ऐसी, फ्रिज, स्प्रे, रंग व प्लास्टिक से शुद्धता को पहुंच रहे नुकसान
प्राकृतिक वस्तुओं के उपयोग की सलाह
जैसलमेर . हम अपनी सुख सुविधा के लिए जिन वस्तुओं का उपयोग कर रहे है, यही वस्तुए ना केवल हमारे आस-पास के वातावरण को दूषित कर रही है, बल्कि हमारे जीवन चक्र को भी प्रभावित कर रही है। विशेषज्ञों के अनुसार वर्तमान युग में घरों में रेफ्रिजरेटर, एयर कंडिशनर व प्लास्टिक का उपयोग बढ़ा है, जो पृथ्वी के आभा मंडल में नुकसानदेह रसायन, गैसों की मात्रा को बढ़ा रही है, जबकि ऑक्सीजन को कम कर रही है। जिससे मानवीय स्वास्थ्य चक्र के साथ अन्य जीव जन्तुओं को अधिक नुकसान पहुंच रहा है।
करें प्राकृतिक जीवन का वरण
विशेषज्ञ धरती से कम हो रही ओजोन गैस को बढ़ाने के लिए आमजन को प्राकृतिक वस्तुओं का उपयोग करने, रसायनिक गैस को बढ़ावा देने वाली वस्तुओं एसी, फ्रिज का उपयोग बंद करने की सलाह दे रहे है। उनके अनुसार घरों में लगाए गए फ्रिज, ऐसी से निकलने वाले गैस आस-पास के शुद्ध वातावरण के लिए नुकसानदेह है। इनका अधिक उपयोग करने या इनके संपर्क में रही वस्तुओं का उपयोग करने से व्यक्ति खतरनाक बीमारियों की चपेट में आ सकता है। इसके अलावा प्लास्टिक की वस्तुओं व फोम से बनी वस्तुएं भी प्रकृति की सेहत को नुकसान पहुंचा रही है। उनके अनुसार इलेक्ट्रिक उद्योगों में एयरकंडिशनर में प्रयुक्त गैस फ्रियान11 व फ्रियान-12 भी ओजान के लिए नुकसानदायक है। विशेषज्ञों के अनुसार इन गैसों का एक अणु ओजान के लाखों अणुओ को नष्ट करने में सक्षम है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि हम जिन वस्तुओं को सुविधाजनक मान रहे है, वह हमारे जीवन के साथ इस धरती के जीवन के लिए कितना खतरनाक साबित हो सकता है।
यह आ रहे दुष्प्रभाव
विशेषज्ञों के अनुसार ओजान परत के क्षय होने के दुष्प्रभाव धरती और यहां के जीवन को विनाश की ओर ले जाने वाले है। उनके अनुसार ओजोन परत के बढ़ते क्षय से सूर्य की हानिकारक किरणें पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर सकती है। यह किरणे बैहद गरम होने से इसके संपर्क से पेड़, पौधों के साथ जीव, जन्तुओं को नुकसान पहुंच रहा है। अभी के हालात यह है कि ओजोन परत में हुए छेद से कईं जीव-जन्तुओं की प्रजातियां लुप्त हो गई है, तो कईं लुप्त होने की कगार पर है।
जीवन के लिए यह दुष्प्रभाव
जानकारों के अनुसार हानिकारक पराबैंगनी किरणों के वायुमंडल में प्रवेश करने से मानव शरीर में इन किरणों के प्रभाव से त्वचा का केंसर, श्वशन रोग, अल्सर व मोतियाबिन्द जैसी घातक बीमारिया हो सकती है। इसके अलावा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर भी विपरित असर पड़ रहा है। विशेषज्ञ ओजोन के क्षय होने से आने वाले समय में त्वचा कैंसर की बीमारी बढऩे की आशंका जता रही है।
प्राकृतिक वस्तुओं के उपयोग की सलाह
जैसलमेर . हम अपनी सुख सुविधा के लिए जिन वस्तुओं का उपयोग कर रहे है, यही वस्तुए ना केवल हमारे आस-पास के वातावरण को दूषित कर रही है, बल्कि हमारे जीवन चक्र को भी प्रभावित कर रही है। विशेषज्ञों के अनुसार वर्तमान युग में घरों में रेफ्रिजरेटर, एयर कंडिशनर व प्लास्टिक का उपयोग बढ़ा है, जो पृथ्वी के आभा मंडल में नुकसानदेह रसायन, गैसों की मात्रा को बढ़ा रही है, जबकि ऑक्सीजन को कम कर रही है। जिससे मानवीय स्वास्थ्य चक्र के साथ अन्य जीव जन्तुओं को अधिक नुकसान पहुंच रहा है।
करें प्राकृतिक जीवन का वरण
विशेषज्ञ धरती से कम हो रही ओजोन गैस को बढ़ाने के लिए आमजन को प्राकृतिक वस्तुओं का उपयोग करने, रसायनिक गैस को बढ़ावा देने वाली वस्तुओं एसी, फ्रिज का उपयोग बंद करने की सलाह दे रहे है। उनके अनुसार घरों में लगाए गए फ्रिज, ऐसी से निकलने वाले गैस आस-पास के शुद्ध वातावरण के लिए नुकसानदेह है। इनका अधिक उपयोग करने या इनके संपर्क में रही वस्तुओं का उपयोग करने से व्यक्ति खतरनाक बीमारियों की चपेट में आ सकता है। इसके अलावा प्लास्टिक की वस्तुओं व फोम से बनी वस्तुएं भी प्रकृति की सेहत को नुकसान पहुंचा रही है। उनके अनुसार इलेक्ट्रिक उद्योगों में एयरकंडिशनर में प्रयुक्त गैस फ्रियान11 व फ्रियान-12 भी ओजान के लिए नुकसानदायक है। विशेषज्ञों के अनुसार इन गैसों का एक अणु ओजान के लाखों अणुओ को नष्ट करने में सक्षम है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि हम जिन वस्तुओं को सुविधाजनक मान रहे है, वह हमारे जीवन के साथ इस धरती के जीवन के लिए कितना खतरनाक साबित हो सकता है।
यह आ रहे दुष्प्रभाव
विशेषज्ञों के अनुसार ओजान परत के क्षय होने के दुष्प्रभाव धरती और यहां के जीवन को विनाश की ओर ले जाने वाले है। उनके अनुसार ओजोन परत के बढ़ते क्षय से सूर्य की हानिकारक किरणें पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर सकती है। यह किरणे बैहद गरम होने से इसके संपर्क से पेड़, पौधों के साथ जीव, जन्तुओं को नुकसान पहुंच रहा है। अभी के हालात यह है कि ओजोन परत में हुए छेद से कईं जीव-जन्तुओं की प्रजातियां लुप्त हो गई है, तो कईं लुप्त होने की कगार पर है।
जीवन के लिए यह दुष्प्रभाव
जानकारों के अनुसार हानिकारक पराबैंगनी किरणों के वायुमंडल में प्रवेश करने से मानव शरीर में इन किरणों के प्रभाव से त्वचा का केंसर, श्वशन रोग, अल्सर व मोतियाबिन्द जैसी घातक बीमारिया हो सकती है। इसके अलावा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर भी विपरित असर पड़ रहा है। विशेषज्ञ ओजोन के क्षय होने से आने वाले समय में त्वचा कैंसर की बीमारी बढऩे की आशंका जता रही है।