वर्ष जीआरपी थाने में दर्ज मृतकों की संख्या 2016 52 2017 48 2018 59 हर शाम ट्रेक के किनारे
महेश नगर फाटक के पास रेलवे ट्रैक के किनारे युवा अपने दोस्तों के साथ घंटों बैठ समय बिताते हैं। इनके लिए रेलवे ट्रैक का किनारा ही पार्क की बैंच बनी हुई है। सबसे बड़ी बात कि फाटक बंद करने वाले और खोलने वाले रेलवे कर्मचारी इन युवकों को कुछ नहीं कहते, जबकि ये युवक फाटक के दूसरी ओर ही बैठते हैं। इतना ही नहीं जीआरपी वाले भी इस ओर ध्यान नहीं देते।
मौज-मस्ती की जगह
जगतपुरा फाटक के पास और मालवीय नगर रेलवे ट्रैक किशोरों की मौज मस्ती की जगह है। यहां किशोर और युवक न केवल ट्रैक पर बैठकर टाइम बिताते है, बल्कि सिगरेट पीते नजर आते हैं और ईयरफोन लगाकर गाने सुनते हैं। ट्रैक के पास ही कई थडिय़ां हैं, जो इन्हें सिगरेट बेचते हैं।
महेश नगर फाटक के पास रेलवे ट्रैक के किनारे युवा अपने दोस्तों के साथ घंटों बैठ समय बिताते हैं। इनके लिए रेलवे ट्रैक का किनारा ही पार्क की बैंच बनी हुई है। सबसे बड़ी बात कि फाटक बंद करने वाले और खोलने वाले रेलवे कर्मचारी इन युवकों को कुछ नहीं कहते, जबकि ये युवक फाटक के दूसरी ओर ही बैठते हैं। इतना ही नहीं जीआरपी वाले भी इस ओर ध्यान नहीं देते।
मौज-मस्ती की जगह
जगतपुरा फाटक के पास और मालवीय नगर रेलवे ट्रैक किशोरों की मौज मस्ती की जगह है। यहां किशोर और युवक न केवल ट्रैक पर बैठकर टाइम बिताते है, बल्कि सिगरेट पीते नजर आते हैं और ईयरफोन लगाकर गाने सुनते हैं। ट्रैक के पास ही कई थडिय़ां हैं, जो इन्हें सिगरेट बेचते हैं।
रेलवे ट्रैक पर हर साल करीब 70 लोग गंवाते हैं अपनी जान गौरतलब है कि पिछल दिनों महेश नगर फाटक के पास ट्रेक के बगल में तीन दोस्त शराब पार्टी कर रहे थे, जिनमें से एक की ट्रेन की चपेट में आने से मौत हो गई। वहीं दूसरे दिन ईयरफोन लगा रेलवे ट्रैक से गुजरना एक युवक को भारी पड़ गया। ईयरफोन लगाने की वजह से उसे टे्रन आने का पता नहीं चला और ट्रेन की चपेट में आने से उसकी मौत हो गई। इसके दो दिन बाद भी दो लोगों की भी जान जा चुकी है। जीआरपी के अनुसार शहर में रेलवे ट्रेक पर हर साल करीब 70 लोगों की मौत हो जाती है।
-बाहर से आने वाले युवा पीजी में रहते हैं और पढ़ाई को लेकर तनाव में होते हैं। प्राइवेसी चाहते हैं इसलिए रेलवे ट्रैक पसंदीदा जगह बन गई है। जहां वो अपने दोस्तों के साथ समय बिताते हैं। कई बार नशे में होने की वजह से युवा रेलवे लाइन पर पहुंच जाते हैं और अपनी जान जोखिम में डालते हैं। इसका उपाय यही है कि बच्चों को शुरु से ही स्ट्रेस मैनेजमेंट सिखाया जाए ताकि वो गलत आदतों की ओर नहीं जाएं।
डॉ. राकेश खंडेलवाल, मनोचिकित्सक
-अगर ट्रैक के पास युवा बैठे दिखते हैं तो जीआरपी की ओर से उन्हें समझाया जाता है।
सम्पत राज, थाना अधिकारी जीआरपी जयपुर