प्रदेश में कई जिलों में 200 से 323 फीसदी तक जलदोहन किया जा रहा है। राजस्थान में जलदोहन के आंकड़े डरा रहे है। जलदोहन में अव्वल जिलों में जयपुर, जोधपुर, जैसलमेर, झुंझुनूं, दौसा और अलवर है। जहां 200 फीसदी से अधिक जलदोहन हो रहा है। जबकि सच्चाई यह है कि आज भी प्रदेश में 60 प्रतिशत पेयजल जरूरतें भूजल से पूरी हो रही है, लेकिन भूजल की स्थिति चिंताजनक है। प्रदेश के 302 ब्लॉक में 219 ब्लॉक में पानी अतिदोहित किया जा रहा है। जल संरक्षण को लेकर किसी को चिंता नहीं है। सिर्फ 4 जिले ही सुरक्षित मानें गए है, हालांकि इनमें भी 50 फीसदी से अधिक जल दोहन हो रहा है। प्रदेश की बात करें तो भूजल पुनर्भरण के मुकाबले औसत 151.07 फीसदी अधिक जलदोहन किया जा रहा है। भूजल विभाग ने अजमेर, जयपुर, जोधपुर, जैसलमेर, कोटा, उदयपुर व बीकानेर के सात शहरी क्षेत्रों में अध्ययन किया तो यहां चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए।
प्रदेश की स्थिति
— 302 ब्लॉक है प्रदेश में कुल
— 219 ब्लॉक में पानी अतिदोहित हो रहा
— 22 ब्लॉक संवेदनशील श्रेणी में शामिल
— 20 ब्लॉक की अर्द्धसंवेदनशील स्थिति
— 38 ब्लॉक सुरक्षित माने गए
— 3 ब्लॉक में भूजल लवणीय
ये जिले सुरक्षित
जिला — जलदोहन (प्रतिशत में)
गंगानगर — 39.56
डूंगरपुर — 58.86
बांसवाड़ा — 64
हनुमानगढ़ — 64.26
जलदोहन में ये जिले अव्वल
जिला — जलदोहन (प्रतिशत में)
जैसलमेर — 323
जोधपुर — 258
जयपुर — 221
झुंझुनूं — 215
अलवर — 209
दौसा — 208
रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाना अनिवार्य
जल संरक्षण करने के लिए राज्य में 225 वर्गमीटर क्षेत्रफल के भूखंड पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाना अनिवार्य है। 225 वर्गमीटर क्षेत्रफल या इससे बड़े भूखण्डधारियों को बारिश का पानी को सहेजना जरूरी है। प्रदेश में बड़े भूखण्डधारियों की संख्या करीब 10 लाख से अधिक है। पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाने की पालना सिर्फ कागजों में ही हो रही है।
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बजट घोषणा नहीं उतर पा रही धरातल पर
प्रदेश में भूजल के समुचित उपयोग तथा राज्य के औधोगिक इकाईयों के सुविधा के लिए भूजल संरक्षण एवं प्रबंधन प्राधिकरण के गठन को लेकर बजट में घोषणा की गई। हालांकि इसकी पालना में विभाग ने ड्राफ्ट बिल का प्रारूप तैयार कर लिया, इसमें विधि विभाग के सुझावों को शामिल करते हुए वित्त विभाग को अनुमोदन के लिए भेज रखा है।