पांच लाख रुपये से दस लाख रुपये की आय पर आयकर के रेट को 20 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी करने की हिमायत की। इसके साथ ही 10 से 25 लाख रुपए तक की सालाना आय पर 20 फीसदी कर लगाने की वकालत की। वहीं, 25 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये तक की आय पर 30 फीसदी का टैक्स लेने की बात कही। मुताबिक सरकार को एक करोड़ रुपये से अधिक की सालाना व्यक्तिगत आय पर 40 फीसदी तक का टैक्स लेना चाहिए। देश में डिमांड बढ़ाने और अर्थव्यवस्था का स्लो डाउन से बाहर निकालने के लिए सरकार को एक नहीं बल्कि कई कदम उठाने होंगे। उन्होंने कहा कि इनकम टैक्स में कटौती उनमें से एक उपाय हो सकता है। सरकार ने कहा था कि आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए कर में कटौती सहित कई उपायों के बारे में सोच रही है।
अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए एक ओवरऑल पैकेज की जरूरत है। इसके लिए लोगों की खर्च करने की शक्ति बढ़ाये जाने की जरूरत है। सरकार को सबसे कम आय वाले लोगों के हाथ में पैसे देने होंगे। यह राशि मनरेगा जैसी योजनाओं के जरिए दी जा सकती है। इनकम टैक्स में कटौती भी एक उपाय हो सकता है और यह डिमांड बढ़ाने में कॉरपोरेट टैक्स में कटौती के फैसले से भी ज्यादा मददगार साबित होगा। पर्सनल इनकम टैक्स में कटौती की ये बातें ऐसे समय में हो रही हैं जब देश की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में घटकर छह साल से भी अधिक समय के निचले स्तर पर पहुंच गई है। देश की जीडीपी वृद्धि दर जुलाई से सितंबर के बीच 4.5 फीसदी रही। सरकार इस साल अब तक देश की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए कई कदम उठा चुकी है। कॉरपोरेट टैक्स में कटौती इस दिशा में उठाया गया अब तक का सबसे बड़ा फैसला था। वहीं, आरबीआई भी लोगों की ईएमआई का बोझ करने के लिए रेपो रेट में अब तक 1.35 फीसदी की कमी कर चुकी है।