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ऊंट के मुंह में जीरा, पशुओं को खुले में छोडऩा मजबूरी

locationजैसलमेरPublished: Jun 05, 2020 08:42:46 pm

Submitted by:

Deepak Vyas

-पशु शिविरों की संख्या नाकाफी – ग्राम पंचायत नही कर रही आवेदन, तो जीएसएस को नहीं मिल रही अनुमति

ऊंट के मुंह में जीरा, पशुओं को खुले में छोडऩा मजबूरी

ऊंट के मुंह में जीरा, पशुओं को खुले में छोडऩा मजबूरी

पोकरण. गत वर्ष बारिश की कमी के कारण जिलेभर में चारे की कमी के कारण चारे के भाव आसमान छू रहे है तथा दो माह से चल रहे लॉकडाउन के कारण पशुपालकों पर आर्थिक संकट का भी दौर है। ऐसे में कई पशुपालकों की ओर से अपने पशुओं को खुले में छोड़ दिया गया है। चारे पानी की तलाश में पशु जंगलों में भटककर दम तोड़ रहे है। पशुओं को बचाने के लिए सरकार की ओर से पशु शिविर शुरू करने के निर्देश दे दिए गए है, जबकि पोकरण तहसील क्षेत्र में अभी तक पर्याप्त संख्या में पशु शिविर शुरू नहीं होने के कारण मवेशी का बेहाल हो रहा है और पशुपालकों के लिए पशुओं का पालन पोषण करना मुश्किल हो गया है। बावजूद इसके जिला प्रशासन की ओर से पशु शिविरों की संख्या बढ़ाने को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। गौरतलब है कि क्षेत्र में भीषण गर्मी के साथ चारे पानी का संकट उत्पन्न हो रहा है। हालांकि गत एक सप्ताह से बदले मौसम के कारण क्षेत्र में कई जगहों पर बारिश हुई है, लेकिन अभी तक पर्याप्त बारिश नहीं हो पाई हैै। क्षेत्र में ग्राम पंचायत के अलावा ग्राम सेवा सहकारी समितियों व दुग्ध उत्पादन समितियों की ओर से भी पशु शिविरों के लिए आवेदन किया गया है, लेकिन जिला प्रशासन की ओर से अनुमति नहीं दिए जाने के कारण अभी तक सभी ग्राम पंचायत क्षेत्रों में शिविरों का संचालन शुरू नहीं हो पाया है।
यह है प्रक्रिया
इस वर्ष सरकार की ओर से जारी नियम के अनुसार ग्राम पंचायत, ग्राम सेवा सहकारी समिति व दुग्ध उत्पादन सहकारी समिति की ओर से पशु शिविर के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। ऑनलाइन आवेदन करने पर पहले तहसीलदार की ओर से रिपोर्ट लिखकर सबमिट किया जाएगा तथा द्वितीय चरण में अतिरिक्त जिला कलक्टर की ओर से शिविर स्वीकृति के लिए अनुशंसा की जाएगी। अनुशंसा करने पर जिला कलक्टर की ओर से पशु शिविर की स्वीकृति दी जाएगी। इनमें ग्राम पंचायत को प्राथमिकता दी जा रही है। ग्राम पंचायत की ओर से एनओसी जारी करने पर ग्राम सेवा सहकारी समिति व दुग्ध उत्पादन समिति को पशु शिविर संचालन की अनुमति दिए जाने का प्रावधान है।
ऊंट के मुंह में जीरा
पोकरण तहसील क्षेत्र में ग्राम पंचायतोंं, ग्राम सेवा सहकारी समितियों व दुग्ध उत्पादन समितियों की ओर से 150 से अधिक पशु शिविरों के लिए आवेदन किया गया है, जबकि क्षेत्र में अब तक केवल 14 पशु शिविरों की स्वीकृतियां जारी की गई है, जो ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। पोकरण क्षेत्र के कई गांव पशु बाहुल्य है। चारे की कमी के कारण पशुपालकों ने अपने पशुओं को जंगलों में भटकने के लिए छोड़ दिया है। क्षेत्र में प्रतिदिन कई पशुओं की जंगलों में भटकने से मौत हो रही है। बावजूद इसके जिला प्रशासन की ओर से स्वीकृतियां जारी नहीं की जा रही है।
की जा रही है अनुशंसा
ऑनलाइन आवेदन मिलने के बाद उस पर रिपोर्ट की जा रही है तथा पटवारी से भी मौके की रिपोर्ट ली जा रही है। इसके बाद अनुशंसा कर जिला मु यालय पर शिविर स्वीकृति के लिए रिपोर्ट भेजी जा रही है। शिविर संचालन की अनुमति जिला मुख्यालय से जारी होती है।
-राजेश विश्रोई, तहसीलदार, पोकरण।

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