सड़कों पर टूट रही सांसों की डोर, पहियों तले कुचले जा रहे नियम
जैसलमेरPublished: Mar 01, 2021 02:08:41 pm
– बेलगाम वाहनों की रफ्तार बन रही मूक प्राणियों का काल- जिम्मेदारों की लापरवाही से बनी निराशाजनक स्थिति
सड़कों पर टूट रही सांसों की डोर, पहियों तले कुचले जा रहे नियम
लाठी (पोकरण). तेज रफ्तार से निकल रहे वाहनों की चपेट में आने से आए दिन हो रही वन्यजीवों की मौत ने वन्यजीवप्रेमियों के साथ वन्यजीव विभाग के अधिकारियों को भी चिंता में डाल दिया है। दूसरी तरफ इन तेज गति से निकलने वाले वाहनोंं पर लगाम लगाने व इनकी गति को कम करने को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। गौरतलब है कि लाठी वन्यजीव बाहुल्य क्षेत्रों की गिनती में माना जाता है। लाठी, धोलिया, खेतोलाई, भादरिया, सोढ़ाकोर सहित आसपास का क्षेत्र व पोकरण फिल्ड फायरिंग रेंज क्षेत्र में बड़ी संख्या में वन्यजीवों का आवास है। ये पशु इस क्षेत्र में स्वच्छंद विचरण करते है। कई बार विचरण करते हुए पशु मुख्य सड़क तक आ जाते है। इस दौरान बेलगाम सरपट दौड़ते वाहनों की चपेट में आने से वन्यजीव काल का ग्रास हो जाते है। जिन्हें रोकने व वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर कोई पुख्ता प्रबंध नहीं किए जा रहे है।
एक सप्ताह में हो चुकी एक दर्जन से अधिक मौतें
विशेष रूप से लाठी से पोकरण मार्ग पर खेतोलाई तथा जैसलमेर मार्ग पर सोढ़ाकोर के आसपास वन्यजीवों का बाहुल्य रहता है। पानी पीने व अन्य कार्यों से विचरण करते हुए ये वन्यजीव सड़क तक आ जाते है। इस दौरान वाहनों की चपेट में आने से उनकी मौत हो जाती है। बीते एक सप्ताह में सोढ़ाकोर व खेतोलाई गांव के पास हरिण, खरगोश, सियार, जंगली बिल्ली, गिद्ध, मोर सहित अन्य एक दर्जन से अधिक वन्यजीवों की मौत हो चुकी है।
नहीं हो रही नियमों की पालना
वन्यजीव बाहुल्य क्षेत्रोंं में निर्मित राष्ट्रीय राजमार्गों पर वाहनों की गति को नियंत्रित करने तथा हादसों पर अंकुश लगाने के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की ओर से नियम बनाए गए है। जिसके अंतर्गत स्पीड लिमिट भी तय की गई है। खेतोलाई, धोलिया, लाठी, सोढ़ाकोर सहित वन्यजीव बाहुल्य क्षेत्रों में कई जगहों पर संकेतक बोर्ड लगाकर वाहन की गति नियंत्रित करने के लिए निर्देशित किया गया है, लेकिन वाहन चालक बिना किसी भय के सरपट दौड़ते नजर आ रहे है। ऐसे में जाने-अनजाने कई बार यहां हादसे हो जाते है। विशेष रूप से रात के समय पर्याप्त रोशनी के अभाव में वन्यजीव वाहनों की चपेट में आते है और काल कलवित हो जाते है।
ये है नियम
– वन्यजीव बाहुल्य क्षेत्र में वाहन की रफ्तार 40 किमीप्रति घंटा से अधिक नहीं होगी।
– वाहनों की हेडलाइट ज्यादा चमकदार व दूर तक रोशनी देने वाली नहीं हो।
– वन्यजीव क्षेत्र से गुजरते समय तेज हॉर्न का उपयोग नहीं किया जाए।
– सावधानी से वाहन चलाते हुए सड़क पर वन्यजीव दिखाई देने पर उन्हें बचाने का प्रयास करना चाहिए।
करने चाहिए विशेष प्रबंध
लाठी का आसपास क्षेत्र वन्यजीव बाहुल्य क्षेत्र है। यहां दिन-रात तेज रफ्तार से वाहन निकलते है तथा उनकी चपेट में आने से वन्यजीवों की मौत हो जाती है। जिसकी रोकथाम के लिए प्रत्येक आधा किमी में एक संकेतक बोर्ड लगाना चाहिए तथा विशेष प्रबंध कर वाहनों की गति पर लगाम कसनी चाहिए, ताकि वन्यजीवों की मौत को रोका जा सके।
– राधेश्याम पेमाणी, संयोजक अखिल भारतीय विश्रोई महासभा पोकरण तहसील, धोलिया।