बॉर्डर टूरिज्म से लगेंगे पर्यटन को पंख,लम्बे समय से महसूस की जा रही जरूरत
विश्व पर्यटन मानचित्र पर विशिष्ट पहचान बना चुकी स्वर्णनगरी में बॉर्डर टूरिज्म को प्रोत्साहित करने की दरकार है। जिस तरह अमृतसर जाने वाले लोगों में वाघा बॉर्डर पर भारत तथा पाकिस्तान के बीच रोजाना होने वाली रिट्रीट सेरेमनी आकर्षण का केंद्र होती है और सिक्किम में भारत-चीन सीमा क्षेत्र नाथू-ला दर्रा तक जाने की छूट पर्यटकों को मिलती है, उसी तर्ज पर जैसलमेर के किसी एक या दो सीमा क्षेत्रों तक सैलानियों की पहुंच बढ़ाई जा सकती है। पश्चिमी सीमा के दो मरुस्थलीय जिलों जैसलमेर और बाड़मेर के लिए प्रस्तावित मरु विकास बोर्ड का गठन होने से जैसलमेर में बॉर्डर टूरिज्म की संभावनाओं पर ठोस शुरुआत हो सकेगी।

जैसलमेर. विश्व पर्यटन मानचित्र पर विशिष्ट पहचान बना चुकी स्वर्णनगरी में बॉर्डर टूरिज्म को प्रोत्साहित करने की दरकार है। जिस तरह अमृतसर जाने वाले लोगों में वाघा बॉर्डर पर भारत तथा पाकिस्तान के बीच रोजाना होने वाली रिट्रीट सेरेमनी आकर्षण का केंद्र होती है और सिक्किम में भारत-चीन सीमा क्षेत्र नाथू-ला दर्रा तक जाने की छूट पर्यटकों को मिलती है, उसी तर्ज पर जैसलमेर के किसी एक या दो सीमा क्षेत्रों तक सैलानियों की पहुंच बढ़ाई जा सकती है। पश्चिमी सीमा के दो मरुस्थलीय जिलों जैसलमेर और बाड़मेर के लिए प्रस्तावित मरु विकास बोर्ड का गठन होने से जैसलमेर में बॉर्डर टूरिज्म की संभावनाओं पर ठोस शुरुआत हो सकेगी। पूर्व में सीमा सुरक्षा बल के उच्चाधिकारियों से लेकर प्रशासन व पुलिस के आला अधिकारियों तक ने बॉर्डर टूरिज्म को शुरू करवाने के प्रति सकारात्मक रुख दिखाया है। हकीकत यह भी है कि इस दिशा में अब तक धरातल पर कोई पुख्ता कदम नहीं बढ़ाया जा सका है। वर्तमान में जैसलमेर के आठ पुलिस थाना क्षेत्र ऐसे हैं, जहां विदेशी तो क्या देशी सैलानियों को भी जाने की अनुमति नहीं है। उन्हें जाने के लिए पूर्वानुमति लेनी होती है, जबकि अंतरराष्ट्रीय सीमा क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियां और वन्य जीवन सैलानियों के लिए आकर्षण का नया केंद्र बन सकती हैं।
बॉर्डर का आकर्षण
जैसलमेर घूमने आने वाले सैलानियों विशेषकर देशी पर्यटकों में बॉर्डर देखने की बेतहाशा चाहत होती है। वे यहां सीमावर्ती तनोटराय देवी के मंदिर में दर्शन करने के साथ लोंगेवाला युद्धस्थल पर प्रतिवर्ष हजारों की तादाद में पहुंचते हैं। बड़ी संख्या में तनोट के दर्शनार्थी वहां से करीब 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बीएसएफ की बबलियानवाला पोस्ट पर जाने की इच्छा जताते हैं। अनेक लोगों को सामान्य हालात होने पर बीएसएफ वहां तक जाने की अनुमति भी देती है। फिर भी कई गुना लोगों को मायूस होना पड़ता है। यदि एक प्रक्रिया पूर्ण करने के बाद बॉर्डर देखने की अनुमति जारी करने की व्यवस्था हो जाए तो सैलानियों की तादाद में बढ़ोतरी हो सकती है।
यह उठाए जाए कदम
- जैसलमेर जिले के 8 पुलिस थाना क्षेत्र बाहरी व्यक्तियों के लिए प्रतिबंधित हैं। इन प्रतिबंधों में सामान्य सैलानियों के लिए छूट दी जा सकती है।
- अंतरराष्ट्रीय सीमा क्षेत्र में अछूते रेत के धोरे तथा पुरानी पद्धति का ग्राम्य जीवन भी सैलानियों के लिए दर्शनीय हो सकेगा।
-बॉर्डर टूरिज्म खोले जाने से जैसलमेर में सैलानियों का ठहराव बढ़ सकेगा। जिसकी मांग पर्यटन व्यवसायी भी लम्बे अर्से से करते आ रहे हैं।
- बॉर्डर तक पहुंच होने से जैसलमेर में फिल्मों और कॉमर्शियल एड शूटिंग को भी बढ़ावा मिल सकेगा।
फैक्ट फाइल -
- 470 के करीब लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा है जैसलमेर की
- 08 लाख सैलानी प्रतिवर्ष भ्रमण को आते हैं जैसलमेर
- 120 किलोमीटर जैसलमेर से दूर स्थित है शक्तिपीठ तनोटराय
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