बधाईयों का कारवां अब भी 50 पैसे पर सवार… आज 50 पैसे का सिक्का भले ही कम ही नजर आता हो लेकिन डाक विभाग में इसकी बहुत कीमत है। विभाग ने 50 पैसे लेकर पोस्टकार्ड देने की परंपरा को खत्म नहीं किया है। समय के साथ—साथ हर वस्तु की कीमत बढ़ी है लेकिन विभाग ने घाटे में चलने के बावजूद पोस्टकार्ड की कीमत नहीं बढ़ाई है। इसकी सबसे बड़ी वजह आम लोगों के बीच इसकी उपयोगिता है। आज भी शोक संदेश से लेकर बधाइयों का कारवां पोस्टकार्ड पर सवार होकर ही एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचता है। राजधानी जयपुर की बात करें तो यहां प्रतिदिन लगभग 50 हजार डाक आती-जाती है। इसमें सामान्य लिफाफे, अंतरदेशीय पत्र, पोस्टकार्ड के अलावा स्पीड पोस्ट, रजिस्टर्ड पत्र और पार्सल शामिल है। विभाग की मानें तो बदलते वक्त के साथ पोस्टकार्ड की अहमियत भले ही कम हो गई है लेकिन आज भी पोस्टकार्ड की उपयोगिता जनसामान्य के बीच बेहद प्रचलित है। यहीं वजह है कि इसकी कीमत 50 पैसे से अधिक नहीं बढ़ाई गई है। इधर, विभाग के उच्चाधिकारियों का कहना है कि पोस्टकार्ड की कीमत से विभाग को कोई बड़ा रेवेन्यू भी नहीं मिल रहा है लेकिन जब तक केंद्र सरकार इस स्कीम में बदलाव नहीं करती तब तक इसी कीमत पर पोस्टकार्ड बेचे जाएंगे।
आज से शुरु हुई ‘इंटरनेशनल क्रेक्ड पैकेज’— केंद्र सरकार की हरी झंडी के बाद जयपुर जीपीओ में भी आज एक ही समय पर ‘इंटरनेशनल क्रेक्ड पैकेज’ योजना की शुरुआत की जा रही है। अब से विदेशी डाक भेजने के लिए आईपीएस तकनीक का प्रयोग नहीं होगा बल्कि सीधे ही डाक ‘ट्रेक एंड ट्रेस सिस्टम’ से अपने गंतव्य तक पहुंच सकेगी। इस सुविधा पर ग्राहक को 100 ग्राम पर तकरीबन 300 रुपए ही देना होंगे। पहले यह कीमत 400 से 450 रुपए तक वसूली जाती थी।
इनका कहना है— डाक विभाग को वर्तमान समय के साथ एडवांस और एक्टिव बनाने के लिए बदलाव किए जा रहे है। इस विश्व डाक दिवस से एक नई सुविधा ‘इंटरनेशनल क्रेक्ड पैकेज’ की शुरुआत करना इसी का परिणाम है। अब से विदेश में डाक भेजना आसान होगा। और कीमत भी पहले की तुलना में कम हो गई है। जो पुरानी योजनाएं है उन्हें बंद करने पर फिलहाल कोई निर्णय नहीं हुआ है। पोस्टकार्ड भी वर्तमान में प्रचलन में है।
-दुष्यंत मुद्गल, निदेशक डाक सेवा