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खत्म हुआ कुरजां की हमशक्ल का इंतजार,पोकरण पहुंची कॉमन क्रेन

locationजैसलमेरPublished: Oct 20, 2019 12:12:44 pm

Submitted by:

Deepak Vyas

वन्यजीवों में अपनी रुचि रखने वाले और शोध करने वाले शोधार्थियों का कुरजां की हमशक्ल का इंतजार आखिर पूरा हुआ। दो दिन पूर्व कुरजां की हमशक्ल कॉमन क्रेन पोकरण पहुंच चुकी है। मध्य एशिया से भारत और विशेष रूप से राजस्थान के जैसलमेर व जोधपुर जिले में प्रवास करने वाले कुरजां पक्षी के साथ अब उसकी हमशक्ल कॉमन क्रेन भी यहां आने लगी है।

Common crane look like Of the Kurjan Reached Pokhran

खत्म हुआ कुरजां की हमशक्ल का इंतजार,पोकरण पहुंची कॉमन क्रेन

जैसलमेर/पोकरण. वन्यजीवों में अपनी रुचि रखने वाले और शोध करने वाले शोधार्थियों का कुरजां की हमशक्ल का इंतजार आखिर पूरा हुआ। दो दिन पूर्व कुरजां की हमशक्ल कॉमन क्रेन पोकरण पहुंच चुकी है। मध्य एशिया से भारत और विशेष रूप से राजस्थान के जैसलमेर व जोधपुर जिले में प्रवास करने वाले कुरजां पक्षी के साथ अब उसकी हमशक्ल कॉमन क्रेन भी यहां आने लगी है। गत वर्ष हुई कॉमन क्रेन की आवक ने पर्यावरणप्रेमियों को अपनी तरफ आकर्षित होने को मजबूर किया था। इस वर्ष भी गत दो माह से कॉमन क्रेन का इंतजार किया जा रहा था, जो आखिर शुक्रवार को पूूरा हुआ। गौरतलब है कि विदेशी पक्षी साइबेरियन सारस कुरजां (डेमोइसिलक्रेन) प्रतिवर्ष अगस्त माह के अंत अथवा सितम्बर माह के पहले सप्ताह में भारत की तरफ प्रवास करती है। इनका प्रवास छह माह का होता है तथा फरवरी व मार्च माह में पुन: यहां से रवाना होती है। विशेष रूप से मध्य एशिया के कजाकिस्तान, मंगोलिया, साइबेरिया, रसिया से बड़ी संख्या में कुरजां यहां आती है।
पोकरण पहुंची 30-40 कॉमन क्रेन
कुरजां की हमशक्ल कॉमन क्रेन का गत दो वर्षों से पोकरण क्षेत्र में प्रवास हो रहा है। गत वर्ष भी पूरे राजस्थान में मात्र जैसलमेर जिले में कॉमन क्रेन दिखाई दी थी। दिखने में कुरजां व कॉमन क्रेन एक जैसी होने के कारण लोगों को इसका पता नहीं चल पाता है कि यह कुरजां है या कॉमन क्रेन। अधिकांश लोग इसे भी कुरजां ही समझते है। पक्षियों के विशेषज्ञ व कुछ विशेषताएं ही इसे अलग बनाती है। शुक्रवार को पोकरण क्षेत्र के थाट गांव के पास स्थित रिण में 30-40 कॉमन क्रेन का झुण्ड नजर आया।
यह है विशेषताएं-
– काली पट्टी आधी गर्दन तक ही होती है
– कुरजां से कुछ बड़ी होती है कॉमन क्रेन
– एक से डेढ़ किलो तक कुरजां से ज्यादा होता है वजन
– भोजन के रूप में मोतिया घास, छोटे कीट, मतीरा है पहली पसंद
– खुले स्थानों व जलभरावस्थलों के पास डालते है डेरा
– कुरजां के समूह के साथ ही रहती है कॉमन क्रेन
शोधार्थियों को मिलेगा नया विषय
गत वर्ष कॉमन क्रेन की आवक ने पर्यावरणप्रेमियों में एक जिज्ञासा जगा दी थी। कुरजां जैसी दिखने वाले इस अलग प्रकार के पक्षी को देखकर पर्यावरणप्रेमियों में उत्सुकता थी। जब इस बारे में पर्यावरणप्रेमियों व वाइल्ड लाइफ विशेषज्ञों ने जांच की, तो जानकारी मिली कि कुरजां के जैसी दिखने वाला पक्षी कॉमन क्रेन है, जिसकी विशेषताएं कुरजां के जैसी ही है। इस वर्ष हुई कॉमन क्रेन की आवक से शोधार्थियों को जांच व अध्ययन के लिए नया विषय मिलेगा।
थाट के पास नजर आई कॉमन क्रेन
इस वर्ष गत दो माह से कॉमन क्रेन का इंतजार चल रहा था। शुक्रवार को थाट गांव के पास कॉमन क्रेन नजर आई है। अब आगामी छह माह तक इनका प्रवास होगा। जिससे शोधार्थी व वन्यजीवों में रुचि रखने वालों को नया विषय मिलेगा। मैनें इनके झुण्ड को कैमरे में भी कैद किया है।
राधेश्याम पेमाणी, वन्यजीवप्रेमी धोलिया व तहसील संयोजक अखिल भारतीय जीव रक्षा विश्रोई सभा, पोकरण।
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