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कोरोना की बंदिशों में सच्ची साथी हैं पुस्तकें

locationजैसलमेरPublished: Apr 23, 2021 05:36:46 pm

Submitted by:

Deepak Vyas

-मोबाइल और टीवी की बुराइयों से युवाओं व बच्चों को निजात दिलाने में भी सक्षम-जिला पुस्तकालय में करीब पचास हजार किताबों का खजाना

कोरोना की बंदिशों में सच्ची साथी हैं पुस्तकें

कोरोना की बंदिशों में सच्ची साथी हैं पुस्तकें

जैसलमेर. कोरोना की दूसरी लहर ने देश-प्रदेश के अन्य हिस्सों की भांति सीमा पर बसे जिले को भी अपनी जकड़ में ले लिया है और राज्य सरकार ने सीमित अर्थों वाला लॉकडाउन लगाकर लोगों को घरों में रहने के लिए पाबंद कर दिया है। ऐसे में युवाओं और बच्चों का अधिकांश समय इंटरनेट आधारित मोबाइल और टेलीविजन की स्क्रीन से चिपक कर गुजर रहा है। जिससे उनमें आंतरिक स्वास्थ्य की गड़बडिय़ों से लेकर भविष्य में पढ़ाई से नाता टूटने का अंदेशा व्याप्त हो गया है। जानकारों की मानें तो ऐसे समय में पत्र-पत्रिकाएं विशेषकर विविध विषयों की विशद् जानकारियां देने वाली पुस्तकें उनकी सच्ची साथी बन सकेगी। उनके अनुसार हमारे बड़े.बुजुर्गों में स्वाध्याय के प्रति एक विशिष्ट भाव रहता आया है, जो आजकल की पीढ़ी में देखने को कम ही मिलता है।
50 हजार पुस्तकों वाला पुस्तकालय
-शहर के हनुमान चौराहा स्थित जिला पुस्तकालय में विविध भाषाओं की करीब पचास हजार पुस्तकों का विशाल संसार उनकी बाट जोह रहा है।
-वर्तमान में लॉकडाउन के चलते पुस्तकालय की सेवाएं बंद है, लेकिन स्थितियां सामान्य होने पर यह समय व्यतीत करने का सबसे अर्थपूर्ण स्थान साबित हो सकेगा।
-पुस्तकालय और यहां बने वाचनालय में रोजाना करीब तीन सौ से ज्यादा युवा पत्र.पत्रिकाएं व पुस्तकें पढऩे के लिए पहुंचते हैं।
-यह उनके लिए पठन कार्य का सेतु बन गया है। आज का युवा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी से संबंधित सामग्री का अध्ययन करने के लिए यहां पहुंचता है।
-यहां रखी प्रत्येक विषय की पुस्तकों को अपनी पंसद व जरूरत के हिसाब से युवा व छात्र पढ़ते नजर आते हैं।
-युवाओं को यहां पढऩे के लिए एकांत मिलता है तथा किसी भी विषय पर आधिकारिक ज्ञान का स्रोत मिल जाता है।
-जिनका पढऩे से नाता जुड़ा है, वे मानते हैं कि इंटरनेट से मिलने वाली जानकारियों से छपी हुई पुस्तकों से मिलने वाला ज्ञान अधिक विशद्, प्रामाणिक और स्थायी होता है।
-पुस्तकालय में एक दर्जन से ज्यादा हिंदी और अंग्रेजी के अखबार तथा करीब तीन दर्जन मैगजीनों में समसामयिक सामग्री संजोई हुई मिलती है।
पुस्तकों का विशाल संसार
भाषा एवं पुस्तकालय विभाग की ओर से संचालित इस पुस्तकालय में पुस्तकों का संसार निरंतन विशाल हो रहा है। यहां प्रत्येक विषय से संबंधित करीब 50 हजार पुस्तकें उपलब्ध हैं। प्रतिवर्ष नई.नई किताबें उपलब्ध होती है। इनमें कोलकाता के राजा राममोहन राय पुस्तकालय की अहम भूमिका है जो किताबें पाठकों के लिए मुहैया करवाता है। जैसलमेर में वर्ष 1961 में इस पुस्तकालय की स्थापना की गई। साप्ताहिक अवकाश को छोड़कर सुबह 11 से शाम 7 बजे तक पुस्तकालय खुला रहता है। संत तुलसीदास, शेक्सपीयर, रबिंद्रनाथ टैगोर, मैक्सिम गोर्की, मुंशी प्रेमचंद, लियो टॉलस्टॉय, निराला, महादेवी वर्मा से लेकर मिर्जा गालिब, अज्ञेय, सुमित्रानंदन पंत, फिराक गोरखपुरी, रघुवीर सहाय, दुष्यंत कुमार, हरिशंकर परसाई, शरद जोशी, कमलेश्वर, नरेंद्र कोहली समेत कई प्रसिद्ध और नए लेखकों की पुस्तकों का संग्रहण यहां मौजूद है।

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