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Students Union Election 2019:प्रचार कार्य में जोर-शोर से जुटे सभी प्रत्याशी,एसबीके कॉलेज में सभी पदों पर एबीवीपी और एनएसयूआइ में टक्कर

locationजैसलमेरPublished: Aug 25, 2019 11:47:54 am

Submitted by:

Deepak Vyas

जैसलमेर के एसबीके राजकीय महाविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव के लिए एबीवीपी और एनएसयूआइ ने प्रचार कार्य में खुद को झोंक दिया है। दोनों संगठनों के प्रत्याशियों के बीच इस महाविद्यालय में सभी पदों के लिए सीधा मुकाबला है। एबीवीपी ने जैसलमेर के मिश्रीलाल सांवल महिला महाविद्यालय में निर्विरोध रूप से क्लीन स्वीप कर दिया है। इससे उसके हौसले बुलंद है। वह यही कहानी एसबीके कॉलेज में वोटों के जरिए दोहराने में जुटी है। दूसरी तरफ एनएसयूआइ ने दो साल के अंतराल के बाद अपने सबसे बड़े वोट बैंक अनुसूचित जाति के छात्र को अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाकर चुनौती पेश करने की कोशिश की है।

All candidates involved in campaigning in jaisalmer colleges

Students Union Election 2019:प्रचार कार्य में जोर-शोर से जुटे सभी प्रत्याशी,एसबीके कॉलेज में सभी पदों पर एबीवीपी और एनएसयूआइ में टक्कर

जैसलमेर. जैसलमेर के एसबीके राजकीय महाविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव के लिए एबीवीपी और एनएसयूआइ ने प्रचार कार्य में खुद को झोंक दिया है। दोनों संगठनों के प्रत्याशियों के बीच इस महाविद्यालय में सभी पदों के लिए सीधा मुकाबला है। एबीवीपी ने जैसलमेर के मिश्रीलाल सांवल महिला महाविद्यालय में निर्विरोध रूप से क्लीन स्वीप कर दिया है। इससे उसके हौसले बुलंद है। वह यही कहानी एसबीके कॉलेज में वोटों के जरिए दोहराने में जुटी है। दूसरी तरफ एनएसयूआइ ने दो साल के अंतराल के बाद अपने सबसे बड़े वोट बैंक अनुसूचित जाति के छात्र को अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाकर चुनौती पेश करने की कोशिश की है। विगत वर्षों के दौरान हुए छात्रसंघ चुनावों पर निगाह डाली जाए तो यह साफ है कि शहरी मतदाताओं का समर्थन जिसके साथ होगा, उस उम्मीदवार की जीत की संभावनाएं उतनी ही बढ़ जाएंगी। कुल मतदाताओं में से शहरी विद्यार्थी करीब एक-चौथाई हैं। इनमें कई जातियों के मतदाता शामिल हैं। एबीवीपी को शहरी क्षेत्रों में हमेशा ज्यादा समर्थन मिलता रहा है।
यह है वोटों का गणित
जानकारी के अनुसार एसबीके में कुल 1441 मतदाताओं में से अनुमानित रूप से अनुसूचित जाति के 360 और राजपूत वर्ग के 350 विद्यार्थी हैं। इन दोनों समाजों के छात्रों को क्रमश: एनएसयूआइ और एबीवीपी ने अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार बनाया है। इसी तरह से कॉलेज में अनुसूचित जनजाति के ८०, ब्राह्मण और जाट-विश्नोई 100 -100, सुथार-कुम्हार 110, मुस्लिम 70 , खत्री, भाटिया, माहेश्वरी 80 , हजूरी 50, माली 35 , सोनी समाज के 25 और शेष अन्य जातियों के विद्यार्थी मतदाता हैं। साफ है कि अध्यक्ष पद के दोनों दावेदारों के अपने समाज के वोट लगभग समान हैं। अब जो अन्य वर्गों में जितनी ज्यादा सेंध लगा सकेगा, उसके जीतने के आसार उतने ही अधिक रहने वाले हैं। कॉलेज में छात्राओं के भी लगभग 300 वोट हैं। वे भी हार-जीत के समीकरण को साधने में काफी हद तक भूमिका निभाएंगी।
सीधे मुकाबले से माथापच्ची कम
कॉलेज में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव और संयुक्त सचिव सभी चारों पदों पर एबीवीपी तथा एनएसयूआइ के उम्मीदवारों के बीच सीधा मुकाबला होने से दोनों संगठनों के रणनीतिकारों को इस बार थोड़ी सुविधा रहेगी। कई बार मुकाबला त्रिकोणात्मक अथवा बहुकोणीय होने से भितरघात का खतरा भी बढ़ जाता है। दोनों संगठनों के प्रमुख लोगों का आंकलन यही है कि अपने समर्थक मतों को संरक्षित रखते हुए सामने वाले धड़े में सेंध लगाने का प्रयास किया जाए। गौरतलब है कि अध्यक्ष पद पर एबीवीपी के डूंगरसिंह दव और एनएसयूआइ के मदन बारूपाल, उपाध्यक्ष पद पर एबीवीपी के जयेश छंगाणी व एनएसयूआइ के जितेंद्रसिंह, महासचिव पद पर एबीवीपी के कमल दान तथा एनएसयूआइ के लोकेन्द्र दान एवं संयुक्त सचिव पद पर एबीवीपी के दुष्यंत सोलंकी व एनएसयूआइ के अशफाक हुसैन आमने-सामने हैं।
काली पट्टी बांध कर प्रचार किया
एबीवीपी के चारों उम्मीदवारों और कार्यकर्ताओं ने शनिवार को शहर के विभिन्न क्षेत्रों में घर-घर जाकर सम्पर्क किया। उन्होंने वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व केंंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली का निधन हो जाने की सूचना मिलने के बाद बांह पर काली पट्टी बांध कर प्रचार कार्य किया। एनएसयूआइ कार्यकर्ताओं ने भी प्रचार की रणनीति पर काम शुरू किया हुआ है। संगठन के अधिकांश समर्थक ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करते हैं।
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