डेरवा से कनक दंडवत करते हुए 28वीं बार पहुंचा बाबा के द्वार
रामदेवरा. बाबा रामदेव के प्रति दर्शन करने की लगन जोश और जुनून इतनी की असंभव को भी संभव कप कर दिखाने वाले बाबा के परम भक्त 68 वर्षीय आईदानराम अब तक 28 बार अपने पैतृक घर से रामदेवरा तक कनक दंडवत करते हुए यात्रा पूर्ण कर चुके हैं।

रामदेवरा. बाबा रामदेव के प्रति दर्शन करने की लगन जोश और जुनून इतनी की असंभव को भी संभव कप कर दिखाने वाले बाबा के परम भक्त 68 वर्षीय आईदानराम अब तक 28 बार अपने पैतृक घर से रामदेवरा तक कनक दंडवत करते हुए यात्रा पूर्ण कर चुके हैं। नागौर जिले के खारी डेरवा से रामदेवरा तक करीब 350 किलोमीटर का लंबा सफर 5 महीने वह 25 दिनों में पूरा करके शनिवार को रामदेवरा पहुंचे। यहां पहुंचकर उन्होंने पूजा अर्चना की। रामदेवरा पहुंचने पर स्थानीय दुकानदारों ने उनका स्वागत किया।
अब तक 4९०० दिन में 21 हजार किमी यात्रा
68 वर्षीय आईदान राम अब तक 28 बार दंडवत यात्रा करते हुए रामदेवरा पहुंच चुके हैं। उन्हें आने में करीब 175 दिन का लंबा समय लगता है। वह वापसी की यात्रा भी वे पैदल चलते हुए पूरी करते हैं जिसमें उन्हें 15 दिन का समय लगता है।ऐसे में अब तक 28 बार कनक दंडवत यात्रा करते हुए कुल ४९०० दिनों में करीब 21 हजार से अधिक का लंबा सफर पूर्ण कर चुके हैं।
साल में दो बार करते है दंडवत यात्रा
आईदान राम साल में 350 दिन सफर में ही रहते हैं बाबा का अनूठा भक्त सभी भक्तों के लिए आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। गत 15 साल से अनवरत रूप से अपने घर से इस तरह की यात्रा करते हुए अपना सफर पूरा कर रहा है। उन्होंने कहा कि जब तक मेरे शरीर में जान है वह कनक दंडवत करते हुए रामदेवरा आते रहना पसंद करेंगे।
हाथ ठेले में बाबा का मंदिर भी साथ
आईदान राम ने अपनी आवश्यकताके अनुसार एक हाथ ठेले का निर्माण करा रखा है, जिसके अंदर अखंड ज्योत सहित बाबा रामदेव का छोटा सा मंदिर बना रखा है। वह निश्चित समय पर पांच आरती के साथ पूजा-अर्चना भी करते हैं। जहां रात होती है, वहीं पर विश्राम कर लेते हैं। विकट हालात व परिस्थितियों में भी वे अपना हौसला नहीं खोते। अकेले बिना किसी के सहयोग के हाथ ठेले को चलाकर व दंडवत करते हुए अपना सफर करते हैं।
भक्त करते हैं भोजन की व्यवस्था
्रगत 28 बार यात्रा कर चुके आईदान राम को अपने घर से निकलते बीच रास्ते में सैकड़ों भक्त उनके मुरीद है। वह उनके आने का बेसब्री से इंतजार करते हैं। रात्रि में खाने-पीने और रहने की व्यवस्था अलग-अलग स्थानों पर की जाती है।
अब पाइए अपने शहर ( Jaisalmer News in Hindi) सबसे पहले पत्रिका वेबसाइट पर | Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें Patrika Hindi News App, Hindi Samachar की ताज़ा खबरें हिदी में अपडेट पाने के लिए लाइक करें Patrika फेसबुक पेज