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बाजरे की फसल को चट कर रहा है फड़का

locationजयपुरPublished: Sep 04, 2019 11:56:51 pm

Submitted by:

Ashish

Agriculture : खेतों में पसीना बहाने के बाद खड़ी हुई बाजरे की फसल पर कई स्थानों पर संकट मंडरा रहा है। After sweating the fields, there is a crisis in many places on the standing millet crop. These days there is a crisis of a small worm. This worm is like a locust. These days, this worm is visible in the fields of Jaipur along with many other places in the state. This worm has increased the concern of farmers. Locust This worm, called Fadka, is affecting the millet crop. In many places the crop

बाजरे की फसल को चट कर रहा है फड़का

बाजरे की फसल को चट कर रहा है फड़का

जयपुर
Agriculture : खेतों में पसीना बहाने के बाद खड़ी हुई बाजरे की फसल पर कई स्थानों पर संकट मंडरा रहा है। इन दिनों यह संकट बना हुआ है एक छोटा सा कीड़ा। यह कीड़ा देखने में टिड्डी की तरह है। राज्य में इन दिनों जयपुर के साथ अन्य कई स्थानों पर खेतों में यह कीड़ा दिखाई दे रहा है। इस कीड़े ने किसानों की चिंता को बढ़ा दिया है। टिड्डीनुमा यह कीड़ा जिसे फड़का कहा जाता है, इससे बाजरे की फसल रोगग्रस्त हो रही है। कई जगहों पर फसल खराब होने की कगार पर पहुंच गई है। कई खेतों में यह कीट बाजरे की फसल को पूरी तरह नष्ट कर चुका है। कई स्थानों पर कीटनाशन का छिड़काव करना भी इस कीट के प्रकोप पर बेअसर साबित हो रहा है। इससे किसान काफी परेशान हैं और फसल खराब होने से होने वाले नुकसान से उनकी चिंता बढ़ रही है। कई स्थानों पर एक पौधे पर दर्जनों फड़का कीट लगे हुए हैं। जो बाजरे के पौधे की सारी पत्तियां खा जाते हैं।

पत्तियों को कर जाता है चट
कुछ समय में पौधों की पत्तियां खा जाने से सिर्फ तना बच जाता है। ऐसे में बाजरे के खेत में पौधों में सिट्टे का विकास ही नहीं हो रहा है। सिट्टे से ही बाजरा निकलता है। लेकिन अगर सिट्टा ही नहीं बनेगा तो फिर पौधे से बाजरा ही नहीं उत्पादित होगा। ऐसे में यह कीड़ा एक तरह से बाजरे के उत्पादन को ही नष्ट कर रहा है। जयपुर में दूदू के
गुडलिया गांव निवासी किसान रामनिवास यादव, पूर्व सरपंच मोतीलाल यादव ने बताया कि खेत में बाजरे की खड़ी फसल को फड़का कीट चट करने में लगा है और सैकड़ों बीघा में फसल खराब हो गई है। ग्राम सेवा सहकारी समिति पर फड़का को नष्ट करने के लिए कीटनाशक भी उपलब्ध नहीं है। काश्तकार लादूराम, गोपाल चौधरी कहना है कि इस क्षेत्र में फडक़ा कीट का प्रकोप पिछले सालों में कम होने की बजाय बढ़ रहा है। किसानों का कहना है कि कृषि विभाग के अधिकारियों को जानकारी दी गई लेकिन सिर्फ खेतों का दौरा करके और फोटोग्राफ लेकर इसकी इतिश्री कर ली।
फड़का कीट का प्रजजन
सिंवार कृषि पर्यवेक्षक झूमा देवी, निमेड़ा कृषि पर्यवेक्षक नरेन्द्र कुमार ने बताया कि मादा फड़का कीट जमीन के करीब 90 सेमी नीचे अण्डा देती है। जून-जूलाई, अगस्त में फड़का शिशु अवस्था में अण्डों से बाहर निकलकर पौधों पर आ जाता है। वयस्क होने के बाद यह उडक़र अन्य स्थानों पर पहुंचकर फसलों को नुकसान पहुंचाने लग जाता है। यदि समय रहते किसानों ने इनकी रोकथाम नहीं की तो वयस्क होने पर यह फसलों की तेजी से नुकसान पहुंचता है। इसके अलावा कीटनाशक, तेज धूप और तेज बरसात भी फड़का कीट को मारने में सहायक रहती है। वहीं कृषि विशेषज्ञ इस कीट की रोकथाम के लिए किसानों को क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत कीटनाशक पाउडर 25 किलो प्रति हैक्टयर के हिसाब से भुरकाव करने की सलाह देते हैं।

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