जयपुर कलेक्ट्रेट परिसर में बनाए गए कंट्रोल रूम में इस बार बाल विवाह ( Child Marriage ) को लेकर एक भी शिकायत दर्ज नहीं हुई। वहीं जयपुर ग्रामीण और जयपुर कमिश्नरेट पुलिस के कंट्रोल रूम पर भी बाल विवाह को लेकर कोई शिकायत नहीं आई। 90 साल पहले बने जिस कानून की पालना पुलिस और प्रशासन भी नहीं करवा पाए थे। उस कानून की पालना अब कोरोना के संक्रमण काल ने करवा दी। कोरोना वायरस संक्रमण के फैलने के खतरे के कारण इस पर शादी विवाह के आयोजन नहीं हुए। यही कारण रहा कि कहीं से भी बाल विवाह होने की कोई खबर या शिकायत सामने नहीं आई है। कोरोना के कारण इस बार कानून की पालना के लिए पुलिस और प्रशासन को भी ज्यादा पसीना नहीं बहाना पड़ा और संक्रमण काल में बाल विवाह कानून की खुद ब खुद ही पालना हो गई।
बाल विवाह का नाम आते ही जेहन में राजस्थान का नाम उभरने लगता है। लाख कोशिशों के बावजूद भी राजस्थान में बाल विवाह रुक नहीं पा रहे थे। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार बाल विवाह के मामले में राजस्थान का देश में 10वां स्थान है। प्रदेश में महिला एवं बाल विकास को विभिन्न शिकायतें मिलने पर राज्य में गत 2 साल में करीब 1196 बाल विवाह रुकवाए गए। इसमें वर्ष 2017-18 में 779 मामले, और वर्ष 2018-19 में 417 बाल विवाह रुकवाए गए। लेकिन रविवार को आखातीज का अबूझ सावे पर इस बार ऐसा नहीं हुआ। बाल विवाह की रोकथाम के लिए नियंत्रण कक्ष स्थापित कर अधिकारियों को निर्देश दिए गए थे।
जिला कलक्टर डाॅ.जोगाराम ने जिले में आखातीज ( Akshaya Tritiya 2020 ) पर बाल विवाह पर निगरानी एवं रोकथाम के लिए विस्तृत दिशा निर्देश जारी कर कहा था कि इस सामाजिक बुराई की रोकथाम के लिए सभी अधिकारी-कर्मचारी समुचित कार्रवाई करें। इसके लिए नियंत्रण कक्ष बना कर उप नियंत्रक नागरिक सुरक्षा जगदीश प्रसाद रावत की प्रभारी बनाया गया है। प्रभारी रावत ने बताया कि इस बार कंट्रोल रूम को एक भी शिकायत नहीं मिली है। जो एक जागरूकता की निशानी है। प्रशासन मुस्तैद है, शिकायत मिली तो कार्रवाई की जाएगी।