बच्चों को सरकारी स्कूल में बिना टीसी प्रवेश तो मिलेगा लेकिन टीसी लानी होगी। इसके लिए अधिकतम 3 माह का समय मिलेगा। इसके बाद बच्चा टीसी नहीं ला पाया तो उसे अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा।
अधिकारियों का तर्क है कि शिक्षा के अधिकार के तहत किसी भी बच्चे को दस्तावेज के अभाव में शिक्षा से वंचित नहीं किया जा सकता लेकिन प्रवेश के लिए टीसी जरूरी है। तीन महीने में अभिभावक को निजी स्कूल से फीस विवाद निपटाना होगा।
संशोधित आदेश के बाद निजी स्कूल संचालकों को तो राहत मिलेगी लेकिन इससे उन बच्चों के लिए मुसीबत खड़ी हो जाएगी, जो टीसी नहीं ला पाएंगे। बड़ा सवाल यह है कि तीन महीने बाद उन बच्चों के भविष्य का क्या होगा?
टीसी विवाद पर शिक्षा राज्य मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा, हमारी मंशा यह नहीं है कि निजी स्कूल संचालकों और सरकार के बीच संघर्ष हो। यह नियम पहले से है कि टीसी के अभाव में बच्चे की पढ़ाई नहीं रुके। कोरोनाकाल में ऐसे लगभग 2 लाख बच्चे हैं, जो निजी स्कूलों से फीस विवाद के चलते पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं। अब स्पष्ट निर्देश दिए जाएंगे कि बिना टीसी अस्थाई प्रवेश तो लिया जा सकेगा लेकिन बाद में टीसी लेंगे। अभिभावक टीसी लेने पहुंचें तो निजी स्कूल एक सत्र से अधिक का बकाया नहीं मांग सकेंगे। ऐसा नहीं होगा कि टीसी कटवाने पर 5-7 साल पुराना बकाया निकाल दें।
सौरभ स्वामी, मा. शिक्षा निदेशक