जल्द ही खोली खुद की साइकिल शॉपसाहित्य प्रकाशन के काम से ज्यादा इनकी रुचि मशीनरी में थी। बचपन से ही ये अलग-अलग उपकरणों को खोलते और उनकी मशीनरी को जानने के प्रयास करते थे। इस तरह ये मशीनरी के बारे में बहुत कुछ सीख गए थे। अब इन्होंने साइकिल बेचने और उसकी मरम्मत की शॉप खोल ली थी। कुछ ही समय में दोनों बहुत अच्छे मैकेनिक बन गए थे। अब इन्होंने अपनी साइकिल बनाकर बेचना शुरू किया। इनकी बनाई साइकिल खूब बिकी लेकिन बचपन से ही इनके दिमाग में तो हवा में उडऩे वाले यान की कल्पना चल रही थी। साइकिल के क्षेत्र में सफल होने के बाद इन्होंने कुछ नया किया। इनके नए-नए प्रयोगों के लिए परिवार ने हमेशा सहयोग किया। इन्हें परिवार से बौद्धिक रुचियों और उत्सुकताओं की दिशा में काम करने की स्वतंत्रता मिली। अब ये पक्षी उड़ान, ग्लाइडिंग इत्यादि पर अध्ययन करने लगे।हर बार विफलता ही मिलतीपक्षियों की उड़ान के साथ ही इन्होंने उस समय तक बन चुकी सभी तरह की उड़ान मशीनों पर भी काम किया। उड़ान के सिद्धांतों को समझते हुए इन्होंने स्वयं ही इस तरह की मशीनों का निर्माण करना शुरू किया। सबसे पहले इन्होंने एक ग्लाइडर बनाया, जिसे लिवरों की सहायता से जमीन पर रस्सियां बांधकर नियंत्रित किया जाता था। इस तरह ये समझ गए थे कि हवा में मशीने किस तरह से चलती है। इसके बाद इन्होंने मानवयुक्त ग्लाइडर बनाया। हालांकि ग्लाइडर को हवा में उड़ाना तो आसान था लेकिन इसका संतुलन बनाना आसान नहीं था। इस तरह सुरक्षा की दृष्टि से प्रयोग जारी रखने के लिए ये 1900 में नॉर्थ कैरोलाइना में चले गए। यहां रेतीली पहाडिय़ों पर करीब दो साल तक दो हजार बार अपने ग्लाइडर से उड़ान भरी। इन्होंने दो तख्ते वाला वायुयान बनाया, जिसको शक्ति देने के लिए पेट्रोल इंजन भी लगाया। एक भाई निचले हिस्से में बैठकर नियंत्रण का प्रयास करता था। उड़ान भरते समय इन्हें हर बार किसी नई समस्या का सामना करना पड़ता लेकिन इनके हौंसले कम नहीं हुए। फिर एक दिन अनेक विफलताओं के बाद दोनों भाईयों ने अपना सपना साकार कर ही लिया।[typography_font:14pt;” >इन दोनों भाईयों का जन्म 1867 और 1871 में हुआ था। इनके पिता मिल्टन राइट चर्च में पादरी थे और मां चर्च के कामों में हाथ बंटाया करती थी। ये सात भाई-बहिन थे। बचपन में ही दोनों भाईयों की रुचि मशीन संबंधी सामानों में थी। हालांकि इन दोनों भाईयों का स्वभाव एक-दूसरे से अलग था। एक भाई को कम बोलना और अकेले रहना पसंद था, तो दूसरा भाई अधिक बोलने वाला और सामाजिक था। पिता सभी बच्चों के लिए किसी न किसी खास मौके पर उपहार लाया करते थे। एक बार पिता ने इन दोनों को भाईयों को खेलने के लिए हैलीकॉप्टर दिया। इस खिलौने को देखकर ये बहुत प्रभावित हुए। यही जानने का प्रयास करने लगे कि आखिरकार खिलौना काम कैसे करता है। जब तक यह खिलौना टूट नहीं गया, ये बस इसी के साथ खेला करते थे। कुछ समय बाद छोटे भाई ने प्रिंटिंग कारखाने में काम करते हुए अपनी हाई स्कूल की परीक्षा पूरी की। लेकिन बड़ा भाई बीमारी के चलते हाई स्कूल की परीक्षा पूरी नहीं कर पाया। पिता दोनों को चर्च संबंधी कामों में लगाना चाहते थे लेकिन इनकी बिल्कुल भी रुचि नहीं थी। इसलिए पिता ने कभी इन दोनों पर दबाव नहीं डाला। चर्च जाने की बजाय, दोनों साथ-साथ खेलते और नई- नई कल्पनाएं करते थे। मां की मृत्यु के बाद दोनों भाईयों ने प्रिंटिंगप्रेस शुरू की और साहित्य प्रकाशन का काम शुरू किया।आखिर बना ही लिया अपना वायुयानकई बार विफल होने के बाद इन्होंने फ्लायर जहाज बनाया, जिसने 1903 में पहली उड़ान भरी। ये उड़ान भी उनकी विफल रही। दोनों भाइयों ने फिर से आवश्यक संशोधन किए। इस बार जहाज 10 फीट तक ऊपर उठा और 12 सैकंड में ही नीचे आ गया। इसके बाद इन्होंने फ्लायर जहाज से 4 बार सफल उड़ान भरी। 1904 में इन्होंने ऐसे जहाज का निर्माण किया, जो न केवल मुड़ सकता था, बल्कि तीन मील तक की यात्रा भी की। इसके बाद जहाज 85 किमी दूर तक चला। 1908 में परीक्षण के दौरान एक बार दोनों भाईयों ने दुर्घटना का भी सामना किया। इसके बावजूद भी इन्होंने परीक्षण करना बंद नहीं किया। आखिरकार 1908 में इन दोनों भाईयों के आविष्कार को पूरी दुनिया ने मान्यता दी। इस तरह हवाई जहाज का निर्माण करने वाले ये दोनों भाई कोई और नहीं, बल्कि ऑरविल राइट और विलबर राइट थे, जिन्हें सभी ‘राइट बंधु’ के नाम से जानते हैं।