षण में बड़ी बाधा बने हुए है। परकोटे की दीवार के साथ यहां के बाजारों में हो रहा अतिक्रमण दिनों—दिन शहर के मूल स्वरूप को बिगाड रहा है।
 

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World Heritage City Jaipur: जयपुर। सुनियोजित विश्व विरासत शहर में अतिक्रमण के ‘दाग’ हेरिटेज संरक्षण में बड़ी बाधा बने हुए है। परकोटे की दीवार के साथ यहां के बाजारों में हो रहा अतिक्रमण दिनों—दिन शहर के मूल स्वरूप को बिगाड रहा है। जिस परकोटे की दीवार के लिए यूनेस्को ने शहर को विश्व विरासत का दर्जा दिया, वह ‘दीवार’ ही अतिक्रमण की भेंट चढ़ी हुई है। बाजारों में बरामदों में ‘दुकानें’ सज रही है। जिन राहगीरों के लिए बरामदें खाली करवाए गए, वे अतिक्रमण के चलते सड़क पर चलने को मजबूर हो रहे है।

यूनेस्को के दखल के बाद सरकार ने चारदीवारी क्षेत्र के हेरिटेज को बचाने के लिए अलग से अथॉरिटी बनाने को अंतिम रूप दिया जा रहा है, वहीं पहली बार परकोटे क्षेत्र का अलग से मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है, लेकिन परकोटे के बाजारों को एकरूपता देने के लिए आजादी से पहले बनाए गए बरामदे आज अतिक्रमण की भेंट चढ़ चुके है। नगर निगम की अनदेखी के चलते शहर के जौहरी बाजार, त्रिपोलिया बाजार, चांदपोल बाजार, रामगंज व घाटगेट बाजार के बरामदों में दुकानदारों ने दुकानें सजा रखी है। आधे से अधिक बरामदों में दुकानदार सामान रख रहे है। इससे राहगीरों को बरामदों में चलने की जगह नहीं मिल रही है। मजबूर हो कर राहगीरों को दौड़ते ट्रैफिक के बीच सड़क पर चलना पड़ रहा है।

बरामदों के उपर भी अतिक्रमण
बरामदें ही अतिक्रमण की चपेट में नहीं है, बल्कि बरामदों के उपर भी लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है। कुछ जगहों पर दुकानें भी सज रही है। कुछ जगहों पर लोगों ने बरामदें की छत का ही स्वरूव बिगाड़ दिया है।

फुटपाथ भी अतिक्रमण की चपेट में
बाजारों के फुटपाथ भी अतिक्रमण की चपेट में है। किशनपोल बाजार में फुटपाथ तक दुकानें सज रही है। वहीं चांदपोल बाजार और त्रिपोलिया बाजार में फुटपाथ पर अस्थाई दुकानें लगी हुई है।

बरामदे बना बाजारों को दी एकरूपता
जयपुर फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष सियाशरण लश्करी ने बताया कि जयपुर एक ऐसा शहर है, जिसे बसाया तो सवाई जयसिंह द्वितीय ने था, लेकिन जयपुर शहर की बसावट की कल्पना 150 साल पहले ही मिर्जा राजा मानसिंह प्रथम ने कर ली थी। नवग्रहों के अनुरूप यहां नौ चौकड़ियां बसाई गई है। साल 1942 में बाजारों के टीनशेड हटाकर बरामदें बनवाए और बाजारों को एकरूपता दी गई।

 

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जिस परकोटे को मिला खिताब, वह ही अतिक्रमण की चपेट में
यूनेस्को ने 5 फरवरी 2020 को जयपुर के चारदीवारी क्षेत्र को विश्व धरोहर शहर का दर्जा दिया, इस खिताब के लिए करीब 18 किलोमीटर लंबी परकोटे की दीवार ने अहम भूमिका निभाई। परकोटे की यह दीवार ही 12 किलोमीटर तक अतिक्रमण के आगोश में दबी हुई है। सिर्फ 6.4 किलोमीटर ही अतिक्रमण मुक्त है, बाकि पर अवैध कब्जे व अतिक्रमण हो गए है।

 

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अतिक्रमण हटें तो बने बात
हैरिटेज नगर निगम के कॉर्डिनेटर सी.एस. पाराशर का कहना है कि सुनियोजित शहर का सपना तब ही पूरा हो सकता है, जब बाजार के अतिक्रमण हटे। बाजार के बरामदे जिस उद्देश्य के लिए बनाए गए है, वह पूरा नहीं हो पा रहा है। बरामदों के साथ उसकी छत भी अतिक्रमण की भेंट चढ़ चुकी है।

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