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बार-बार शक तो जरूरत डॉक्टर की ना की पुलिस की

locationजयपुरPublished: May 24, 2018 01:42:06 pm

Submitted by:

Ashiya Shaikh

विश्व सिजोफ्रनिया डे पर खास रिपोर्ट

world schizophrenia day news

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जयपुर . यदि आप दूसरों को लेकर इस बात कि चिंता कर रहे है कि वह आप के प्रति क्या सोच रहा है या वो आपको नजर अंदाज तो नहीं कर रहा है तो आप सिजोफ्रेनिया से ग्रासित हो सकते है। फिर चाहे पति-पत्नी के बीच आपसी विश्वास हो या अन्य संबंध या मित्रों के बीच विश्वास। मनोचिकित्सकों ने बताया कि सिजोफ्रेनिया का रोगी सच और कल्पना के बीच का अंतर नहीं समझ पाता। जिस वजह से रोगी को भारी मानसिक पीड़ा से गुजरना पड़ता है। वह अपने ही विचारों में खोया रहता है। यहा तक कि वो हर व्यक्ति को शक की निगाह से देखता है। जैसे उसके आस-पास के लोग उसके खिलाफ षडयंत्र रच रहे हो। उसे अजीबो-गरीब डरावनी आवाजे सुनाई पड़ती हैं, डरावनी परछाइयां दिखाई पड़ती हैं। इन सबसे घबरा कर वह हिंसा और आत्महत्या जैसे कदम तक उठाने की कोशिश करता है। विश्व सिजोफ्रनिया डे पर खास रिपोर्ट।
फैक्ट फाइल
1 लाख सिजोफ्रेनिया के शिकार
60 प्रतिशत पुरूषों में
30 प्रतिशत महिलओं में
10 प्रतिशत बच्चों में
20 से 30 उम्र में बढ़ती बीमारी
मनोचिकित्सालय के अनुसार आकड़े

आनुवंशिक भी होता सिजोफ्रेनिया
मनोचिकित्सालय के चिकित्सकों ने बताया कि माता-पिता में किसी एक को यह बीमारी होने पर उनके बच्चे को यह बीमारी होने की आशंका 15 से 20 प्रतिशत तक होती है, जबकि माता-पिता दोनों को यह बीमारी होने पर बच्चे को यह बीमारी होने की आशंका 60 प्रतिशत तक हो सकती है। जुड़वा बच्चों में से एक को यह बीमारी होने पर दूसरे बच्चे को भी यह बीमारी होने की आशंका शत-प्रतिशत होती है। सिजोफ्रेनिया की बीमारी आम तौर पर युवावस्था में खास तौर पर 15-16 साल की उम्र में ही शुरू हो जाती है। कुछ लोगों में यह बीमारी ज्यादा तेजी से बढ़ती है और धीरे-धीरे गम्भीर रूप धारण कर लेती है।
बढ़ाती खुदकुशी की प्रवृत्ति
मनोचिकित्सकों का कहना है कि सिजोफ्रेनिया के मरीजों में आत्महत्या की प्रवृति अधिक होती है। इनमें दस में से चार खुदकुशी की कोशिश करते हैं। इन मरीजों की अनदेखी करना खतरनाक हो है, क्योंकि समय पर इनका इलाज नहीं होने से वे खुद अपने जीवन को खत्म कर सकते हैं। भारत की करीब एक प्रतिशत आबादी इस गम्भीर मानसिक बीमारी से ग्रस्त है और हर एक हजार वयस्क लोगों में से करीब सात लोग इस बीमारी से पीडि़त होते हैं।
मनोचिकित्सक का कहना है
सिजोफ्रेनिया ज्यादातर पुरूषों में ज्यादा से ज्यादा बढ़ रही है। जिस वजह से वे अपने वैवाहिक संबंध पर शक करने लगते है। जब कभी रोगी के व्यवहार में परिवर्तन दिखे तो उसे तुरंत मनोचिकित्सक को दिखाए।
डॉ.आर.के.सोलंकी, अधीक्षक, मनोचिकित्सालय केंद्र
केस १
रमेश कुमार (परिवर्तित नाम) की शादी को करीब २ साल ही हुए थे। वो अपनी पत्नी के चरित्र पर शक करने लगा और एक रात मौका मिलने पर उसने अपनी पत्नी का गला काटकर उसकी हत्या कर उनकी लाश के सामने बैठकर रातभर रोता रहा।
केस २
राधिका शर्मा (परिवॢतत नाम) दो साल पहले दिल्ली गई थी। जॉब के सिलसिले में वह रात को घर जाने के लिए ऑटो का वेट कर रही थी। उस दौरान दो अज्ञात युवकों ने उसे काफी परेशान किया। उस हादसे के बाद वह डरी-डरी रहने लग गई और उसे कई डरवानी आवाजे भी सुनाई देने लगी।
केस ३
राहुल (परिवर्तित नाम) के पिता को सिजोफ्रेनिया के शिकार थे। जिस वजह से राहुल को भी यह बीमारी आनुवंशिकता के कारण हो गई। उसमें इस बीमारी के लक्षण १५ साल की उम्र में दिखाई देने लग वो किसी के साथ नहीं मिलता और अकेला रहता है।

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