जैसलमेरPublished: Dec 29, 2022 05:35:41 pm
Deepak Vyas
पुराने की सम्भाल नहीं, नए की कवायद
- पहले बने क्षेत्र में लाखों का किया खर्च काम नहीं आ रहा
पोकरण. राज्य सरकार की ओर से लोगों को रोजगार देने व क्षेत्र में उपलब्ध प्राकृतिक सम्पदाओं के उपयोग को लेकर गांव व कस्बाई क्षेत्रों में उद्योगों को बढ़ावा देने के दावे किए जा रहे है। जबकि कस्बाई क्षेत्रों में छोटे औद्योगिक क्षेत्रों के विकास को लेकर विशेष रुचि नहीं लेने के कारण औद्योगिक क्षेत्रों का विकास नहीं हो रहा है। जिसका दुष्प्रभाव यहां के रोजगार व विकास पर भी पड़ रहा है। कस्बे के औद्योगिक क्षेत्र में इकाइयों को विकसित करने के लिए प्रयास नहीं किए जा रहे है तो यहां स्थित औद्योगिक इकाईयों के लिए मूलभूत सुविधाओं को लेकर करवाए गए विकास कार्य भी देखरेख व रख रखाव के अभाव में नकारा पड़े है। जिससे सरकारी धनराशि खर्च होने के बावजूद भी उनका लाभ छोटे उद्योग लगाने वाले लोगों को नहीं मिल रहा है। ऐसे में यहां नई औद्योगिक इकाइयां नहीं लग रही है तथा औद्योगिक विकास को लेकर चलाई जा रही सरकारी योजनाओं का लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है। यही नहीं पुराने रीको में व्यवस्थाओं की कमी के कारण उद्योग विकसित नहीं हो पा रहे है और सरकार की ओर से नया औद्योगिक क्षेत्र भी स्वीकृत कर दिया गया है। जिससे सरकार की धनराशि का भी पूर्ण सदुपयोग नहीं हो पा रहा है।
अधूरे निर्माण कार्यों से नहीं मिल रहा है लाभ
कस्बे में जैसलमेर रोड स्थित औद्योगिक क्षेत्र रीको में पानी, बिजली व सड़कों के निर्माण को लेकर लाखों रुपए खर्च कर विकास कार्य करवाए गए थे, लेकिन इस आधे अधूरे निर्माण के कारण उसका लाभ यहां लगाए गए कलकारखाना मालिकों व श्रमिकों को नहीं मिल रहा है। यहां सार्वजनिक रोशनी व्यवस्था के लिए लाखों रुपए की लागत से डेढ़ दशक पूर्व रीको की ओर से औद्योगिक क्षेत्र के चारों तरफ सोडियम लाइटें लगाई गई थी। जिनमें विद्युत आपूर्ति नहीं किए जाने के कारण ये लाइटें आज भी बंद पड़ी है। कई लाइटें उपयोग के अभाव में टूटकर नीचे गिर गई है। यही हालात यहां पेयजल व्यवस्था के है। निगम की ओर से क्षेत्र में पेयजल आपूर्ति को लेकर नलकूप खोदा गया था तथा उच्च जलाशय का भी निर्माण करवाया गया था। जिस पर निगम की ओर से लाखों रुपए की धनराशि खर्च की गई थी, लेकिन अभी तक नलकूप को चालू कर, उच्च जलाशय में जलापूर्ति करना तो दूर क्षेत्र में अभी तक औद्योगिक इकाईयों तक पाइपलाइन बिछाने का कार्य भी नहीं किया गया है। जिसके चलते जलापूर्ति के लिए निर्मित करवाए गए ये संसाधन नकारा साबित हो रहे हैं तथा यहां कार्यरत उद्योगों व लोगों के लिए इन सुविधाओं का कोई लाभ नहीं हो रहा है।
दो दर्जन से भी कम इकाईयां कार्यरत
औद्योगिक क्षेत्र में सुविधाओं व प्रोत्साहन के अभाव में अब तक नाममात्र की इकाईयां ही चल रही है। बाकि सब भूखण्ड लम्बे समय से खाली पड़े है। लम्बे समय से रीको की ओर से आवंटित किए गए भूखण्डों पर अभी तक आधा दर्जन पत्थर की फैक्ट्रियां, एक पानी का आरओ प्लांट, दो आटा फैक्ट्री, एक मूंगफली दाना निकालने की फैक्ट्री, दो इमारती लकड़ी के कारखाने व आरा मशीन सहित 20-22 इकाईयां ही कार्यरत है। मूलभूत सुविधाओं व उद्योग विभाग की प्रोत्साहन की कमी के चलते यहां अन्य औद्योगिक इकाईयां विकसित नहीं हो पा रही है। गौरतलब है कि पूर्व में रीको की ओर से यहां पर लाखों की लागत से बिजली, सड़क, पानी, पार्क आदि विकास कार्य करवाए गए। जिससे यहां पर उद्योगों के स्थापित होने की संभावना भी बढऩे लगी थी, लेकिन रीको की ओर से यहां पर लाखों रुपए खर्च करने के बावजूद भी इन सुविधाओं को अब तक शुरू नहीं किया गया है।
अब नया रीको किया जा रहा स्थापित
सरकार की ओर से पोकरण में उद्योग को बढ़ावा देने के लिए एक और रीको स्थापित किया जा रहा है। जिसके अंतर्गत जोधपुर रोड पर रिण क्षेत्र के पास 250 बीघा भूमि आवंटित की गई है। यहां धीरे-धीरे सुविधाओं का विस्तार कर औद्योगिक क्षेत्र स्थापित किया जाएगा। इसके बाद भूखंड आवंटित की प्रक्रिया की जाएगी। इस नए औद्योगिक क्षेत्र पर लाखों रुपए की धनराशि खर्च की जा रही है। जबकि पूर्व में लाखों रुपए की धनराशि खर्च कर स्थापित किए गए औद्योगिक क्षेत्र में पर्याप्त व्यवस्थाएं विकसित करने को लेकर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।