जयपुर

अब परकोटे में अनुमति के बाद हो सकेगा निर्माण

वल्र्ड हेरिटेज सिटी (World heritage city) के चारदीवारी क्षेत्र की हेरिटेज इमारतों व हवेलियों को बचाने के लिए नए बिल्डिंग बायलॉज लागू (New building bylaws implemented) कर दिए है। सरकार ने नगर निगम जयपुर हैरिटेज (वॉल्ड सिटी) हैरिटेज कन्जर्वेशन एंड प्रोटेक्शन बॉयलॉज-2020 का गजट नोटिफिकेशन कर दिया है। परकोटे में अब नए निर्माण की अनुमति मिल सकेगी। नए निर्माण या पुनर्निर्माण की अनुमति तकनीकी कमेटी दे सकेगी।

जयपुरJul 09, 2020 / 10:57 pm

Girraj Sharma

अब परकोटे में अनुमति के बाद हो सकेगा निर्माण

अब परकोटे में अनुमति के बाद हो सकेगा निर्माण
— जयपुर चारदीवारी क्षेत्र के लिए नए बिल्डिंग बायलॉज लागू
— हेरिटेज कन्जर्वेशन एंड प्रोटेक्शन बॉयलॉज-2020 का गजट में नोटिफिकेशन जारी

जयपुर। वल्र्ड हेरिटेज सिटी (World heritage city) के चारदीवारी क्षेत्र की हेरिटेज इमारतों व हवेलियों को बचाने के लिए नए बिल्डिंग बायलॉज लागू (New building bylaws implemented) कर दिए है। सरकार ने नगर निगम जयपुर हैरिटेज (वॉल्ड सिटी) हैरिटेज कन्जर्वेशन एंड प्रोटेक्शन बॉयलॉज-2020 का गजट नोटिफिकेशन कर दिया है। परकोटे में अब नए निर्माण की अनुमति मिल सकेगी। नए निर्माण या पुनर्निर्माण की अनुमति तकनीकी कमेटी दे सकेगी। हालांकि फसाड पर अस्थाई होर्डिंग, साइन बोर्ड नहीं लगाया जा सकेगा। हवेलियों के चौक में कोई निर्माण नहीं हो सकेगा। पेटिंग, पारम्परिक कला, नक्काशी आदि को नहीं बदला जा सकेगा।
नए बिल्डिंग बायलॉज के अनुसार परकोटे में नॉन कामर्शियल जोन में बनी निजी हवेलियों में कामर्शियल गतिविधियां संचालित करने की अनुमति दी जा सकेगी। हालांकि यह अनुमति भूतल और प्रथल तल पर ही दी जा सकेगी। इसके लिए हेरिटेज स्वरूप को बरकरार रखना पडेगा। नए बिल्डिंग बायलॉज के अनुसार हवेलियों व इमारतों को इन श्रेणियों में बांटा गया है। पहली श्रेणी में नेशनल लेवल और स्टेट लेवल की हेरिटेज इमारते शामिल की गई है। इनमें किसी तरह के बदलाव पर पूर्ण पाबंदी रहेगी। इन्हें सिर्फ संरक्षित रखा जाएगा। दूसरी श्रेणी में चारदीवारी क्षेत्र की कलात्मक हवेलियां शामिल है। इनमें तकनीकी कमेटी की अनुमति के बाद छोटे—मोटे निर्माण की अनुमति मिलेगी, हालांकि यह अनुमति इमारत के अंदर की ही मिलेगी। इमारत के बाहर कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। इनमें पर्यटन से जुड़ी गतिविधियां (गेस्ट हाउस, होटल, क्राफ्ट सेंटर आदि) संचालित हो सकेंगी। अभी तक इन हवेलियों का केवल आवासीय उपयोग ही किया जा सकता था। वहीं तीसरी श्रेणी में पुरानी हवेलियां आदि को शामिल किया गया है। इनके बाहर फसाड वर्क गाइडलाइन के अनुसार ही होगा। अंदर बदलाव की अनुमति दी जा सकेगी।
मुख्य बाजार में ये होगा
मुख्य बाजार व मुख्य सडक में 15 मीटर (जी प्लस 3) व भीतरी गलियों में 12 मीटर (जी प्लस 2) तक ही निर्माण रहेगा। बेसमेंट की अनुमति नहीं होगी, हालांकि सार्वजनिक पार्किंग में बेसमेंट में छूट रहेगी।
यूडी टैक्स में भी मिलेगी छूट
हैरिटेज हवेलियों का संरक्षण करने वाले मालिकों को यूडी टैक्स आदि में भी छूट दी जाएगी। इन हवेलियों को पर्यटन संबंधी इन्फ्रास्ट्रक्चर भी उपलब्ध करवाया जाएगा। अगर हवेली को संरक्षित रखते है और संरक्षित रखने के लिए शपथ पत्र देते है तो उन्हें छूट लाभ मिलेगा।

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