यहां हर दिन होती है 6666 प्रतिमाओं की पूजा -सोनार दुर्ग स्थित जैन मंदिरों में आध्यात्मिकता व कलात्मकता का अनूठा संगम
जैसलमेरPublished: Sep 18, 2021 01:13:23 pm
यहां हर दिन होती है 6666 प्रतिमाओं की पूजा -सोनार दुर्ग स्थित जैन मंदिरों में आध्यात्मिकता व कलात्मकता का अनूठा संगम
यहां हर दिन होती है 6666 प्रतिमाओं की पूजा -सोनार दुर्ग स्थित जैन मंदिरों में आध्यात्मिकता व कलात्मकता का अनूठा संगम
जैसलमेर. कहा जाता है जैसलमेर वंदन करो हरो भवो भव पार, मरुधर अपना देश है एक पंथ दो काज। कलात्मक सुंदरता व उत्कृष्ट भवन निर्माण कला के बूते देश-दुनिया में विशिष्ट पहचान बना चुकी स्वर्णनगरी का ऐतिहासिक सोनार दुर्ग को मिली ख्याति का एक बड़ा कारण यहां बने जैन मंदिर भी है। हाल ही में ८६6 वां स्थापना दिवस मना चुके जैसलमेर में सोनार दुर्ग पर बने कलात्मक जैन मंदिरों को कला व वैभव का अद्भुत खजाना माना जाता है। महेन्द्र भाई बाफना बताते हैं कि यहां बने आठ तीर्थकरों के मंदिरों में दर्शन करने देश-दुनिया से लोग पहुंचते हैं और कलात्मक सौन्दर्य के साथ सांस्कृतिक विरासत का अवलोकन भी करते हैं। कलात्मक सुंदरता व बारीक नक्काशी कार्य व कलात्मक चातुर्यता से जैन मंदिर का अनूठा स्वरूप झलकता है, वहीं यहां उमडऩे वाले श्रद्धा के ज्वार से समूचा माहौल आध्यमिकता के रंग से सराबोर हो जाता है। जैन मंदिरों में आठ जिनालयों में दर्शन व पूजा-अर्चना के बाद स्थापत्य कला एवं पाषाण में की गई सूक्ष्म कारीगरी एवं ऐतिहासिक प्राचीन तोरण द्वार बरबस ही ध्यान खींच लेते हंै। बताते हैं कि जैसलमेर में 18 वीं सदी में ओसवाल श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन गृहस्थों के 2700 परिवार रहते थे। दुर्ग में आठ जैन मंदिर हैं, जिनका निर्माण 14वीं से 18वीं सदी तक भिन्न भिन्न सोमपुरा की ओर से किया गया। सोनार दुर्ग स्थित जैन मंदिर में मूलनायक पाश्र्वनाथ, संभवनाा, शांतिनाथ, कुंथुनाथ, चंद्रप्रभु, आदिनाथ, सीमन्धर स्वामी, महावीर स्वामी आदि के मंदिर है। बताया जाता है कि हर दिन यहां 6666 प्रतिमाओं की पूजा होती है। यहां संभवनाथ मंदिर के भूमिगत कक्ष में स्थापित प्राचीन जैन ज्ञान भंडार में हजारों प्राचीन ग्रंथ, ताड़पत्र पत्र वर्षों से सुरक्षित रखे गए हैं। जैन मंदिर में सुंदर भाव-भंगिमा और नृत्य वाद्य की विभिन्न विधाओं वाली मूर्तियां, हाथी घोड़े व सिंहादी की आकृतियां और कलापूर्ण सुंदर बेल बूटे पत्तियों की सूक्ष्म तक्षण कला से सुशोभित तोरण काफी रिझाते हैं।
यहां भी जैन मंदिर दर्शनीय
ेऐतिहासिक सोनार दुर्ग के जैन मंदिरों के अलावा जैसलमेर रियासत की प्राचीन राजधानी लौद्रवा, अमरसागर, देवीकोट, ब्रह्मसर, पोकरण आदि क्षेत्रों में बने जैन मंदिर भी अत्यंत दर्शनीय है और आस्था का केन्द्र माने जाते हैं।