लेकर सलाह देती है वो बताते हैं कि अभी तक विकसित जासूसी के अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर कैसे काम करते हैं और ये सॉफ्टवेयर इतने ताकतवर हैं कि इन्हें
एक हथियार के रूप में क्लासीफाइड किया गया है और उन्हें कड़ी शर्तों पर ही बेचा जा सकता है। माइक कहते हैं, “ऑपरेटर आपके जीपीएस के सहारे
आपको ट्रैक कर सकता है।”
सोशल मीडिया के जितने ऐप हैं उनके अंदर तक पहुंच बना लेते हैं। इसके मार्फत वे आपकी सारी तस्वीरें, सारे संपर्क, आपके कैलेंडर की सूचनाएं, आपके
इमेल की सूचनाओं और आपके हर दस्तावेज तक उनकी पहुंच है।”
से बनते रहे हैं, लेकिन इन नए स्पाईवेयर से हमारे सामने एक पूरी नई दुनिया का रहस्य खुलता है। यात्रा के दौरान ये सॉफ्टवेयर डेटा नहीं पकड़ता, लेकिन
जब ये स्थिर होता है, आपके फ़ोन के सारे फंक्शन पर उसका नियंत्रण हो जाता है और टेक्नोलॉजी इतनी अत्याधुनिक है कि इसे पकड़ पाना लगभग नामुमकिन
है।
में सुरक्षा और पनाह मिलती रही। एहतियात के तौर पर वो कूट भाषा वाले फोन ही इस्तेमाल करता था, जिसे हैक करना असंभव माना जाता है। लेकिन ये
दावा किया जाता है कि मैक्सिको के अधिकारियों ने एक नया जासूसी सॉफ्टवेयर खरीदा और एल चैपो के करीबियों के फोन में उसे इंस्टॉल कर दिया, जिसके
सहारे वे उसके छिपने की जगह तक पहुंचने में कामयाब हो गए। एल चैपो की गिरफ्तारी दिखाती है कि इस तरह के सॉफ्टवेयर, चरमपंथियों और संगठित
अपराध के खिलाफ लड़ाई में कीमती हथियार साबित हो सकते हैं।
कानूनी डिजिटल जासूसी उद्योग का मकसद है ऐसा स्पाईवेयर बनाना जो 100 प्रतिशत पकड़ा न जा सके। अगर ये संभव हुआ तो कोई इस बात की भी
शिकायत नहीं कर पाएगा कि इसका गलत इस्तेमाल हुआ है, क्योंकि किसी को पता ही नहीं चलेगा। हम सभी डेवलपर्स के हाथों की कठपुतली होंगे, चाहे वे
कानूनी हों या नहीं। हो सकता है कि ये जेम्स बॉंड टाइप लगे, लेकिन वाकई ये हकीकत में है। ये खतरा सच्चाई है और हम सभी को भविष्य के लिए अपने
दिमाग में इसे रखना जरूरी है।