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घर से पर्ची कटाओ, अस्पताल जाकर चैक करवाओ

locationजैसलमेरPublished: May 04, 2021 09:58:55 pm

Submitted by:

Deepak Vyas

– अस्पताल समय में घर की पर्ची से हो रहा उपचार- महामारी के दौर में चांदी कूट रहे चिकित्सक

घर से पर्ची कटाओ, अस्पताल जाकर चैक करवाओ

घर से पर्ची कटाओ, अस्पताल जाकर चैक करवाओ

पोकरण. राजकीय अस्पतालों में सुबह आठ बजे से दोपहर दो बजे तक आउटडोर में आने वाले मरीजों के उपचार का समय है। इस दौरान आने वाले चिकित्सकों को अस्पताल में जारी होने वाली पर्ची से मरीजों का उपचार करना होता है। महामारी के इस दौर में चिकित्सक घर से पर्ची कटवाकर अस्पताल में उपचार कर रहे है और चांदी कूट रहे है। गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण की महामारी के दौरान प्रतिदिन बुखार, जुकाम के मरीजों की अस्पताल में भीड़ उमड़ रही है। अस्पताल की ओपीडी 500 से 600 तक चल रही है। इस दौरान कुछ चिकित्सकों की ओर से अस्पताल की बजाय घर से पर्ची कटवाकर मंगवा रहे है और मरीजों का उपचार कर रहे है। जिसके कारण मरीजों को आर्थिक परेशानी हो रही है।
यूं चलता है सिस्टम
अस्पताल में ओपीडी का समय सुबह आठ बजे का है। जबकि चिकित्सक साढ़े आठ बजे बाद अस्पताल पहुंचते है और इसके बाद राउण्ड लेते है। ऐसे में ओपीडी में जांच का कार्य नौ या साढ़े नौ बजे तक शुरू हो पाता है। इस दौरान जांच के लिए आने वाले मरीज पहले चिकित्सक के कक्ष में उनकी खोज करते है। यहां नहीं मिलने पर घर पहुंच जाते है। घर पर बैठे कंपाउडर की ओर से फीस लेकर पर्ची काटकर मरीज को दे दी जाती है तथा अस्पताल में उपचार का कह दिया जाता है।
होता है दोहरा नुकसान
अस्पताल की सरकारी पर्ची कटवाने पर चिकित्सक नि:शुल्क दवाएं लिखने के लिए बाध्य हो जाता है। घर की पर्ची पर बाहरी दवाइ लिखने की छूट होती है। ऐसे में चिकित्सक की ओर से घर से पर्ची मंगवाई जाती है। पहले चिकित्सक को घर पर फीस दो, इसके बाद अस्पताल आकर उपचार करवाओ। यहां उपचार करवाने के बाद बाहरी दवाइयों का खर्चा भी मरीज को भुगतना पड़ता है। जिसके कारण उसे दोहरा नुकसान हो रहा है।
भीड़ के साथ चल रहा यह खेल
मरीजों की भीड़ बढऩे के साथ घर की पर्ची का खेल शुरू हो चुका है। विशेष रूप से फिजीशियन की ओर से अपने घर पर बैठे कंपाउडर से पर्ची कटवाकर मरीजों को अस्पताल भिजवाने के लिए कहा गया है। घर पर मरीजों की भीड़ उमडऩे पर कंपाउडर की ओर से फीस लेकर पर्ची दे दी जाती है। इसके बाद मरीज को अस्पताल जाकर उपचार करवाने का कहा जाता है। जिससे मरीज को भी परेशानी हो रही है।

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