scriptAdventure in life with the climate of canal area | नहरी क्षेत्र की आबोहवा के साथ जिंदगी में भी घुलता कीटनाशक | Patrika News

नहरी क्षेत्र की आबोहवा के साथ जिंदगी में भी घुलता कीटनाशक

locationजैसलमेरPublished: Sep 21, 2023 05:23:07 pm

Submitted by:

Deepak Vyas

-साढ़े चार वर्ष में कीटनाशक सेवन के 382 मामले
-अब तक 22 से अधिक बने काल का ग्रास

नहरी क्षेत्र की आबोहवा के साथ जिंदगी में भी घुलता कीटनाशक
नहरी क्षेत्र की आबोहवा के साथ जिंदगी में भी घुलता कीटनाशक

गिरधारीलाल लोहिया - मोहनगढ़ (जैसलमेर). नहरी पानी की उपलब्धता के साथ ही मोहनगढ़ नहरी क्षेत्र में फसलों की बीजाई अधिक होने लगी है, उत्पादन भी बढ़ा है। इसके साथ ही कीटनााक सेवन करने के मामले भी सामने आ रहे है। पत्रिका पड़ताल में यह बात सामने आई है कि खेतों में खड़ी फसलों को विभिन्न रोगों से बचाव के लिए कीटनाशक का छिडक़ाव करते काश्तकार इसकी चपेट में आ जाते है, जिससे उनकी तबतीय खराब हो जाती है। कई बार आपसी कहासुनी आर्थिक परेशानी, खेतों में पानी को लेकर विवाद आदि होने की स्थिति में भी लोग कीटनाशक का सेवन कर लेते है।
आंकड़ों की जुबानी
आंकड़े बताते हंै कि गत साढ़े चार साल में लगभग 382 से अधिक कीटनाशक सेवन के मामले सामने आ चुके है, जिसमें से 22 से अधिक जने अपनी जान भी गंवा चुके है। वर्ष 2019 में 87, 2020 में 111, 2021 में 78, 2022 में 67, अगस्त 2023 तक 39 मामले सामने आ चुके है। इसी तरह 39 मामलों में से 25 मामले मोहनगढ़ क्षेत्र से सीधे उपचार के लिए जैसलमेर पहुंचे है।
हकीकत यह भी
कृषि आदान संघ के जिलाध्यक्ष हिम्मत चैधरी बताते हैं कि फसलों के उत्पादन में बढ़ोतरी को लेकर किसान खेतों में कीटनाशक का भरपूर उपयोग कर रहे है। इन कीटनाशकों को चार श्रेणी बांटा गया। कीटनाशक की बेतल या अन्य पेकिंग पर मार्का दिया गया है, जिसमें लाल रंग के मार्क को सबसे खतरनाक माना जाता है। पीले रंग के मार्क को उससे कम, आसमानी रंग के मार्क को तीसरे नंबर पर तथा हरे रंग के मार्क को सुरक्षित माना जाता है। अधिवक्ता रेवंतसिंह सोलंकी का कहना है कि मोहनगढ़ नहरी क्षेत्र में फसलों का उत्पादन बढा है। उत्पादन बढाने में कीटनाषक का उपयोग बहुतायत में होने लगा है। कीटनाशम के सेवन से मौत होने पर पुलिस में मर्ग दर्ज किया जाता है। एसडीएम या तहसीलदार या किसी मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में पोस्ट मार्टम करवाकर रिपोर्ट पेश की जाती है। इसके अलावा कोई परेषान होकर या जबरदस्ती कीटनाशक पिलाकर मारने पर धारा 302 में मामला दर्ज होता है। किसी से परेषान हो कर काई कीटनाशक का सेवन करता है और मौत होने पर धारा 306 के तहत मुकदमा दर्ज होता है।

Copyright © 2023 Patrika Group. All Rights Reserved.