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Jaisalmer campaigh- #sehatsudharosarkar- 7 हजार की आबादी, उपचार के लिए 35 किमी का सफर

locationजैसलमेरPublished: Sep 23, 2017 01:12:17 pm

Submitted by:

jitendra changani

– जैसलमेर विधायक ने गोद लिया गांव, फिर भी नहीं उपचार का इंतजाम

Jaisalmer patrika

sehat sudharo sarkar campaign

जैसलमेर . रियासतकाल से जैसलमेर के सबसे बड़े गांव बडोड़ा गांव में जिम्मेदार अब भी बाशिंदों को बेहतर उपचार के इंतजाम नहीं करवा पाए हैं। ऐसे में यहां रह रही आठ हजार की आबादी को प्राथमिक उपचार के बाद भी 35 किमी का सफर करना पड़ रहा है। वहीं आपातकाल में यहां मरीज की जान पर बन आती है।
जानकारों की मानें तो बडोड़ा गांव शहर की मुख्य सडक़ के साइड में पड़ता है, ऐसे में जिला मुख्यालय तक पहुंचने के लिए उन्हें स्वयं के या फिर किराए के निजी साधनों के अलावा कोई साधन नहीं है। ऐसे में छोटे से उपचार के लिए भी उन्हें निजी साधनों के इंतजाम के लिए बड़ी राशि खर्च करनी पड़ती है।
उल्टी, दस्त का उपचार
बडोड़ा गांव में सरकार की ओर से आर्युवेद अस्पताल की व्यवस्था की गई है। जिसमें उल्टी दस्त का देसी उपचार किया जाता है। इसके अलावा बुखार व अन्य बीमारी की स्थिति में ग्रामीणों को शहर की ओर भागना पड़ता है। यहां के ग्रामीणों को जिला मुख्यालय स्थित अस्पताल पहुंचने के लिए आर्थिक व मानसिक पीड़ा के बाद ही उपचार मिल पाता है।
विधायक ने ले रखा है गोद
बडोड़ा गांव को जैसलमेर विधायक ने गोद ले रखा है। ऐसे में उम्मीद की जा रही थी, कि गांव में लंबे इंतजार के बाद प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र स्वीकृत हो जाएगा, लेकिन पंचायत मुख्यालय पर पीएचसी स्वीकृति का सपना अब भी अधूरा है।
नहीं मिल रहा योजनाओं का लाभ
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से ग्रामीणों के स्वास्थ्य को तंदुरुस्त रखने के लिए भले ही कितनी ही योजनाएं चलाई जा रही हो, लेकिन गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के अभाव में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग की ओर से संचालित योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा। ऐसे में ग्रामीण अपने आपको ठगा सा मुहसूस कर रहे हैं।
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IMAGE CREDIT: patrika
सात हजार की आबादी
ग्राम पंचायत की आबाद सात हजार से अधिक है और ग्राम पंचायत में चार राजस्व गांव व दर्जनों ढाणियां आती हैं। जिनको ग्राम पंचायत मुख्याल पर चिकित्सा सुविधा का लाभ मिल सकता है, लेकिन आजादी के सात दशक बाद भी गांव में सुविधाओं का अभाव होने से यहां अब भी उपचार के अभाव में दुविधा का बोल बाला है।
यहां थोड़ी राहत
जानकारों के अनुसार गांव में सरकार ने उपचार के लिए आयुर्वेद अस्पताल स्वीकृत है। जिसमें एक आयुर्वेद चिकित्सक के साथ दो सहायक स्टाफ लगाए हुए है। इसके अलावा एक एएनएम की भी नियुक्ति की हुई है।
टीकाकरण बंद
आंगबाड़ी कार्यकर्ताओं की हड़ताल के चलते गांव में टीकाकरण बंद है। ऐसे में प्रसूताओं, बच्चों के स्वास्थ्य पर संकट है। गांव में पोलियो टीकाकरण भी प्रभावित होने से भी दुविधा बढ़ी है।
फैक्ट फाइल
– 7 हजार से अधिक आबादी है बडोड़ा गांव ग्राम पंचायत की।
– 1 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र भी नहीं है यहां।
– 1 आयुर्वेदिक अस्पताल में सामान्य बीमारियों का होता है उपचार
– 35 किलोमीटर दूर है गांव से जिला अस्पताल।
– 4 साल पहले जैसलमेर विधायक ने लिया था गोद।
– 500 से अधिक विद्यार्थी हैं गांव में

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