script

धोरों में पूरी हुई बारिश की ख्वाहिश

locationजैसलमेरPublished: Sep 02, 2020 08:07:35 am

Submitted by:

Deepak Vyas

-पशुपालकों की मिटी चिंता

धोरों में पूरी हुई बारिश की ख्वाहिश

धोरों में पूरी हुई बारिश की ख्वाहिश


जैसलमेर. भारत में सबसे कम बारिश वाले क्षेत्र के तौर पर पहचान रखने वाले मरुस्थलीय जैसलमेर जिले पर इस बार बादल खूब मेहरबान हुए हैं और अगस्त माह में ही औसत से करीब 63 फीसदी ज्यादा बारिश जिले में दर्ज की जा चुकी है। गत दिनों के दौरान जैसलमेर मुख्यालय सहित सम क्षेत्र को छोड़कर जिले भर में बादलों से व्यापक पानी बरसने से यह सुखद हालात बने हैं। जिले का वार्षिक वर्षा औसत 165 मिलीलीटर है जबकि गत 31 अगस्त तक यहां 271ण्83 प्रतिशत औसत बारिश दर्ज की जा चुकी है। बम्पर बारिश से पशुपालकों की चिंता मुख्य तौर पर दूर हो गई है। पशुओं के लिए चारे.पानी का बंदोबस्त करना अन्यथा उनके लिए कठिन हो रहा था।
यहां इतनी बारिश
जानकारी के अनुसार 31 अगस्त तक जैसलमेर रेन गेज स्टेशन पर 339 मिमीए पोकरण में सबसे ज्यादा 385ए रामगढ़ में 201ए फतेहगढ़ में 321ए नोख में 280 और सम में सबसे कम 105 मिलीलीटर वर्षा रिकॉर्ड की गई है। जबकि अभी तक साल के चार माह शेष है और जैसलमेर जिले में सितम्बर माह में कई बार अच्छी बरसात हुआ करती है। गौरतलब है कि वर्ष 2019 में जिले में 252 मिमी वर्षा हुई थी और इस बार गत पांच साल की तुलना में ज्यादा पानी बरसा है। एक अन्य जानकारी के अनुसार मरुस्थल में बीते अगस्त माह का अंतिम सप्ताह अमृतरूपी वर्षा का सुखद काल साबित हुआ। पिछली 24 अगस्त तक जैसलमेर में 164, रामगढ़ में 119, सम में 74, फतेहगढ़ में 184ए पोकरण में 270 और नोख में 222 मिलीलीटर वर्षा हुई थी।
भर गए तालाबए नदी-नाले
30 और 31 अगस्त को जिले के अधिकांश स्थानों पर हुई मूसलाधार वर्षा से तालाब छलकने लगे हैं और बरसाती नदियां उफान मार कर चलती नजर आई। जैसलमेर का ऐतिहासिक गड़ीसर तालाब की निराली छटा देखने को मिल रही है तो कैचमेंट एरिया में बसावट और अवैध खनन के बावजूद अमरसागर का कलात्मक तालाब भी दो दशक में सबसे ज्यादा इस समय भरा हुआ है। यही हालत ग्रामीण क्षेत्रों की नाडियों व छोटे.बड़े तालाबों आदि की है। जगह.जगह पानी भर जाने से पशुओं की प्यास बुझाने का पक्का इंतजाम हो गया है। ऐसे ही चारों तरफ हरी घास भी दिखाई देने लगी है। पशुपालकों के लिए गत माह तक सबसे बड़ी चिंता का सबब मवेशियों का भरण पोषण था। अब यह लगभग दूर हो गई है। जिले की ग्रामीण अर्थव्यवस्था आज भी पूरी तरह से पशुपालन पर आधारित है।
धोरों में पूरी हुई बारिश की ख्वाहिश

ट्रेंडिंग वीडियो