scriptBefore Diwali, the Diwali of Kumbhkars, there will be a business of 50 | दीपावली से पहले कुंभकारों की दिवाली, होगा 50 लाख का व्यापार | Patrika News

दीपावली से पहले कुंभकारों की दिवाली, होगा 50 लाख का व्यापार

locationजैसलमेरPublished: Oct 12, 2022 07:51:33 pm

Submitted by:

Deepak Vyas

दो वर्ष कोरोना का दंश झेलने के बाद बाद जगी उम्मीद

दीपावली से पहले कुंभकारों की दिवाली, होगा 50 लाख का व्यापार
दीपावली से पहले कुंभकारों की दिवाली, होगा 50 लाख का व्यापार

पोकरण. लगातार 2 वर्ष तक कोरोना संक्रमण की महामारी के बाद इस वर्ष दीपावली के त्यौहार पर मिट्टी के दीपक बनाने वाले कुंभकारों को अच्छी आमदनी की आस जगी है। जिसको लेकर कुंभकार समाज के 100 परिवार मिट्टी के दीपक बनाने में जुट गए है। श्राद्ध पक्ष की समाप्ति के बाद नवरात्र की शुरुआत में ही मिट्टी के दीपक बनाने का कार्य शुरू हो गया तथा अब कुंभकार समाज के लोग युद्धस्तर पर कार्य कर मिट्टी के दीपक तैयार कर रहे है। दीपक तैयार होने के बाद स्थानीय बाजारों के साथ ही इन्हें बाहर भी भेजा जाएगा, जिससे परिवारों को अच्छी आमदनी की आस है। गौरतलब है कि दीपावली के त्यौहार को देखते हुए पोकरण की लाल मिट्टी से बने दीपक तथा गणेश व लक्ष्मी की छोटी छोटी प्रतिमाओं को बनाने व उन्हें पकाने का कार्य नवरात्रा स्थापना के साथ शुरू कर दिया गया था। पोकरण की लाल मिट्टी के बने कलात्मक खिलौनों ने देश विदेश में अपनी पहचान बनाई है तथा विभिन्न खिलौने व आईटम देश के बड़े शहरों में लगने वाले हाट बाजारों में विक्रय किए जाते है। इसके साथ ही मिट्टी के दीपक भी दीपावली के त्यौहार पर विक्रय होते है।
11 दिनों में होगा 50 लाख का व्यापार
कुंभकार समाज की ओर से बनाए जाने वाले दीपक विशेष रूप से दीपावली के 5 दिवसीय त्यौहार के मौके पर घरों व व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर लगाए जाते है। इसलिए कुंभकार इसे श्राद्ध पक्ष में नहीं बनाकर दीपक बनाने का कार्य नवरात्रा से शुरू करते है। नवरात्र के दौरान कुम्हार परिवार दीपक बनाने के कार्य में जुट गए थे। ये दीपक कस्बे के अलावा जैसलमेर, बाड़मेर व जोधपुर जिले के फलोदी, बालेसर, शेरगढ़ आदि गांवों में भी बिकते है। जिससे उन परिवारों को दीपावली के मौके पर अच्छा रोजगार मिल जाता है। कस्बे के भवानीपोल क्षेत्र में निवास करने वाले करीब 100 कुम्हार परिवार दीपावली के दिनों में मिट्टी के दीपक बनाने का कार्य करते है। दीपक के विक्रय से एक परिवार को करीब 50 हजार रुपए की आय होती है। ऐसे में आगामी 11 दिनों में पोकरण के कुंभकार 50 लाख रुपए के मिट्टी के दीपक विक्रय करेंगे।
पोकरण की लाल मिट्टी से ही बनते है दीपक
पोकरण में निवास कर रहे कुम्हार जाति के करीब 35 परिवार वर्षपर्यंत मिट्टी के दीपक बनाते है। जबकि दीपावली के त्यौहार को दौरान 100 से अधिक परिवार दीपक बनाने का कार्य कर रहे है। दीपक बनाने के लिए लाल मिट्टी पोकरण कस्बे से 5 किमी दूर जोधपुर रोड स्थित रिण क्षेत्र में ही निकलती है। यहां निकलने वाली मिट्टी लाल व चिकनी होती है। जिससे दीपक आसानी से बन जाते है। उद्योग एवं खनन विभाग की ओर से कस्बे के कुंभकार समाज के लिए रिण क्षेत्र में कुछ खसरे आरक्षित कर इन्हें आवंटित किए गए है। यहां से खुदाई कर लाल मिट्टी लाने के बाद उसकी कुटाई कर उसका बुरादा किया जाता है तथा उसको बड़ी छलनी से छानकर व कई दिनों तक पानी में भिगोया जाता है। भिगोने से चिकनी होने के बाद उससे दीपक व अन्य मिट्टी के आईटम बनाए जाते है।
कोरोना के बाद जगी आस
कोरोना संक्रमण की महामारी के कारण मार्च 2020 में लॉकडाउन हो गया था। लगातार 2 वर्ष तक कोरोना संक्रमण की महामारी के कारण दीपावली का त्यौहार फीका रहा। इस वर्ष प्रत्येक व्यापार में उछाल नजर आ रहा है। लोगों की आय में भी सुधार हुआ है। जिसके चलते इस वर्ष कुंभकारों को अच्छी आय की उम्मीद है। साथ ही पर्यटन सीजन भी शुरू हो चुका है तथा देसी के साथ विदेसी पर्यटक भी यहां पहुंच रहे है। जिससे कुंभकारों को मिट्टी के दीपक के साथ अन्य खिलौने व सामग्री के विक्रय होने से अच्छी आमदनी की आस है।
फैक्ट फाइल:-
- 100 परिवार करते है मिट्टी के दीपक बनाने का कार्य
- 11 दिनों तक चलेगा व्यापार
- 2000 से अधिक दीपक बनाता है एक परिवार प्रतिदिन
- 50 हजार रुपए होती है एक परिवार को आमदनी
- 50 लाख रुपए का इस वर्ष होगा दीपक का व्यापार
अच्छी आय की है उम्मीद
कोरोना के बाद अब मार्केट व व्यापार में उछाल है। कुंभकारों की ओर से नवरात्र की शुरुआत के साथ मिट्टी के दीपक बनाने का कार्य शुरू किया गया था। इस वर्ष अच्छी आय की उम्मीद है। यदि सरकार की ओर से भी अनुदान दिया जाता है, तो आमदनी बढ़ सकती है।
- सत्यनारायण प्रजापत, जिला प्रभारी कुंभकार हस्तकला विकास समिति, पोकरण

Copyright © 2021 Patrika Group. All Rights Reserved.