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JAISALMER NEWS- मजदूरों से भी सस्ते शिक्षक, कम मानदेय मिलने से आर्थिक संकट में पैराटीचर

locationजैसलमेरPublished: Apr 10, 2018 06:26:57 pm

Submitted by:

jitendra changani

-स्थायी होने की आस में छोड़ भी नहीं पा रहे शिक्षण कार्य

Jaisalmer patrika

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पोकरण(जैसलमेर). काम देश की भावी पीढ़ी को शिक्षित करके समर्थ बनाने का और वेतन मजदूरों से भी कम। राज्य में मदरसा बोर्ड के तहत पंजीकृत मदरसों में कार्यरत सैकड़ों पैराटीचर्स व शिक्षा सहयोगियों का ऐसा ही हाल है। प्रबोधक जैसे पद पर स्थायी होने की आस में पैराटीचर्स मामूली मानदेय की यह नौकरी छोड़ भी नहीं पा रहे हैं। सरकार इन्हें पढ़ाने की एवज में प्रतिमाह आठ हजार 250 रुपए का भुगतान कर रही है। जबकि भवन निर्माण व कमठे पर कार्य करने वाले मजदूरों को प्रतिदिन 400 रुपए का भुगतान किया जाता है। ऐसे में इन पैराटीचरों के सामने गृहस्थी की गाड़ी चलाना
क्या करें, क्या न करें ?
मदरसा पैराटीचर्स के सामने एक ओर कुआं, तो दूसरी तरफ खाई की स्थिति बनी हुई है। जहां इन्हें सरकार की ओर से हरवक्त अनुबंध खत्म करने का भय सता रहा है, तो साथ ही स्थाई होने की आस में ये दूसरी नौकरी करने के लिए यह काम छोड़ भी नहीं पा रहे है। ऐसे में ये अधरझूल में लटके हुए है।

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IMAGE CREDIT: patrika
ऊंट के मुंह में जीरा
आसमान छूती महंगाई के दौर में पैराटीचर्स को घर की गाड़ी चलाना मुश्किल होता जा रहा है। आटा, दाल, घी, तेल व दूध-दही समेत सभी आवश्यक वस्तुओं के बढ़ते दामों को देखते हुए परिवार के भरण-पोषण में पसीना आ रहा है। समय की पाबंदी होने से पैराटीचर्स कोई दूसरा कार्य भी नहीं कर सकते। हालांकि सरकार की ओर से समय-समय पर मानदेय बढाया जाता है, लेकिन वह ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। वर्तमान में इन्हें प्रतिदिन 275 रुपए का भुगतान किया जा रहा है। ऐसे में पैराटीचर्स सरकार की अनुबंध नीति के पाटों के बीच पिसने को मजबूर है।
ये जिम्मेदारी भी
मदरसा पैराटीचर्स को मदरसों में शिक्षण करवाने के साथ ही अन्य कार्य भी करने पड़ते है। सरकारी कार्यक्रमों के प्रचार प्रसार, पोषाहार, साक्षरता कार्यक्रम, पल्स पोलियो, बाल स्वास्थ्य मिशन सहित मदरसों में शिक्षण सामग्री पहुंचाने जैसे कार्य भी उन्हें अपने स्तर पर करने पड़ रहे है। जिससे उन्हें परेशानी हो रही है तथा अल्प मानदेय में कार्य करने में भी पसीना छूट रहा है।
कर रहे मांग
सरकार के जनप्रतिनिधियों को लगातार ज्ञापन प्रेषित कर मानदेय बढ़ाने व स्थायी करने की मांग की जा रही है। महंगाई के इस दौर में अल्पमानदेय में शिक्षण करवाना मुश्किल हो रहा है।
-मंगलखां, शिक्षा सहयोगी मदरसा तालीमुल इस्लाम, सेलवी।

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