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मशहूर हस्तियों ने किया जीरो टीनेज प्रेग्नेंसी कैंपेन का समर्थन

locationजयपुरPublished: Feb 22, 2020 06:10:07 pm

Submitted by:

Anil Chauchan

जयपुर . 12 जनवरी को Rajasthan Population Foundation of India की ओर से शुरू की गई महीनेभर की Zero Teenage Pregnancy Campaign को मिल रहे Response के बाद इसे और विस्तार दे दिया गया है। पहले यह कैंपेन 12 फरवरी को समाप्त होने वाला था, लेकिन Campaign को भारी समर्थन मिलने के बाद इसे एक और महीने का विस्तार दिया गया।

Doctors surprised to see teeth in newborn's mouth

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जयपुर . 12 जनवरी को राजस्थान में पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया ( Rajasthan Population Foundation of India ) की ओर से शुरू की गई महीनेभर की जीरो टीनएज प्रेग्नेंसी मुहिम ( Zero Teenage Pregnancy Campaign ) को मिल रहे रेस्पॉन्स ( Response ) के बाद इसे और विस्तार दे दिया गया है। पहले यह कैंपेन 12 फरवरी को समाप्त होने वाला था, लेकिन कैंपेन ( Campaign ) को भारी समर्थन मिलने के बाद इसे एक और महीने का विस्तार दिया गया।

इस अभियान को राष्ट्रीय युवा दिवस पर कैबिनेट मंत्री स्वास्थ्य और परिवार कल्याण डॉ. रघु शर्मा ने हरी झंडी दिखाई थी और मंत्रियों, विधायकों, सरपंच, वरिष्ठ नौकरशाहों, सरकारी अधिकारियों, मशहूर हस्तियों, जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं ने इसे समर्थन दिया गया था। अब तक 70 से अधिक लोगों ने ‘जीरो टीन मदर्स’ लिखे प्लेकार्ड के साथ अपनी तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट करके अभियान के लिए अपना समर्थन साझा किया है।

आंकड़ों के अनुसार राजस्थान में 35 प्रतिशत लड़कियों की शादी 18 वर्ष की आयु से पहले कर दी गई, जिसमें 6 प्रतिशत किशोर लड़कियों के या तो बच्चे थे या वे सर्वेक्षण के समय गर्भवती थीं, इसलिए जीरो टीन मदर्स अभियान राज्य में किशोर उम्र में गर्भधारण को खत्म करने के लिए एक माहौल बनाने और आवाज उठाने का साधन है।

अभियान का महत्वपूर्ण बात ये है कि इसे वरिष्ठ चिकित्सा स्वास्थ्य पेशेवरों से विश्व स्तरीय समर्थन मिल रहा है। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. तरुणपत्नी, स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. विनीता पाटनी व डॉ. शालु कक्कड़ राज्य में किशोर गर्भावस्था के मुद्दे को सक्रिय रूप से देख रहे हैं। एसएमएस मेडिकल कॉलेज की डॉ. अस्मिता कश्यप ने कहा कि आज अच्छे पालन-पोषण की सख्त जरूरत है, हम उचित परामर्श के बिना किशोरों के बेहतर स्वास्थ्य की उम्मीद नहीं कर सकते हैं और समुदाय विशेषकर शिक्षकों और अभिभावकों तक इस बात को पहुंचा सकते हैं कि इस तरह के मुद्दों को मैत्रीपूर्ण और गैर-न्यायिक तरीके से कैसे प्रबन्धित किया जाए।
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